जयपुर. राजस्थान में कोरोना महामारी की वजह से पर्यटन और होटल इंडस्ट्री की हालत खराब है. कोरोना के डर से पर्यटकों ने मरुधरा से किनारा कर लिया है. पर्यटन उद्योग की रीढ़ कहे जाने वाले गणगौर उत्सव और राजस्थान दिवस जैसे समारोह रद्द करने पड़े.
पर्यटक स्थलों पर पसरा सन्नाटा
राजधानी जयपुर में आमेर महल, नाहरगढ़ फोर्ट, जयगढ़ फोर्ट, हवा महल, जंतर मंतर, अल्बर्ट हॉल, नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क, लेपर्ड सफारी समेत तमाम पर्यटक स्थलों पर सन्नाटा पसरा हुआ है.
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30 लाख से ज्यादा बेरोजगार
राजस्थान में जन अनुशासन पखवाड़े के दौरान सभी पर्यटन स्थल बंद कर दिए गए. पर्यटन पर लगातार दूसरे साल कोरोना की मार के चलते 30 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से बेरोजगारी हो गए हैं. टूरिस्ट गाइड महेश कुमार शर्मा ने बताया कि पर्यटन स्थल बंद होने से पर्यटन व्यवसाय से जुड़े टूरिस्ट गाइड, होटल व्यवसायी, ट्रेवल्स समेत अन्य लोग बेरोजगार हो गए हैं. हस्तशिल्प से जुड़े लोक कलाकार भी बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल हो गया है.
15 मार्च से होटल की बुकिंग पर असर
राजधानी जयपुर में करीब 1200 होटल हैं. इन होटल्स में करीब 10 हजार से ज्यादा कमरे हैं. मार्च से पहले इन होटलों में करीब 50 से 60 फीसदी बुकिंग थी. लेकिन कोरोना की दहशत के चलते मार्च के बाद बुकिंग गिरने लग गई. मार्च के आखिर तक 15 से 20 फीसदी ही बुकिंग रह गई. मार्च तक 5000 से 5500 हजार कमरे बुक रहते थे. 15 मार्च के बाद 1500 से 2000 तक सिमट गए. अप्रैल में पर्यटन स्थल बंद होने से पर्यटन उद्योग चरमरा गया है.
पर्यटन स्थलों पर कर्फ्यू!
प्रदेश में मार्च महीने में रोजाना औसतन 15000 से 20000 पर्यटक आए थे. 15 मार्च के बाद पर्यटक बिल्कुल कम हो गए. पर्यटन स्थलों पर कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ दिखाई देता है. कोरोना की दूसरी लहर ट्रेवल, होटल, टूरिस्ट गाइड समेत पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों की कमर तोड़ने वाली रही है.
पर्यटन उद्योग पर संकट
राजस्थान में दिल्ली, आगरा और जयपुर के अलावा जोधपुर, उदयपुर, सवाई माधोपुर, चित्तौड़, माउंट आबू और जैसलमेर में देश-विदेश के पावणों की काफी चहल-पहल रहती है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से पर्यटन उद्योग खस्ताहाल है. टूरिस्ट गाइड, होटल व्यवसायी, रेस्टोरेंट्स, ट्रैवल एजेंट्स और टूर ऑपरेटर्स परेशान हैं. हालात इस कदर भयावह हैं कि पर्यटन उद्योग अगले 2 साल तक अपने पैरों पर खड़ा हो पाएगा, इसकी गुंजाइश बहुत कम दिखाई देती है.
कोरोना की दूसरी लहर ने किया बर्बाद
होटल व्यवसायी मोहनलाल सैनी ने बताया कि पिछले साल कोरोना की वजह से होटल, रेस्टोरेंट्स व्यवसाय बिल्कुल बर्बाद हो गया था. लेकिन धीरे-धीरे कोरोना का प्रभाव कम होता गया. होटल व्यवसाय पटरी पर लौटने लगा था. लेकिन वापस कोरोना की दूसरे लहर आ गई और सब कुछ चौपट हो गया. अब पहले से ज्यादा हालत खराब हो गई है.
सैलरी देना भी मुश्किल
विश्व विरासत में शामिल आमेर महल या फिर चित्तौड़गढ़ और मेहरानगढ़ के किले के साथ ही जैसलमेर के धोरे, सोनार किला और माउंट आबू में भी कोरोना का कर्फ्यू दिखाई देता है. होटलों में कमरे खाली हो चुके हैं. होटल मालिकों की हालत खराब है. स्टाफ की सैलरी भी नहीं निकल रही है. अगले 2 साल की विदेशी पर्यटकों की बुकिंग प्रभावित हुई है. कई ट्रैवल एजेंट्स और टूर ऑपरेटर सितंबर से शुरू हो रहे अगले पर्यटन सत्र की एडवांस बुकिंग रद्द करा चुके हैं.
कब संभलेगा पर्यटन उद्योग?
जून महीने तक प्रदेश में मानसून आने के आसार हैं. ट्रेवल ट्रेंड से जुड़े लोगों का कहना है कि अब कमजोर हुआ पर्यटन उद्योग सितंबर की शुरुआत से संभल पाएगा, इसमें भी शक है.
पर्यटन व्यवसायियों को सरकार से आस
पिछले 1 साल से लोग स्ट्रगल करते आ रहे थे. पर्यटन व्यवसाय पटरी पर लौटने लगा था कि इसके बाद वापस कोरोना की दूसरी लहरा आ गई और सब कुछ चौपट कर दिया. कोरोना की दूसरी लहर से टूरिज्म इंडस्ट्री को ज्यादा नुकसान होगा. टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की फाइनेंशियल कंडीशन अच्छी नहीं है. ऐसे में सरकार से गुहार की जा रही है कि पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों की सहायता की जाए.
अब सरकार से उम्मीद है कि पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को कुछ राहत दे. स्कूल फीस, बैंक इंस्टॉलमेंट समेत अन्य चीजों पर सरकार कुछ समय के लिए रोक लगाकर राहत दे सकती है.
कब पटरी पर लौटेगा व्यवसाय?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने प्रदेश में अपने 164 स्मारक पर्यटकों के लिए बंद कर दिए हैं. उम्मीद की जा रही है कि जल्दी देश और दुनिया कोरोना से निजात पाए और पर्यटन व्यवसाय एक बार फिर पटरी पर लौटे.