जयपुर. यूडीएच मंत्री खुद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग कर रहे हैं, लेकिन जिस जिले के वे खुद प्रभारी मंत्री हैं, वहीं प्रदेश की चारों स्मार्ट सिटी में सबसे पीछे हैं. जयपुर भले ही प्रदेश की राजधानी है, लेकिन स्मार्ट सिटी के नाते कोटा, उदयपुर और अजमेर उससे कहीं आगे है. ये तीनों ही शहर देश की स्मार्ट सिटी रैंकिंग में टॉप 10 में शुमार हैं, जबकि जयपुर का नंबर 18वां है.
ऐसे में जयपुर शहर के सामने अपने पेंडिंग वर्क (smart city work in jaipur) को पूरा करने के साथ-साथ यूनेस्को से मिले तमगे को बचाने की भी जिम्मेदारी है. दरअसल जयपुर में स्मार्ट सिटी का अधिकतर काम परकोटे (world heritage jaipur parkota) में हो रहा है. जो यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है. इसी कारण यूनेस्को की निगाहें यहां होने वाले सभी प्रोजेक्ट पर रहती हैं.
हाल ही में यूनेस्को ने चौगान स्टेडियम में बन रहे स्पोर्ट्स कंपलेक्स और दरबार स्कूल के निर्माण को लेकर भी नोटिस मिला. इससे पहले अजमेरी गेट पर किए गए काम को लेकर के भी आपत्ति जताई गई थी. हालांकि स्मार्ट सिटी सीईओ ने यूनेस्को से मिली गाइडलाइन के अनुसार और हेरिटेज कमेटी से अप्रूवल मिलने के बाद ही काम (unesco smart city project) किए जाने का दावा किया है.
राजस्थान में चार स्मार्ट सिटी
जयपुर में वर्तमान में चल रहे प्रोजेक्ट
इसके अलावा गणगौरी अस्पताल, कंवर नगर डिग्री कॉलेज, जंक्शन का इंप्रूवमेंट, बाज़ारों में रेलिंग और डिवाइडर को ठीक करने, फुटपाथ का सौंदर्यीकरण, सामुदायिक भवनों का रिनोवेशन जैसे कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं. हालांकि स्मार्ट सिटी के कुछ प्रोजेक्ट से शहरवासी तो कुछ से जनप्रतिनिधि संतुष्ट नहीं हैं. पौन्ड्रिक उद्यान में कम्युनिटी हॉल और पार्किंग एरिया डवलप करने का प्रोजेक्ट भी इसी वजह से खटाई में है.
हाल ही में स्मार्ट सिटी लिमिटेड के इन प्रोजेक्ट का हुआ शिलान्यास
जयपुर स्मार्ट सिटी में लगातार प्लानिंग, डीपीआर में बदलाव और जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप भी जयपुर के पिछड़ने का एक कारण है. लेकिन अब केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 2023 तक का समय बढ़ा दिया है. ऐसे में जयपुर के सामने ना सिर्फ यूनेस्को की गाइडलाइन (UNESCO Guideline for Heritage Cities) फॉलो करते हुए प्रोजेक्ट को पूरा करने की, बल्कि प्रदेश की दूसरी स्मार्ट सिटीज को पीछे छोड़ने की भी चुनौती है.