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Exclusive: विरासत से विकास के नाम पर छेड़छाड़, चौकोर चौपड़ को बनाया Circle

जयपुर शहर को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज घोषित कर दिया गया है. जयपुर अपने ऐतिहासिक धरोहरों की वजह से इस सूची में स्थान रखता है. लेकिन बदलते वक्त के साथ यहां के धरोहरों को भी बदला जा रहा है, जिससे अब इसका लुक वह नहीं रहा गया. जो एक समय में हुआ करता था. पुरानी इमारतों को नए तरीके से बनाने की कवायद ने जयपुर के इतिहास को कहीं दबा दिया है.

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Published : Feb 4, 2020, 5:02 PM IST

Updated : Feb 5, 2020, 12:16 PM IST

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रियासत कालीन चौपड़ बनाई जा रही गोल

जयपुर. भले ही यूनेस्को ने हेरिटेज विरासत के आधार पर जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल किया हो, लेकिन जयपुर में चल रहे विकास कार्य हेरिटेज लुक पर बट्टा लगा रहे हैं. खासकर भूमिगत मेट्रो के लिए तोड़ी गई जयपुर की प्राचीन चौपड़ों का दोबारा निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन उनका स्वरूप बदला जा रहा है. यही नहीं इन्हीं चौपड़ों पर मेट्रो के लिए निकाले गए वेंटीलेशन शाफ्ट भी हेरिटेज स्वरूप को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं.

रियासत कालीन चौपड़ बनाई जा रही गोल

वक्त का पहिया घूमता है और हालात बदल जाते हैं. इसका उदाहरण देखने को मिला है जयपुर में. मामला जयपुर की छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ का है. साल 2014-15 में जब चारदीवारी इलाके में जयपुर मेट्रो फेज वन बी के लिए सुरंग खोदने का काम शुरू हुआ, तो इसे गुलाबी नगर के हेरिटेज के लिए खतरा माना गया. इसके बाद रियासत कालीन छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ को तोड़ दिया गया.

खत्म हो रहा मूल स्वरूप और पुराना अंदाज...

हालांकि इनका दोबारा निर्माण किया गया, लेकिन इनमें न तो मूल स्वरूप दिखा और न ही विरासत का अंदाज. यही नहीं जो चौपड़ वर्गाकार हुआ करती थी, उसे अब गोल बनाया जा रहा है. इसके अलावा मेट्रो ट्रेन के लिए बनाए गए वेंटिलेशन शाफ्ट भी छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ पर निकाले गए हैं. इन शाफ्ट के लिए पुराने शहर के बीचो-बीच नया निर्माण किया गया है. इस पर इतिहासकार और शहर के पुराने बाशिंदों ने एतराज भी जताया है. उनका कहना है कि मेट्रो के काम में विरासत से छेड़छाड़ की गई है. यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में जयपुर की चारदीवारी को मान्यता दी है, लेकिन यहां हो रहे निर्माण कार्यों से इसकी छवि पर असर पड़ेगा.

यह भी पढे़ं- Minister साहब की ऐसी मजबूरी...खुद ही मंत्री के दरबार में फरियाद लेकर पहुंच गए

उधर, मेट्रो एमडी मुकेश सिंघल ने प्रशासन का पक्ष रखते हुए कहा कि चौपड़ों पर जो भी निर्माण कार्य किया जा रहा है, वो हेरिटेज कंसलटेंट की सहमति पर ही किया जा रहा है. उन्होंने हेरिटेज को नुकसान की बात को भ्रांति बताया. साथ ही कहा कि एक बार मेट्रो स्टेशन का काम पूरा होने के बाद ये जयपुर की चौपड़ पर चार चांद लगाएंगे. उन्होंने बताया कि चौपड़ों के चारों खंदों में लिफ्ट और एंट्री-एग्जिट गेट बनाए गए हैं. साथ ही टनल के लिए वेंटिलेशन शाफ़्ट लगाए गए हैं. इन सभी को हेरिटेज स्वरूप दिया गया है.

बहरहाल, जयपुर की पहचान रही छोटी-बड़ी चौपड़ विश्व धरोहर का दावा पेश करने का प्रमुख आधार थी, लेकिन चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक चलने वाली अंडर ग्राउंड मेट्रो की कारण इन प्राचीन चौपड़ों को नया रूप दिया गया. ऐसे में विश्व धरोहर का दर्जा हासिल करने वाली जयपुर की चारदीवारी के हेरिटेज लुक पर सीधा असर पड़ रहा है.

जयपुर. भले ही यूनेस्को ने हेरिटेज विरासत के आधार पर जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल किया हो, लेकिन जयपुर में चल रहे विकास कार्य हेरिटेज लुक पर बट्टा लगा रहे हैं. खासकर भूमिगत मेट्रो के लिए तोड़ी गई जयपुर की प्राचीन चौपड़ों का दोबारा निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन उनका स्वरूप बदला जा रहा है. यही नहीं इन्हीं चौपड़ों पर मेट्रो के लिए निकाले गए वेंटीलेशन शाफ्ट भी हेरिटेज स्वरूप को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं.

रियासत कालीन चौपड़ बनाई जा रही गोल

वक्त का पहिया घूमता है और हालात बदल जाते हैं. इसका उदाहरण देखने को मिला है जयपुर में. मामला जयपुर की छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ का है. साल 2014-15 में जब चारदीवारी इलाके में जयपुर मेट्रो फेज वन बी के लिए सुरंग खोदने का काम शुरू हुआ, तो इसे गुलाबी नगर के हेरिटेज के लिए खतरा माना गया. इसके बाद रियासत कालीन छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ को तोड़ दिया गया.

खत्म हो रहा मूल स्वरूप और पुराना अंदाज...

हालांकि इनका दोबारा निर्माण किया गया, लेकिन इनमें न तो मूल स्वरूप दिखा और न ही विरासत का अंदाज. यही नहीं जो चौपड़ वर्गाकार हुआ करती थी, उसे अब गोल बनाया जा रहा है. इसके अलावा मेट्रो ट्रेन के लिए बनाए गए वेंटिलेशन शाफ्ट भी छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ पर निकाले गए हैं. इन शाफ्ट के लिए पुराने शहर के बीचो-बीच नया निर्माण किया गया है. इस पर इतिहासकार और शहर के पुराने बाशिंदों ने एतराज भी जताया है. उनका कहना है कि मेट्रो के काम में विरासत से छेड़छाड़ की गई है. यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में जयपुर की चारदीवारी को मान्यता दी है, लेकिन यहां हो रहे निर्माण कार्यों से इसकी छवि पर असर पड़ेगा.

यह भी पढे़ं- Minister साहब की ऐसी मजबूरी...खुद ही मंत्री के दरबार में फरियाद लेकर पहुंच गए

उधर, मेट्रो एमडी मुकेश सिंघल ने प्रशासन का पक्ष रखते हुए कहा कि चौपड़ों पर जो भी निर्माण कार्य किया जा रहा है, वो हेरिटेज कंसलटेंट की सहमति पर ही किया जा रहा है. उन्होंने हेरिटेज को नुकसान की बात को भ्रांति बताया. साथ ही कहा कि एक बार मेट्रो स्टेशन का काम पूरा होने के बाद ये जयपुर की चौपड़ पर चार चांद लगाएंगे. उन्होंने बताया कि चौपड़ों के चारों खंदों में लिफ्ट और एंट्री-एग्जिट गेट बनाए गए हैं. साथ ही टनल के लिए वेंटिलेशन शाफ़्ट लगाए गए हैं. इन सभी को हेरिटेज स्वरूप दिया गया है.

बहरहाल, जयपुर की पहचान रही छोटी-बड़ी चौपड़ विश्व धरोहर का दावा पेश करने का प्रमुख आधार थी, लेकिन चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक चलने वाली अंडर ग्राउंड मेट्रो की कारण इन प्राचीन चौपड़ों को नया रूप दिया गया. ऐसे में विश्व धरोहर का दर्जा हासिल करने वाली जयपुर की चारदीवारी के हेरिटेज लुक पर सीधा असर पड़ रहा है.

Intro:जयपुर - भले ही यूनेस्को ने हेरिटेज विरासत के आधार पर जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल किया हो। लेकिन जयपुर में चल रहे विकास कार्य हेरिटेज लुक पर बट्टा लगा रहे हैं। खासकर भूमिगत मेट्रो के लिए तोड़ी गई जयपुर की प्राचीन चौपड़ों का पुनर्निर्माण तो कर दिया गया। लेकिन उनका स्वरूप बदला जा रहा है। यही नहीं इन्हीं चौपड़ों पर मेट्रो के लिए निकाले गए वेंटीलेशन शाफ्ट भी हेरिटेज स्वरूप को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं।


Body:वक्त का पहिया घूमता है, और हालात बदल जाते हैं। इसका उदाहरण देखने को मिला है जयपुर में। मामला जयपुर की छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ का है। साल 2014-15 में जब चारदीवारी इलाके में जयपुर मेट्रो फेज वन बी के लिए सुरंग खोदने का काम शुरू हुआ, तो इसे गुलाबी नगर के हेरिटेज के लिए खतरा माना गया। इसके बाद रियासत कालीन छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ को तोड़ दिया गया। हालांकि इनका पुनर्निर्माण किया गया। लेकिन इनमें ना तो मूल स्वरूप दिखा और ना ही विरासत का अंदाज़। यही नहीं जो चौपड़ वर्गाकार हुआ करती थी उसे अब गोल बनाया जा रहा है। इसके अलावा मेट्रो ट्रेन के लिए बनाए गए वेंटिलेशन शाफ्ट भी छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ पर निकाले गए हैं। इन शाफ़्ट के लिए पुराने शहर के बीचो-बीच नया निर्माण किया गया है। जिस पर इतिहासकार और शहर के पुराने बाशिंदों ने एतराज भी जताया है। उनका कहना है कि मेट्रो के काम में विरासत से छेड़छाड़ की गई है। यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में जयपुर की चारदीवारी को मान्यता दी है। लेकिन यहां हो रहे निर्माण कार्यों से इसकी छवि पर असर पड़ेगा।
बाईट - देवेंद्र भगत, इतिहासकार
बाईट - राजेन्द्र गुप्ता, व्यापार मंडल अध्यक्ष, त्रिपोलिया बाजार

उधर, मेट्रो एमडी मुकेश सिंघल ने प्रशासन का पक्ष रखते हुए कहा कि चौपड़ों पर जो भी निर्माण कार्य किया जा रहा है, वो हेरिटेज कंसलटेंट की सहमति पर ही किया जा रहा है। उन्होंने हेरिटेज को नुकसान की बात को भ्रांति बताया। साथ ही कहा कि एक बार मेट्रो स्टेशन का काम पूरा होने के बाद ये जयपुर की चौपड़ पर चार चांद लगाएंगे। उन्होंने बताया कि चौपड़ों के चारों खंदों में लिफ्ट और एंट्री/एग्जिट गेट बनाए गए हैं। साथ ही टनल के लिए वेंटिलेशन शाफ़्ट लगाए गए हैं। इन सभी को हेरिटेज स्वरूप दिया गया है।
बाईट - मुकेश सिंघल, एमडी, जयपुर मेट्रो


Conclusion:बहरहाल, जयपुर की पहचान रही छोटी-बड़ी चौपड़ विश्व धरोहर का दावा पेश करने का प्रमुख आधार थी। लेकिन चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक चलने वाली अंडर ग्राउंड मेट्रो की कारण इन प्राचीन चौपड़ों को नया रूप दिया गया। ऐसे में विश्व धरोहर का दर्जा हासिल करने वाली जयपुर की चारदीवारी के हेरिटेज लुक पर सीधा असर पड़ रहा है।
Last Updated : Feb 5, 2020, 12:16 PM IST
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