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SPECIAL: टैक्सी में पैनिक बटन की परियोजना 2 साल से अधर में अटकी, परिवहन विभाग नहीं ले रहा सुध

दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद से बसों में महिला यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए केंद्र सरकार ने पैनिक बटन को लेकर आदेश जारी किए थे. लेकिन अभी तक राजस्थान में इसे लेकर कोई खास तैयारी नहीं की गई है. खुद राजस्थान में परिवहन विभाग के द्वारा अभी तक पैनिक बटन और जीपीएस सिस्टम शुरू करने के लिए किसी भी तरह का सॉफ्टवेयर भी तैयार नहीं किया गया है.

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पैनिक बटन की परियोजना अधूरी
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Published : Nov 2, 2020, 5:09 PM IST

जयपुर. देश की राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया कांड में बाद केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा यात्री वाहनों के रजिस्ट्रेशन के समय पैनिक बटन और व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम लगाने की अनिवार्यता लागू दी थी. लेकिन राजस्थान में परिवहन विभाग के द्वारा अभी तक पैनिक बटन और जीपीएस सिस्टम शुरू करने के लिए किसी भी तरह का सॉफ्टवेयर भी तैयार नहीं किया गया है.

पैनिक बटन की परियोजना अधूरी

ऐसे में खुद की कमी छुपाने के लिए वाहनों में जीपीएस और पैनिक बटन होने के आदेश भी राजस्थान परिवहन विभाग के द्वारा जारी नहीं किया गया है. बता दें टैक्सी वाहनों में महिलाओं से छेड़छाड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए यह जरूरी है. इधर शहर के यात्री वाहनों पर नजर डालें तो दिनों-दिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है. राजधानी में 40 हजार से अधिक कार, ऑटो और बस इत्यादि दौड़ रहे हैं. परिवहन आयुक्त रवि जैन की मानें तो वीएलटीएस (व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम) केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण घोषणा है.

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विभाग नहीं ले रहा सुध

यह घोषणा निर्भया कांड के बाद की गई थी, जिसके अंतर्गत बसों में जो यात्री है खासतौर से महिला यात्री कुंजी सुरक्षा के लिए बसों में पैनिक बटन लगाने के लिए घोषणा की गई थी. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि इसके लिए निर्भया फंड से भी पैसा दिया जाएगा. आयुक्त रवि जैन ने बताया कि निर्भया फंड से जो पैसा मिलता है, उसमें 60% केंद्र सरकार और 40% राज्य सरकार वहन करती है.

पढ़ेंः पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने के लिए सीएम गहलोत ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

वहीं बीएसएनएल के द्वारा भी परिवहन आयुक्त रवि जैन के पास एक प्रपोजल भिजवाया गया है, जिसमें प्रति वाहन बीएसएनएल कुछ पैसा लेकर परिवहन विभाग को यह सुविधा भी उपलब्ध कराएगा. आयुक्त रवि जैन ने कहा कि जनवरी 2019 के बाद जो भी वाहन परिवहन विभाग के पास रजिस्ट्रेशन के लिए आता है, उसमें व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम लगा हुआ होता है. लेकिन अब परिवहन विभाग जनवरी 2019 से पहले के रजिस्ट्रेशन वाले वाहनों में भी इस सिस्टम की अनिवार्यता करने जा रहा है. आयुक्त रवि जैन ने कहा कि जल्दी ही ट्रैफिक पुलिस के साथ समन्वयक करके कंट्रोल रूम बना लिया जाएगा.

1 साल पुराने आदेश लिए वापस

परिवहन विभाग ने 1 साल पहले यात्री वाहनों में पैनिक बटन और जीपीएस लगाने के आदेश जारी किए थे. वाहनों के पंजीयन के समय पैनिक बटन और जीपीएस लगाना जरूरी था. अभी तक परिवहन विभाग और पुलिस विभाग मिलकर इसका संयुक्त कंट्रोल रूम नहीं बना सके हैं. ऐसे में पैनिक बटन यात्रियों के लिए अनुपयोगी साबित हुआ. सवाल खड़े होने के बाद परिवहन विभाग के द्वारा आदेश भी वापस ले लिए गए, लेकिन केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने जनवरी में इसको लेकर वापस आदेश जारी करें. जिसके बाद परिवहन विभाग के द्वारा अभी तक इस संबंध में आदेश जारी नहीं किए गए हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं परिवहन विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आती है. साथ ही परिवहन विभाग के ऊपर कई तरह के सवाल भी परिवहन के ऊपर खड़े होते हैं.

कई बार बस टैक्सी में छेड़छाड़ की मिल चुकी है शिकायत

राजधानी जयपुर के अंतर्गत कई बार टैक्सी के अंदर महिलाओं से छेड़छाड़ के मामले सामने आते हैं. इसके साथ ही कई बार तो टैक्सी चालकों के द्वारा मर्डर तक के मामले राजधानी के अंतर्गत सामने आए हैं. कई मामले अपहरण के भी सामने आ चुके हैं. जिसको देखते हुए पैनिक बटन की सुविधा को शुरू करने की बात कही गई थी. लेकिन अभी तक ना ही आमजन की सुरक्षा को ध्यान में रखा जा रहा है और ना ही ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग के द्वारा मिलकर पैनिक बटन सिस्टम को लागू किया गया है.

जयपुर. देश की राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया कांड में बाद केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा यात्री वाहनों के रजिस्ट्रेशन के समय पैनिक बटन और व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम लगाने की अनिवार्यता लागू दी थी. लेकिन राजस्थान में परिवहन विभाग के द्वारा अभी तक पैनिक बटन और जीपीएस सिस्टम शुरू करने के लिए किसी भी तरह का सॉफ्टवेयर भी तैयार नहीं किया गया है.

पैनिक बटन की परियोजना अधूरी

ऐसे में खुद की कमी छुपाने के लिए वाहनों में जीपीएस और पैनिक बटन होने के आदेश भी राजस्थान परिवहन विभाग के द्वारा जारी नहीं किया गया है. बता दें टैक्सी वाहनों में महिलाओं से छेड़छाड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए यह जरूरी है. इधर शहर के यात्री वाहनों पर नजर डालें तो दिनों-दिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है. राजधानी में 40 हजार से अधिक कार, ऑटो और बस इत्यादि दौड़ रहे हैं. परिवहन आयुक्त रवि जैन की मानें तो वीएलटीएस (व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम) केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण घोषणा है.

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विभाग नहीं ले रहा सुध

यह घोषणा निर्भया कांड के बाद की गई थी, जिसके अंतर्गत बसों में जो यात्री है खासतौर से महिला यात्री कुंजी सुरक्षा के लिए बसों में पैनिक बटन लगाने के लिए घोषणा की गई थी. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि इसके लिए निर्भया फंड से भी पैसा दिया जाएगा. आयुक्त रवि जैन ने बताया कि निर्भया फंड से जो पैसा मिलता है, उसमें 60% केंद्र सरकार और 40% राज्य सरकार वहन करती है.

पढ़ेंः पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने के लिए सीएम गहलोत ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

वहीं बीएसएनएल के द्वारा भी परिवहन आयुक्त रवि जैन के पास एक प्रपोजल भिजवाया गया है, जिसमें प्रति वाहन बीएसएनएल कुछ पैसा लेकर परिवहन विभाग को यह सुविधा भी उपलब्ध कराएगा. आयुक्त रवि जैन ने कहा कि जनवरी 2019 के बाद जो भी वाहन परिवहन विभाग के पास रजिस्ट्रेशन के लिए आता है, उसमें व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम लगा हुआ होता है. लेकिन अब परिवहन विभाग जनवरी 2019 से पहले के रजिस्ट्रेशन वाले वाहनों में भी इस सिस्टम की अनिवार्यता करने जा रहा है. आयुक्त रवि जैन ने कहा कि जल्दी ही ट्रैफिक पुलिस के साथ समन्वयक करके कंट्रोल रूम बना लिया जाएगा.

1 साल पुराने आदेश लिए वापस

परिवहन विभाग ने 1 साल पहले यात्री वाहनों में पैनिक बटन और जीपीएस लगाने के आदेश जारी किए थे. वाहनों के पंजीयन के समय पैनिक बटन और जीपीएस लगाना जरूरी था. अभी तक परिवहन विभाग और पुलिस विभाग मिलकर इसका संयुक्त कंट्रोल रूम नहीं बना सके हैं. ऐसे में पैनिक बटन यात्रियों के लिए अनुपयोगी साबित हुआ. सवाल खड़े होने के बाद परिवहन विभाग के द्वारा आदेश भी वापस ले लिए गए, लेकिन केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने जनवरी में इसको लेकर वापस आदेश जारी करें. जिसके बाद परिवहन विभाग के द्वारा अभी तक इस संबंध में आदेश जारी नहीं किए गए हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं परिवहन विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आती है. साथ ही परिवहन विभाग के ऊपर कई तरह के सवाल भी परिवहन के ऊपर खड़े होते हैं.

कई बार बस टैक्सी में छेड़छाड़ की मिल चुकी है शिकायत

राजधानी जयपुर के अंतर्गत कई बार टैक्सी के अंदर महिलाओं से छेड़छाड़ के मामले सामने आते हैं. इसके साथ ही कई बार तो टैक्सी चालकों के द्वारा मर्डर तक के मामले राजधानी के अंतर्गत सामने आए हैं. कई मामले अपहरण के भी सामने आ चुके हैं. जिसको देखते हुए पैनिक बटन की सुविधा को शुरू करने की बात कही गई थी. लेकिन अभी तक ना ही आमजन की सुरक्षा को ध्यान में रखा जा रहा है और ना ही ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग के द्वारा मिलकर पैनिक बटन सिस्टम को लागू किया गया है.

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