जयपुर. कश्मीर में एक फिर टारगेट किलिंग (Target Killing in Kashmir) के मामले सामने आने लगे हैं. हाल ही में एक के बाद एक गैर मुस्लिम को जिस तरह से आतंकी निशाना बना रहे हैं, उसके बाद घाटी के हालातों पर चिंता होने लगी है. सरकार पुनर्स्थापित योजना और मौजूद हालातों पर जब ईटीवी भारत ने जयपुर में रह रहे कश्मीरी पंडित (kashmiri pandit) परिवारों से बात की तो उन्होंने कहा कि घाटी में स्थिति 1990 के जैसी होती जा रही है. प्रशासन अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर रहा है. वे अपनी जन्म भूमि पर वापस जाना चाहते हैं लेकिन मौत के इस खौफ में नहीं.
सोशल मीडिया पर पंडितों को कश्मीर छोड़ने के लिए कहने वाले धमकी भरे पत्रों ने कश्मीर के हालातों को लेकर चिंता बढ़ा दी है. 1990 के दौर में कश्मीर से पलायन होकर आए कश्मीरी पंडित परिवार से मनोज भट्ट कहते हैं कि अपने घर वापस कौन नहीं जाना चाहता. लेकिन जिस तरह से इन दिनों कश्मीर में हालात बने हैं वह एक बार फिर उन्हें उन दिनों को याद दिला रहे हैं जो 1990 के हालात थे. गैर मुस्लिम्स को एक बार फिर टारगेट किया जा रहा है. इन हालातों में कोई भी कश्मीर फिर से नहीं लौटना चाहेगा.
गैर मुस्लिम को रोकने के लिए टारगेट किलिंग- मनोज भट्ट ने कहा कि घाटी में एक बार फिर टारगेट किलिंग इसलिए शुरू हुई है क्योंकि वहां पर कुछ लोग हैं जो नहीं चाहते कि हिंदू परिवार फिर से घाटी में आकर रहे. वे चाहते हैं कि कश्मीर टोटल मुस्लिम देश बन जाए, इसीलिए वे फिर से 1990 के तरह हिंदुओं को टारगेट करने लगे हैं. मनोज भट्ट ने कहा कि मोदी सरकार के आश्वासन पर लोग फिर से कश्मीर में रहने के लिए जाने लगे थे, बच्चों के एडमिशन स्कूलों में करा रहे थे, लेकिन जिस तरह के हालात फिर बन रहे हैं उससे कश्मीर में रह रहे हिन्दू परिवारों की सुरक्षा बड़ा विषय है.
स्थानीय राजनीति बड़ा कारण- मनोज ने कहा कि जब कश्मीर से धारा 370 हटा दी गई थी और स्थानीय नेताओं को नजरबंद किया गया था उस वक्त हालात सामान्य हो गए थे. लेकिन जैसे ही इन स्थानीय नेताओं को फिर से छूट दी गई हालात फिर बिगड़ने लगे हैं. स्थानीय राजनीति बड़ा कारण है, जिसकी वजह से भी कश्मीर के यह हालात हो रहे हैं. इस पर भी केंद्र सरकार को सोचने की जरूरत है.
पढ़ें- टारगेट किलिंग के बाद पंडितों का पलायन, जम्मू में विरोध-प्रदर्शन जारी
जो कश्मीर में हैं उन्हें जम्मू शिफ्ट किया जाए- मनोज भट्ट ने कहा कि इस वक्त ज्यादा जरूरी यह भी है कि जो गैर मुस्लिम परिवार कश्मीर में रह रहे हैं या हाल ही में सेटल हुए हैं उन्हें वहां से सुरक्षित निकालकर जम्मू शिफ्ट किया जाए. जब हालात सामान्य हो जाए तब फिर से उन्हें वापस कश्मीर भेज दें, लेकिन इस वक्त मौजूदा दौर में जो हालात हैं उसमें उन्हें कश्मीर में रखना खतरे से कम नहीं है. हाल ही में एक के बाद एक जो टारगेट किलिंग हुई उसने कई परिवारों को उजाड़ कर रख दिया है. किसी भी एक व्यक्ति की मौत उस पूरे परिवार को तबाह कर देती है. इसलिए सरकार की जिम्मेदारी है कि हर उस परिवार को सुरक्षा उपलब्ध कराएं जो इस समय कश्मीर में खतरे के खौफ में जी रहा है.
सरकार इमेज की परवाह नहीं करे- मनोज भट्ट ने कहा कि यह सही है कि अभी अगर कश्मीर से हिंदू परिवारों को पलायन कराया जाता है तो उससे सरकार की इमेज पर असर पड़ेगा. लेकिन इस वक्त सरकार को अपनी इमेज से ज्यादा वहां रह रहे लोगों की सुरक्षा को ज्यादा महत्व देना चाहिए. जब हालात ठीक हो जाएंगे तो इन्हें फिर से वापस कश्मीर में शिफ्ट किया जा सकता है, लेकिन इस समय एक एक व्यक्ति की जान को बचाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में हालात 1990 से भी ज्यादा बदतर दिखाई दे रहे हैं.
पढ़ें- जम्मू कश्मीर में टारगेट किलिंग : कुलगाम में आतंकियों ने की बैंक मैनेजर की हत्या
मासूम लोगों को मारा जा रहा है- मनोज भट्ट की बहन अंजली कौल कहती हैं कि वहां रह रहे गैर मुस्लिम लोग बहुत मासूम हैं, जिनके छोटे-छोटे बच्चे हैं, परिवार है. लेकिन जिस तरह से टारगेट किया जा रहा है इन हालातों में किसी भी व्यक्ति का कैसे मन करेगा कि वह कश्मीर में परिवार के साथ फिर से बस जाए. उन्होंने कहा कि अपनी जन्मभूमि पर हर कोई रहना चाहता है, लेकिन इस तरह के हालात में यह संभव नहीं है. सरकार कश्मीर में रह रहे हर परिवार को सुरक्षा की गारंटी ले, किसी भी परिवार को कोई नुकसान नहीं होगा इस कठोर आश्वासन के साथ में ही कश्मीर में हिंदू परिवारों को फिर से बसाया जाए.
कठोर कदम उठाने की जरूरत- अंजलि कौल कहती हैं कि सरकार जब तक घाटी में इस तरह की घटना करने वाले जो भी लोग हैं चाहे वह आतंकी है या अन्य किसी संगठन के, उनके खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाएगी तब तक घाटी में हालात सामान्य संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि कई ऐसे लोग हैं जो आत्मसमर्पण करते हैं, सरकार उन्हें इनाम के तौर पर बड़ी रकम भी देती है और यही लोग फिर से हथियार खरीद कर नीचे कई और मासूम बच्चों को इस तरह के आतंकी राह पर ले जाते हैं. इसलिए सरकार को चाहिए कि अपनी नीति में भी बदलाव करें और कठोर कार्रवाई के लिए कानूनी प्रावधान करें. उन्होने कहा कि जब तक सरकार कठोर एक्शन नहीं लेगी तब तक घाटी में इस तरह से मासूम लोगों की जाने जाती रहेगी.