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जयपुरः नए एडवोकेट वेलफेयर फंड कानून के विरोध में न्यायिक बहिष्कार कल - rajasthan news

जयपुर संभाग के वकीलों की ओर से गुरुवार को बनीपार्क स्थित जिला न्यायालय में साधारण सभा की बैठक बुलाई गई. साथ ही नए एडवोकेट वेलफेयर फंड एक्ट के विरोध में शुक्रवार को जयपुर के वकील 1 दिन का सांकेतिक न्यायिक बहिष्कार करेंगे. वहीं शनिवार को बैठक कर आंदोलन की आगामी रणनीति तय की जाएगी.

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शुक्रवार को न्यायिक बहिष्कार
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Published : Mar 12, 2020, 11:54 PM IST

जयपुर. नए एडवोकेट वेलफेयर फंड एक्ट के विरोध में शुक्रवार को जयपुर के वकील 1 दिन का सांकेतिक न्यायिक बहिष्कार करेंगे. वहीं शनिवार को बैठक कर आंदोलन की आगामी रणनीति तय की जाएगी.

शुक्रवार को न्यायिक बहिष्कार

जयपुर संभाग के वकीलों की ओर से गुरुवार को बनीपार्क स्थित जिला न्यायालय में साधारण सभा की बैठक बुलाई गई. बैठक में बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के चेयरमैन सहित जयपुर से जुड़े सभी सदस्य मौजूद रहे. चेयरमैन सहित सभी वकीलों ने एक सुर में संशोधित वेलफेयर कानून का विरोध किया. वहीं मामले में सामने आया कि संशोधन अधिनियम से पहले महाधिवक्ता ने इस पर अपनी सहमति दे दी थी.

इस पर वकीलों ने महाधिवक्ता के खिलाफ भी निंदा प्रस्ताव पारित किया है. साधारण सभा में प्रस्ताव पारित किया गया कि आजीवन सदस्यता शुल्क नहीं बढ़ाया जाए और चेयरमैन और महाधिवक्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाए.

पढ़ेंः जयपुर : स्लीपर कोच बस और ट्रक की भिड़ंत में 2 की मौत, 6 घायल

राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव अंशुमान सक्सेना ने बताया कि नए कानून के तहत वेलफेयर फंड में आजीवन अंशदान ₹17500 से बढ़ाकर ₹100000 कर दिए गए हैं. इसके बदले 40 साल की वकालत के बाद वकील को ₹1500000 देने का प्रावधान किया गया है.

जबकि बैंक ही 40 साल में ₹100000 के ₹3000000 से अधिक की राशि दे देता है. इसके अलावा वकालतनामा की फीस ₹25 से बढ़ाकर ₹200 कर दी गई है. जिसके चलते एसोसिएशन अपने स्तर पर कोई वेलफेयर स्कीम नहीं ला पाएगा. वहीं वेलफेयर फंड में किसी तरह की सरकारी सहायता भी नहीं है.

जयपुर. नए एडवोकेट वेलफेयर फंड एक्ट के विरोध में शुक्रवार को जयपुर के वकील 1 दिन का सांकेतिक न्यायिक बहिष्कार करेंगे. वहीं शनिवार को बैठक कर आंदोलन की आगामी रणनीति तय की जाएगी.

शुक्रवार को न्यायिक बहिष्कार

जयपुर संभाग के वकीलों की ओर से गुरुवार को बनीपार्क स्थित जिला न्यायालय में साधारण सभा की बैठक बुलाई गई. बैठक में बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के चेयरमैन सहित जयपुर से जुड़े सभी सदस्य मौजूद रहे. चेयरमैन सहित सभी वकीलों ने एक सुर में संशोधित वेलफेयर कानून का विरोध किया. वहीं मामले में सामने आया कि संशोधन अधिनियम से पहले महाधिवक्ता ने इस पर अपनी सहमति दे दी थी.

इस पर वकीलों ने महाधिवक्ता के खिलाफ भी निंदा प्रस्ताव पारित किया है. साधारण सभा में प्रस्ताव पारित किया गया कि आजीवन सदस्यता शुल्क नहीं बढ़ाया जाए और चेयरमैन और महाधिवक्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाए.

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राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव अंशुमान सक्सेना ने बताया कि नए कानून के तहत वेलफेयर फंड में आजीवन अंशदान ₹17500 से बढ़ाकर ₹100000 कर दिए गए हैं. इसके बदले 40 साल की वकालत के बाद वकील को ₹1500000 देने का प्रावधान किया गया है.

जबकि बैंक ही 40 साल में ₹100000 के ₹3000000 से अधिक की राशि दे देता है. इसके अलावा वकालतनामा की फीस ₹25 से बढ़ाकर ₹200 कर दी गई है. जिसके चलते एसोसिएशन अपने स्तर पर कोई वेलफेयर स्कीम नहीं ला पाएगा. वहीं वेलफेयर फंड में किसी तरह की सरकारी सहायता भी नहीं है.

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