जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने राजस्थान में जयपुर, कोटा और जोधपुर नगर निगम को दो हिस्सों में बांटकर ऐसा दांव चला कि राजस्थान निगम चुनाव में बीजेपी का तिलिस्म टूट गया. 6 में से 4 निगमों में जीत दर्ज कर कांग्रेस ने सबको चौंका दिया. हालांकि इन शहरों के दोनों निगमों में क्षेत्र बंटा, बजट बंटा, जिम्मेदारी बंटी लेकिन दो निगम बनाने का कुछ खास फायदा शहर में विकास को लेकर नहीं दिखा.
यही वजह है कि ये फैसला हमेशा से विपक्ष के निशाने पर रहा और अब जब मोदी कैबिनेट ने दिल्ली के तीन निगमों को एक करने का फैसला लिया है तो उसके बाद से बीजेपी के विधायकों ने एक बार फिर ये बहस छेड़ दी है. यही नहीं बीजेपी तो खुले तौर पर ये भी कहने लगी है कि उनके सत्ता में आने के साथ ही जयपुर, कोटा और जोधपुर में बनाए गए दो-दो निगमों को दोबारा एक (bjp will again reunite corporations) कर दिया जाएगा.
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साल 2012 में दिल्ली नगर निगम को तीन भागों में बांट दिया गया था। उस वक्त तर्क दिया गया था कि ऐसा करने से नगर निगम के कामकाज में सुधार लाया जा सकेगा और ये प्रभावी तरीके से जनता को सेवाएं दे सकेंगी, लेकिन नगर निगम को विभाजित करने के बाद से नगर निगमों के कामकाज में कोई खास सुधार तो नहीं हुआ. उल्टे निगम वित्तीय संकट में इस कदर फंस गया कि कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो गया. यही वजह है कि अब मोदी कैबिनेट ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक करने का फैसला लिया है.
केंद्र के इस फैसले के बाद से अब राजस्थान में जयपुर, कोटा और जोधपुर में बनाए गए दो-दो निगमों को लेकर फिर सवाल उठने लगे हैं. कारण साफ है जो स्थिति दिल्ली के निगमों की है वही स्थिति जयपुर, कोटा और जोधपुर के निगमों की है. इनकी वित्तीय स्थिति भी बेहद खराब है. यही वजह है कि हुडको से लोन तक लिया जा रहा है ताकि ठेकेदारों का बकाया भुगतान और वार्डों में विकास कार्य किया जा सके.
नवगठित 6 नगर निगम का सालाना बजट
ग्रेटर निगम जयपुर | 987 करोड़ रुपये |
हेरिटेज निगम जयपुर | 879 करोड़ रुपये |
जोधपुर उत्तर | 688 करोड़ रुपये |
जोधपुर दक्षिण | 465 करोड़ रुपये |
कोटा उत्तर | 600 करोड़ |
कोटा दक्षिण | 480 करोड़ |
सिर्फ दिखाने के लिए बजट
इन निगमों का ये बड़ा बजट सुनने में आकर्षक लगता है लेकिन हकीकत ये है कि इसको खर्च करने के लिए सरकार से इन्हें पैसा ही नहीं मिल रहा. ऐसे में अब सरकार के फैसले पर विपक्ष पूरी तरह हमलावर हो गया है. पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार ने जयपुर, कोटा और जोधपुर में निगमों को बांट कर दो तो कर दिया, लेकिन उसका लाभ सिर्फ कांग्रेस को ही मिला. वह ये कि वे किसी तरह इन शहरों में चुनाव जीत गई. उन्होंने वार्डों के परिसीमन पर भी सवाल उठाए. देवनानी ने कहा कि दो निगम होने से आपसी समन्वय की कमी और संघर्ष देखने को मिल रहा है. बीजेपी सत्ता में आते ही तीनों शहरों में दोनों निगमों को एक करेगी.
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बीजेपी प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा कि निगमों को दो भागों में बांटने का सरकार का फैसला महज वोट बैंक की राजनीति थी और खुद के हितों को साधने के लिए ऐसा किया गया था. उन्होंने भी बीजेपी के सत्ता में आने के साथ ही दो निगमों को एक करने की बात कही. पू0र्व मंत्री अनिता भदेल ने वार्डों के परिसीमन को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने कुछ वार्डों को कम जनसंख्या का तो कुछ को अधिक जनसंख्या का बनाया जो कि चुनाव जीतने के लिए ही किया गया था. उन्होंने इसे संवैधानिक नियमों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि बीजेपी सत्ता में आने के साथ ही इस गलत फैसले को सुधार देगी.