जयपुर. राजस्थान में सरकार 'स्वास्थ्य का अधिकार कानून' लागू करने की तैयारी कर रही है. प्रदेश की जनता को "राइट टू हेल्थ" यानी चिकित्सा का अधिकार देने वाले कानून को लेकर बुधवार को चिकित्सा विभाग के महकमे की बैठक हुई. बैठक में चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर, अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह, निदेशक जनस्वास्थ्य वीके माथुर सहित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारी और सदस्य मौजूद रहे.
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मकसद केवल कानून लाना नहीं बल्कि.....
बैठक में "राइट टू हेल्थ" को लेकर किए जाने वाले प्रयास पर चर्चा की गई. जिसके लिए विभिन्न सुझाव भी आए. "राइट टू हेल्थ" को लेकर चिकित्सा मंत्री ने कहा की मकसद केवल कानून लाना नहीं बल्कि आमजन को बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना है. उन्होंने बताया कि कानून के बाद बनने वाले नियमों व पालन के तरीके, रिवार्ड और पनिशमेंट सिस्टम लाने, मैनपावर की कमी को दूर करने, माॅनिटरिंग जैसे कई अहम विषयों पर विस्तार से चर्चा की है.
दण्ड का प्रावधान भी
कानून लाने से पहले हर विषय पर पूरा शोध किया जा रहा है ताकि आमजन को कानून लाने के बाद चिकित्सा सुविधाओं में परिवर्तन महसूस हो. मंत्री ने कहा की इस कानून को प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी लागू किया जाएगा, जिसके जरिये इलाज में पारदर्शिता आएगी. वहीं कहीं कानून का उलंघन होगा तो इसमें दण्ड का प्रावधान भी रखा जाएगा.
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चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि वर्तमान में राज्य के कुल सकल घरेलू उत्पाद की 1.4 प्रतिशत राशि चिकित्सा पर खर्च की जा रही है, जिसमें बढ़ोतरी होगी.
- कानून बनने के बाद छोटी से छोटी इकाई को और अधिक मजबूत करने.
- ट्रांसफर पाॅलिसी बनाने.
- अस्पतालों में कैमरे लगाने.
- रूरल और अरबन कैडर पर काम करने.
- सभी केंद्रों पर न्यूनतम सुविधाएं उपलब्ध करवाने.
- दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने जैसे विषयों पर चर्चा की गई.