जयपुर . लोकसभा चुनाव की जमीन पर जीत का परचम लहराने के लिए भाजपा-कांग्रेस की ओर से चले जा रहे दांव हर दिन सियासी पारे को चढ़ाते जा रहे हैं. इस बीच नागौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से ज्योति मिर्धा को मैदान में उतारने के बाद अब लोगों की जुबान ये सवाल उठने लगा है कि आखिर हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस के बीच गठबंधन क्यों नहीं हो पाया. इस सवाल के जवाब के रूप में यहां के हर चौराहे पर सियासी चर्चाओं का बाजार गरम हो चुका है. वहीं, सूत्रों की मानें तो गठबंधन की चर्चाओं को बिराम लगने और ज्योति मिर्धा को टिकट मिलने के पीछे हनुमान बेनीवाल की 'ना' ही मुख्य कारण रहा है.
राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल की रालोपा के बीच गठबंधन की चर्चाओं के बीच सीटों का पेच फंस गया. इसे नहीं सुलझा पाने के कारण ही ये गठबंधन अंतिम दौर में पहुंचने के बाद भी दम तोड़ गया और नागौर सीट पर ज्योति मिर्धा को टिकट मिल गया. सूत्रों का कहना है कि गठबंधन की चर्चाओं के बीच बेनीवाल की पार्टी ने कांग्रेस के सामने सात सीटों का प्रस्ताव रख दिया था. बेनीवाल कांग्रेस से सात सीटें मांग रहे थे. बताया जा रहा है कि इन सीटों में नागौर, बाड़मेर, गंगानगर, पाली, बीकानेर, जयपुर ग्रामीण और करौली-धौलपुर की सीट शामिल थी. लेकिन, कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व बेनीवुाल को केवल तीन सीटें ही देने को तैयार थी.
बताया जा रहा है कि कांग्रेस के इस प्रस्ताव पर बेनीवाल तैयार नहीं हुए और गठबंधन के मसौदे को ठुकराते हुए पीछे हट गए. यही वजह रही है कि बेनीवाल और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो पाया. जिसके बाद कांग्रेस ने इस सीट पर ज्योति मिर्धा को ही एक बार फिर उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतार दिया है. वहीं, राजनीति के जानकारों का कहना है कि गठबंधन नहीं होने के बाद बेनीवाल की पार्टी नागौर सहित कई सीटों पर प्रत्याशी उतार सकती है. हालांकि, अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि बेनीवाल किन-किन सीटों पर पार्टी प्रत्याशी को मैदान में उतारेंगे.