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गांव का 'दंगल' : 6 जिलों में पंचायत चुनाव...सत्तारूढ़ कांग्रेस दिखा पाएगी दम-खम, भाजपा दे पाएगी टक्कर ? - Harish Choudhary

राजस्थान में 6 जिलों में पंचायत चुनाव (Panchayat Election) होने हैं. सत्तारूढ़ कांग्रेस को इन चुनाव में भाजपा से कड़ी टक्कर मिलेगी. 2015 में भाजपा सत्ता में थी लेकिन कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था. लेकिन 2020 में 20 जिलों में हुए पंचायती राज चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस को परेशान किया.

6 जिलों में पंचायत चुनाव
6 जिलों में पंचायत चुनाव
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Published : Aug 7, 2021, 8:35 PM IST

Updated : Aug 7, 2021, 10:24 PM IST

जयपुर. राजस्थान के 6 जिलों भरतपुर, दौसा, सिरोही, जयपुर, सवाई माधोपुर और जोधपुर में पंचायती राज चुनाव (Rajasthan Panchayati Raj Election) घोषित हो चुके हैं. कांग्रेस-भाजपा दोनों दलों के लिये ये चुनाव नाक का सवाल रहेंगे.

पंचायत चुनाव के मामले में साल 2015 में सत्ताधारी दल भाजपा कांग्रेस पर भारी पड़ी थी. इन 6 जिलो में से 4 जिलों भरतपुर, जयपुर, सिरोही और जोधपुर में भाजपा के जिला प्रमुख बने थे. जबकि दौसा और सवाई माधोपुर में कांग्रेस के जिला प्रमुख बने थे. इन 6 जिलों में कुल 58 पंचायत समितियां आती हैं. साल 2015 में हुए चुनाव में भाजपा के 32 प्रधान, कांग्रेस के 24 प्रधान और दो प्रधान निर्दलीय बने थे.

अग्निपरीक्षा होंगे 6 जिलों में पंचायत चुनाव

कहा जा सकता है कि तब सरकार भले भाजपा की थी, लेकिन गांव के चुनाव में कांग्रेस ज्यादा पीछे नहीं थी. मौजूदा समय में प्रदेश में कांग्रेस की ही सरकार है, ऐसे में कहा जा रहा है कि गांवों में कांग्रेस इस बार ज्यादा प्रभावी रहेगी. साल 2020 में 20 जिलों में पंचायती राज चुनाव हालांकि कांग्रेस के लिए अच्छे नहीं माने जा सकते, क्योंकि 20 में से 12 जिलों में भाजपा ने जिला प्रमुख बनाए. सत्ताधारी दल कांग्रेस को केवल 5 जिला प्रमुख बनाकर ही संतोष करना पड़ा था.

अब तक हुए 21 जिलों के पंचायती राज चुनाव में भाजपा के 13 जिला प्रमुख, कांग्रेस के 5 जिला प्रमुख और तीन निर्दलीय जिला प्रमुख बने हैं. इसलिए अब 6 जिलों में होने जा रहे चुनाव (Panchayat elections in 6 districts) कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बने हैं.

पढ़ें- गहलोत सरकार मंत्रिमंडल विस्तार नहीं करने के लिए कोरोना और चुनाव की संजीवनी ले रही है: अरुण सिंह

2015 में जिला परिषद चुनाव के नतीजे

सिरोही, दौसा, भरतपुर, जयपुर, जोधपुर और सवाई माधोपुर में जिला परिषद के चुनाव होने हैं. इन जिलों में कुल 200 वार्ड हैं. इन 200 वार्ड में से साल 2015 में भारतीय जनता पार्टी (Rajasthan BJP) के प्रत्याशियों को 100 वार्ड में जीत मिली थी. कांग्रेस पार्टी (Rajasthan Congress) तब विपक्ष में थी, फिर भी कांग्रेस प्रत्याशी 90 वार्डों में जीते थे. 7 वार्ड में निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे. 3 वार्ड में बीएसपी के प्रत्याशी विजयी रहे थे. यानी विपक्ष में रहते हुए भी तब कांग्रेस पार्टी भाजपा (BJP government) से ज्यादा पीछे नहीं थी.

2015 की जिलावार चुनाव स्थिति

1.सिरोही- सिरोही में कुल 21 जिला परिषद के वार्ड हैं. जिसमें से 6 जिला परिषद सदस्य कांग्रेस के और बाकी 15 सदस्य भाजपा के जीते थे. सिरोही से भाजपा की पायल परसरामपुरिया जिला प्रमुख बनीं.

2.सवाई माधोपुर - सवाई माधोपुर में जिला परिषद के 25 वार्ड हैं. इनमे से 18 वार्ड कांग्रेस ने और 7 वार्ड भाजपा ने जीते थे. सवाई माधोपुर से कांग्रेस की विनीता सिंह जिला प्रमुख (district head) बनीं.

3.भरतपुर- भरतपुर में कुल 37 वार्ड हैं. इनमे से 11 वार्ड में कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. 4 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते. 3 प्रत्याशी बीएसपी के जीते. 19 प्रत्याशी भाजपा के जीते. भरतपुर से भाजपा की बीना सिंह जिला प्रमुख बनीं.

4.जोधपुर - जोधपुर में जिला परिषद के 37 वार्ड हैं. जिनमें से साल 2015 में भाजपा के उम्मीदवार 28 वार्डों में जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार 9 वार्डों में जीते. जोधपुर से भाजपा के पूनाराम चौधरी जिला प्रमुख बने.

5. दौसा- दौसा में कुल 29 जिलापरिषद सदस्य हैं. इनमें से 4 जिला परिषद सदस्य भाजपा, 24 जिला परिषद सदस्य कांग्रेस और 1 जिला परिषद सदस्य निर्दलीय था. दौसा से कांग्रेस की गीता खटाना जिला प्रमुख बनीं.

6.जयपुर- जयपुर में जिला परिषद के कुल के 51 वार्ड हैं. इनमें से 27 वार्ड भाजपा ने, 22 कांग्रेस ने और 2 जिला परिषद सदस्य निर्दलीय जीते. जयपुर से भाजपा के मूलचंद मीणा को जिला प्रमुख बनाया गया था. सरकार बदलने के साथ ही मूलचंद मीणा कांग्रेस में शामिल हो गए और अब वह कांग्रेस के जिला प्रमुख हैं.

पढ़ें- 'सशक्त मंडल' अभियान से भाजपा करेगी विधानसभा चुनाव की तैयारी का आगाज, बूथ स्तर तक खड़ी करेगी 10 लाख से ज्यादा की फौज

पंचायत समितियों के 2015 के नतीजे

1. भरतपुर- भरतपुर जिले की 10 पंचायत समितियों में से 8 पंचायत समितियों में भाजपा का प्रधान बना जबकि दो में कांग्रेस का. भरतपुर की 10 पंचायत समितियों में बयाना पंचायत समिति में भाजपा, डीग पंचायत समिति में भाजपा, कामां पंचायत समिति में भाजपा, कुम्हेर पंचायत समिति से भाजपा, नदबई पंचायत समिति में भाजपा, नगर पंचायत समिति में भाजपा, रूपवास पंचायत समिति में भाजपा, सेवर पंचायत समिति में कांग्रेस और वैर पंचायत समिति में कांग्रेस के प्रधान बने.

2. दौसा- दौसा में कुल छह पंचायत समितियां हैं. साल 2015 में इन सभी पंचायत समितियों में कांग्रेस के प्रधान बने. इनमें बांदीकुई, दौसा, लालसोट, महुआ, सिकराय और लावा में कांग्रेस के प्रधान बने.

3.जयपुर- जयपुर में कुल 15 पंचायत समितियां है. साल 2015 में इन 15 पंचायत समितियों में से 6 पर भाजपा और 9 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. आमेर पंचायत समिति में भाजपा, बस्सी पंचायत समिति में कांग्रेस, चाकसू पंचायत समिति में कांग्रेस, दूदू पंचायत समिति में भाजपा, गोविंदगढ़ पंचायत समिति में कांग्रेस, जमवारामगढ़ पंचायत समिति में कांग्रेस, झोटवाड़ा पंचायत समिति में कांग्रेस, कोटपूतली पंचायत समिति में भाजपा, फागी पंचायत समिति में कांग्रेस, शाहपुरा पंचायत समिति में कांग्रेस, सांभर लेक पंचायत समिति में भाजपा, सांगानेर पंचायत समिति में कांग्रेस, विराटनगर पंचायत समिति में कांग्रेस, पावटा पंचायत समिति में भाजपा और जालसू पंचायत समिति में भाजपा के प्रधान बने.

4.जोधपुर - जोधपुर में कुल 16 पंचायत समितियां हैं. साल 2015 में इन 16 पंचायत समितियों में से 15 में भाजपा के प्रधान बने और एक में कांग्रेस का प्रधान बना. बालेश्वर पंचायत समिति में भाजपा, बाप पंचायत समिति में भाजपा, भोपालगढ़ पंचायत समिति भाजपा, बिलाड़ा पंचायत समिति में भाजपा, लूणी पंचायत समिति में भाजपा, मंदसौर पंचायत समिति में भाजपा, ओसियां पंचायत समिति में भाजपा, फलौदी पंचायत समिति में भाजपा, शेरगढ़ पंचायत समिति में भाजपा, सेखला पंचायत समिति में भाजपा, डेचू पंचायत समिति में भाजपा, टिहरी पंचायत समिति में भाजपा, बापिणी पंचायत समिति में भाजपा, लोहावट पंचायत समिति में भाजपा, पीपाड़ शहर पंचायत समिति में भाजपा के प्रधान बने और जोधपुर की एकमात्र बावड़ी पंचायत समिति में कांग्रेस का प्रधान बना.

5.सवाई माधोपुर- सवाई माधोपुर में कुल 6 पंचायत समितियां हैं. साल 2015 के पंचायत समिति चुनाव में छह पंचायत समितियों में से 2 में भाजपा और 4 में कांग्रेस के प्रधान बने. सवाई माधोपुर की बामनवास पंचायत समिति में कांग्रेस, रेनी पंचायत समिति में कांग्रेस, गंगापुर सिटी पंचायत समिति में कांग्रेस, खंडार पंचायत समिति में कांग्रेस के प्रधान बने तो सवाई माधोपुर पंचायत समिति में भाजपा और चौथ का बरवाड़ा पंचायत समिति में भाजपा के प्रधान बने.

6.सिरोही- सिरोही में पांच पंचायत समितियां है. इन पांच पंचायत समिति में से एक में भाजपा का प्रधान बना. दो में कांग्रेस के प्रधान बने और दो में निर्दलीय प्रधान बने. सिरोही जिले की आबूरोड पंचायत समिति में कांग्रेस, पिंडवाड़ा पंचायत समिति में भाजपा, रेवदर पंचायत समिति में निर्दलीय, शिवगंज पंचायत समिति में कांग्रेस और सिरोही में निर्दलीय प्रधान बने.

पढ़ें- राजस्थान : पंचायती राज चुनाव की घोषणा से कैबिनेट विस्तार पर संशय के बादल

पार्टियों के जिला प्रमुखों की संख्या

2005 में राजस्थान में भाजपा की सरकार थी. लेकिन फिर भी भाजपा 13 जिला प्रमुख ही बना सकी. जबकि कांग्रेस के 16 जिला प्रमुख बने थे. 3 जिला प्रमुख निर्दलीय बने.

2010 में सत्ताधारी दल कांग्रेस था. कांग्रेस के तब 24 जिला प्रमुख बने, 8 भाजपा के और 1 निर्दलीय जिला प्रमुख बना.

2015 में भाजपा की सरकार थी. तब भाजपा के 21 और कांग्रेस के 12 जिला प्रमुख बने.

2020 में 20 जिलों के चुनाव हुए. सत्ता में रहते हुए कांग्रेस के सिर्फ 5 ही जिला प्रमुख बने जबकि भाजपा के 12 जिला प्रमुख बने.

नगर निकाय और निगम में भारतीय जनता पार्टी आगे रहती है तो पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है. साल 2020 में हुए 20 जिलों के चुनाव के नतीजे कांग्रेस की उम्मीद के उलट रहे. 2020 में जिला परिषद चुनाव में भाजपा ने भीलवाड़ा, जैसलमेर, सीकर, चूरू, उदयपुर, झुंझुनू, राजसमंद, नागौर, चित्तौड़गढ़, पाली, टोंक ,और जालौर में अपने जिला प्रमुख बनाए. तो कांग्रेस को बाड़मेर, हनुमानगढ़, प्रतापगढ़, बीकानेर और बांसवाड़ा जिलों में ही सफलता मिली. बूंदी, अजमेर और डूंगरपुर में निर्दलीय जिला प्रमुख बने.

हालांकि इन्हीं 20 जिलों में 222 पंचायत समिति प्रधान बनाने में कांग्रेस भाजपा के बराबर आने में कामयाब रही. 2020 में 20 जिलों में हुए 222 पंचायत समितियों में से 98 पंचायत समितियों में भाजपा ने अपने प्रधान बनाए तो 98 पंचायत समितियों पर ही कांग्रेस के प्रधान बने. 23 प्रधान निर्दलीय, दो प्रधान आरएलपी और एक प्रधान सीपीआईएम बनाने में सफल रही.

हरीश चौधरी ने पंचायती राज चुनाव पर कहा

पंचायती राज चुनाव में जीत को लेकर राजस्व मंत्री हरीश चौधरी (Harish Choudhary) ने कहा कि 20 जिलों के जब चुनाव हुए थे उस समय सरकार (Congress government) की योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने में कुछ कमी रही थी. इस बार बेहतर तरीके से प्रचार किया जाएगा. ताकि इन चुनाव में कांग्रेस पार्टी को जीत मिले.

जयपुर. राजस्थान के 6 जिलों भरतपुर, दौसा, सिरोही, जयपुर, सवाई माधोपुर और जोधपुर में पंचायती राज चुनाव (Rajasthan Panchayati Raj Election) घोषित हो चुके हैं. कांग्रेस-भाजपा दोनों दलों के लिये ये चुनाव नाक का सवाल रहेंगे.

पंचायत चुनाव के मामले में साल 2015 में सत्ताधारी दल भाजपा कांग्रेस पर भारी पड़ी थी. इन 6 जिलो में से 4 जिलों भरतपुर, जयपुर, सिरोही और जोधपुर में भाजपा के जिला प्रमुख बने थे. जबकि दौसा और सवाई माधोपुर में कांग्रेस के जिला प्रमुख बने थे. इन 6 जिलों में कुल 58 पंचायत समितियां आती हैं. साल 2015 में हुए चुनाव में भाजपा के 32 प्रधान, कांग्रेस के 24 प्रधान और दो प्रधान निर्दलीय बने थे.

अग्निपरीक्षा होंगे 6 जिलों में पंचायत चुनाव

कहा जा सकता है कि तब सरकार भले भाजपा की थी, लेकिन गांव के चुनाव में कांग्रेस ज्यादा पीछे नहीं थी. मौजूदा समय में प्रदेश में कांग्रेस की ही सरकार है, ऐसे में कहा जा रहा है कि गांवों में कांग्रेस इस बार ज्यादा प्रभावी रहेगी. साल 2020 में 20 जिलों में पंचायती राज चुनाव हालांकि कांग्रेस के लिए अच्छे नहीं माने जा सकते, क्योंकि 20 में से 12 जिलों में भाजपा ने जिला प्रमुख बनाए. सत्ताधारी दल कांग्रेस को केवल 5 जिला प्रमुख बनाकर ही संतोष करना पड़ा था.

अब तक हुए 21 जिलों के पंचायती राज चुनाव में भाजपा के 13 जिला प्रमुख, कांग्रेस के 5 जिला प्रमुख और तीन निर्दलीय जिला प्रमुख बने हैं. इसलिए अब 6 जिलों में होने जा रहे चुनाव (Panchayat elections in 6 districts) कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बने हैं.

पढ़ें- गहलोत सरकार मंत्रिमंडल विस्तार नहीं करने के लिए कोरोना और चुनाव की संजीवनी ले रही है: अरुण सिंह

2015 में जिला परिषद चुनाव के नतीजे

सिरोही, दौसा, भरतपुर, जयपुर, जोधपुर और सवाई माधोपुर में जिला परिषद के चुनाव होने हैं. इन जिलों में कुल 200 वार्ड हैं. इन 200 वार्ड में से साल 2015 में भारतीय जनता पार्टी (Rajasthan BJP) के प्रत्याशियों को 100 वार्ड में जीत मिली थी. कांग्रेस पार्टी (Rajasthan Congress) तब विपक्ष में थी, फिर भी कांग्रेस प्रत्याशी 90 वार्डों में जीते थे. 7 वार्ड में निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे. 3 वार्ड में बीएसपी के प्रत्याशी विजयी रहे थे. यानी विपक्ष में रहते हुए भी तब कांग्रेस पार्टी भाजपा (BJP government) से ज्यादा पीछे नहीं थी.

2015 की जिलावार चुनाव स्थिति

1.सिरोही- सिरोही में कुल 21 जिला परिषद के वार्ड हैं. जिसमें से 6 जिला परिषद सदस्य कांग्रेस के और बाकी 15 सदस्य भाजपा के जीते थे. सिरोही से भाजपा की पायल परसरामपुरिया जिला प्रमुख बनीं.

2.सवाई माधोपुर - सवाई माधोपुर में जिला परिषद के 25 वार्ड हैं. इनमे से 18 वार्ड कांग्रेस ने और 7 वार्ड भाजपा ने जीते थे. सवाई माधोपुर से कांग्रेस की विनीता सिंह जिला प्रमुख (district head) बनीं.

3.भरतपुर- भरतपुर में कुल 37 वार्ड हैं. इनमे से 11 वार्ड में कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. 4 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते. 3 प्रत्याशी बीएसपी के जीते. 19 प्रत्याशी भाजपा के जीते. भरतपुर से भाजपा की बीना सिंह जिला प्रमुख बनीं.

4.जोधपुर - जोधपुर में जिला परिषद के 37 वार्ड हैं. जिनमें से साल 2015 में भाजपा के उम्मीदवार 28 वार्डों में जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार 9 वार्डों में जीते. जोधपुर से भाजपा के पूनाराम चौधरी जिला प्रमुख बने.

5. दौसा- दौसा में कुल 29 जिलापरिषद सदस्य हैं. इनमें से 4 जिला परिषद सदस्य भाजपा, 24 जिला परिषद सदस्य कांग्रेस और 1 जिला परिषद सदस्य निर्दलीय था. दौसा से कांग्रेस की गीता खटाना जिला प्रमुख बनीं.

6.जयपुर- जयपुर में जिला परिषद के कुल के 51 वार्ड हैं. इनमें से 27 वार्ड भाजपा ने, 22 कांग्रेस ने और 2 जिला परिषद सदस्य निर्दलीय जीते. जयपुर से भाजपा के मूलचंद मीणा को जिला प्रमुख बनाया गया था. सरकार बदलने के साथ ही मूलचंद मीणा कांग्रेस में शामिल हो गए और अब वह कांग्रेस के जिला प्रमुख हैं.

पढ़ें- 'सशक्त मंडल' अभियान से भाजपा करेगी विधानसभा चुनाव की तैयारी का आगाज, बूथ स्तर तक खड़ी करेगी 10 लाख से ज्यादा की फौज

पंचायत समितियों के 2015 के नतीजे

1. भरतपुर- भरतपुर जिले की 10 पंचायत समितियों में से 8 पंचायत समितियों में भाजपा का प्रधान बना जबकि दो में कांग्रेस का. भरतपुर की 10 पंचायत समितियों में बयाना पंचायत समिति में भाजपा, डीग पंचायत समिति में भाजपा, कामां पंचायत समिति में भाजपा, कुम्हेर पंचायत समिति से भाजपा, नदबई पंचायत समिति में भाजपा, नगर पंचायत समिति में भाजपा, रूपवास पंचायत समिति में भाजपा, सेवर पंचायत समिति में कांग्रेस और वैर पंचायत समिति में कांग्रेस के प्रधान बने.

2. दौसा- दौसा में कुल छह पंचायत समितियां हैं. साल 2015 में इन सभी पंचायत समितियों में कांग्रेस के प्रधान बने. इनमें बांदीकुई, दौसा, लालसोट, महुआ, सिकराय और लावा में कांग्रेस के प्रधान बने.

3.जयपुर- जयपुर में कुल 15 पंचायत समितियां है. साल 2015 में इन 15 पंचायत समितियों में से 6 पर भाजपा और 9 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. आमेर पंचायत समिति में भाजपा, बस्सी पंचायत समिति में कांग्रेस, चाकसू पंचायत समिति में कांग्रेस, दूदू पंचायत समिति में भाजपा, गोविंदगढ़ पंचायत समिति में कांग्रेस, जमवारामगढ़ पंचायत समिति में कांग्रेस, झोटवाड़ा पंचायत समिति में कांग्रेस, कोटपूतली पंचायत समिति में भाजपा, फागी पंचायत समिति में कांग्रेस, शाहपुरा पंचायत समिति में कांग्रेस, सांभर लेक पंचायत समिति में भाजपा, सांगानेर पंचायत समिति में कांग्रेस, विराटनगर पंचायत समिति में कांग्रेस, पावटा पंचायत समिति में भाजपा और जालसू पंचायत समिति में भाजपा के प्रधान बने.

4.जोधपुर - जोधपुर में कुल 16 पंचायत समितियां हैं. साल 2015 में इन 16 पंचायत समितियों में से 15 में भाजपा के प्रधान बने और एक में कांग्रेस का प्रधान बना. बालेश्वर पंचायत समिति में भाजपा, बाप पंचायत समिति में भाजपा, भोपालगढ़ पंचायत समिति भाजपा, बिलाड़ा पंचायत समिति में भाजपा, लूणी पंचायत समिति में भाजपा, मंदसौर पंचायत समिति में भाजपा, ओसियां पंचायत समिति में भाजपा, फलौदी पंचायत समिति में भाजपा, शेरगढ़ पंचायत समिति में भाजपा, सेखला पंचायत समिति में भाजपा, डेचू पंचायत समिति में भाजपा, टिहरी पंचायत समिति में भाजपा, बापिणी पंचायत समिति में भाजपा, लोहावट पंचायत समिति में भाजपा, पीपाड़ शहर पंचायत समिति में भाजपा के प्रधान बने और जोधपुर की एकमात्र बावड़ी पंचायत समिति में कांग्रेस का प्रधान बना.

5.सवाई माधोपुर- सवाई माधोपुर में कुल 6 पंचायत समितियां हैं. साल 2015 के पंचायत समिति चुनाव में छह पंचायत समितियों में से 2 में भाजपा और 4 में कांग्रेस के प्रधान बने. सवाई माधोपुर की बामनवास पंचायत समिति में कांग्रेस, रेनी पंचायत समिति में कांग्रेस, गंगापुर सिटी पंचायत समिति में कांग्रेस, खंडार पंचायत समिति में कांग्रेस के प्रधान बने तो सवाई माधोपुर पंचायत समिति में भाजपा और चौथ का बरवाड़ा पंचायत समिति में भाजपा के प्रधान बने.

6.सिरोही- सिरोही में पांच पंचायत समितियां है. इन पांच पंचायत समिति में से एक में भाजपा का प्रधान बना. दो में कांग्रेस के प्रधान बने और दो में निर्दलीय प्रधान बने. सिरोही जिले की आबूरोड पंचायत समिति में कांग्रेस, पिंडवाड़ा पंचायत समिति में भाजपा, रेवदर पंचायत समिति में निर्दलीय, शिवगंज पंचायत समिति में कांग्रेस और सिरोही में निर्दलीय प्रधान बने.

पढ़ें- राजस्थान : पंचायती राज चुनाव की घोषणा से कैबिनेट विस्तार पर संशय के बादल

पार्टियों के जिला प्रमुखों की संख्या

2005 में राजस्थान में भाजपा की सरकार थी. लेकिन फिर भी भाजपा 13 जिला प्रमुख ही बना सकी. जबकि कांग्रेस के 16 जिला प्रमुख बने थे. 3 जिला प्रमुख निर्दलीय बने.

2010 में सत्ताधारी दल कांग्रेस था. कांग्रेस के तब 24 जिला प्रमुख बने, 8 भाजपा के और 1 निर्दलीय जिला प्रमुख बना.

2015 में भाजपा की सरकार थी. तब भाजपा के 21 और कांग्रेस के 12 जिला प्रमुख बने.

2020 में 20 जिलों के चुनाव हुए. सत्ता में रहते हुए कांग्रेस के सिर्फ 5 ही जिला प्रमुख बने जबकि भाजपा के 12 जिला प्रमुख बने.

नगर निकाय और निगम में भारतीय जनता पार्टी आगे रहती है तो पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है. साल 2020 में हुए 20 जिलों के चुनाव के नतीजे कांग्रेस की उम्मीद के उलट रहे. 2020 में जिला परिषद चुनाव में भाजपा ने भीलवाड़ा, जैसलमेर, सीकर, चूरू, उदयपुर, झुंझुनू, राजसमंद, नागौर, चित्तौड़गढ़, पाली, टोंक ,और जालौर में अपने जिला प्रमुख बनाए. तो कांग्रेस को बाड़मेर, हनुमानगढ़, प्रतापगढ़, बीकानेर और बांसवाड़ा जिलों में ही सफलता मिली. बूंदी, अजमेर और डूंगरपुर में निर्दलीय जिला प्रमुख बने.

हालांकि इन्हीं 20 जिलों में 222 पंचायत समिति प्रधान बनाने में कांग्रेस भाजपा के बराबर आने में कामयाब रही. 2020 में 20 जिलों में हुए 222 पंचायत समितियों में से 98 पंचायत समितियों में भाजपा ने अपने प्रधान बनाए तो 98 पंचायत समितियों पर ही कांग्रेस के प्रधान बने. 23 प्रधान निर्दलीय, दो प्रधान आरएलपी और एक प्रधान सीपीआईएम बनाने में सफल रही.

हरीश चौधरी ने पंचायती राज चुनाव पर कहा

पंचायती राज चुनाव में जीत को लेकर राजस्व मंत्री हरीश चौधरी (Harish Choudhary) ने कहा कि 20 जिलों के जब चुनाव हुए थे उस समय सरकार (Congress government) की योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने में कुछ कमी रही थी. इस बार बेहतर तरीके से प्रचार किया जाएगा. ताकि इन चुनाव में कांग्रेस पार्टी को जीत मिले.

Last Updated : Aug 7, 2021, 10:24 PM IST
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