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जयपुर में 'भारत बंद' बेअसर, किसानों ने जबरन बंद कराई कुछ दुकानें

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने शुक्रवार को 'भारत बंद' का ऐलान किया था. जयपुर में इसका असर कम ही देखने को मिला. मजदूर यूनियन और किसानों ने एमआई रोड पर जबरन कुछ दुकानें बंद कराई.

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जयपुर में भारत बंद बेअसर
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Published : Mar 26, 2021, 8:43 PM IST

जयपुर. केंद्र सरकार की तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से शुक्रवार को भारत बंद का ऐलान किया गया. इस 'भारत बंद' का असर जयपुर में देखने को नहीं मिला. कुछ मजदूर यूनियनों और किसानों ने शहीद स्मारक पर कृषि कानूनों एवं श्रम विरोधी नीतियों को लेकर प्रदर्शन किया और रैली निकाली. रैली के दौरान औपचारिकता के तौर पर एमआई रोड स्थित कुछ दुकानों को जबरन बंद कराया गया.

जयपुर में भारत बंद बेअसर

पढ़ें- भारत बंद के दौरान पंजाब बॉर्डर पर किसानों ने लगाया जाम, नाका लगाकर बंद किया आवागमन

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान नेता राकेश टिकैत ने 23 मार्च को जयपुर स्थित विद्याधर नगर में हुई किसान महापंचायत में 26 मार्च भारत बंद का ऐलान किया था. इस भारत बंद का असर जयपुर में कहीं देखने को नहीं मिला. जयपुर के शहीद स्मारक पर कुछ किसान और मजदूर यूनियन के पदाधिकारी विरोध जताने के लिए जरूर पहुंचे.

इंटक, एटक और सीटू सहित अन्य मजदूर यूनियनों के पदाधिकारी सरकार की श्रम विरोधी नीतियों और कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचे थे. इस प्रदर्शन में किसानों की संख्या नाम मात्र ही थी. शहीद स्मारक से प्रदर्शनकारी रैली के रूप में निकले और एमआई रोड पर कुछ दुकानों को जबरन भी बंद कराया. रैली के आगे निकलते ही दुकानदारों ने दुकानें वापस खोल ली.

पढ़ें- भारत बंद पर जोधपुर में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन, केंद्र सरकार से कानून वापस लेने की मांग

किसान यूनियन के महासचिव कैलाश चंद्र घुमरिया ने बताया कि शहर में भारत बंद का असर कम है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में भारत बंद पूरी तरह से सफल है. कृषि मंडी पूरी तरह से बंद रहा. कृषि मंडियों के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने भी इस बंद को अपना समर्थन दिया है. प्रदर्शन में कम लोग शामिल होने पर कैलाश चंद घूमरिया ने कहा कि वर्तमान में कोरोना का संकट चल रहा है, इसको देखते हुए भी कम लोग इस प्रदर्शन में शामिल हुए हैं. खेतों में फसल कटाई का समय चल रहा है, इसलिए भी कम संख्या में किसान शामिल हुए हैं.

घूमरिया ने कहा कि सभी विभागीय और जातिगत संगठनों ने किसानों के इस भारत बंद को अपना समर्थन दिया है. भारत बंद के दौरान हिंसा नहीं हो और सभी लोग अनुशासन में रहे इसका विशेष तौर पर ध्यान रखा गया. बंद के दौरान किसी राष्ट्रीय एवं निजी संपत्ति का नुकसान नहीं हुआ.

निजीकरण को लेकर भी घूमरिया ने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अब निजीकरण पर उतर आई है. कृषि कानून भी निजीकरण की शुरुआत है. सरकार सभी संपत्तियां निजी हाथों में सौंपने जा रही है. निजीकरण के स्थान पर सरकार को अपना मैनेजमेंट सही करना चाहिए और भ्रष्टाचार रोकना चाहिए. जब प्राइवेट लोग कंपनी चला सकते हैं तो सरकार क्यों नहीं चला सकती.

पढ़ें- बूंदी: भारत बंद के दौरान किसान और व्यापारी आपस में भिड़े, किसानों के विरोध में व्यापारियों ने किया प्रदर्शन

सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू ने कहा कि किसानों ने शुक्रवार को भारत बंद का ऐलान किया. साथ ही श्रमिक संगठनों की ओर से भी 24, 25 और 26 मार्च को केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है. मजदूर हो चाहे किसान सब की बात एक ही है. बंद में किसी भी व्यक्ति को परेशानी नहीं हो और कोई भी चीज बाधित ना हो इसलिए विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा गया था. जयपुर शहर के अलावा बाहर बंद पूरी तरह से सफल रहा.

जयपुर. केंद्र सरकार की तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से शुक्रवार को भारत बंद का ऐलान किया गया. इस 'भारत बंद' का असर जयपुर में देखने को नहीं मिला. कुछ मजदूर यूनियनों और किसानों ने शहीद स्मारक पर कृषि कानूनों एवं श्रम विरोधी नीतियों को लेकर प्रदर्शन किया और रैली निकाली. रैली के दौरान औपचारिकता के तौर पर एमआई रोड स्थित कुछ दुकानों को जबरन बंद कराया गया.

जयपुर में भारत बंद बेअसर

पढ़ें- भारत बंद के दौरान पंजाब बॉर्डर पर किसानों ने लगाया जाम, नाका लगाकर बंद किया आवागमन

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान नेता राकेश टिकैत ने 23 मार्च को जयपुर स्थित विद्याधर नगर में हुई किसान महापंचायत में 26 मार्च भारत बंद का ऐलान किया था. इस भारत बंद का असर जयपुर में कहीं देखने को नहीं मिला. जयपुर के शहीद स्मारक पर कुछ किसान और मजदूर यूनियन के पदाधिकारी विरोध जताने के लिए जरूर पहुंचे.

इंटक, एटक और सीटू सहित अन्य मजदूर यूनियनों के पदाधिकारी सरकार की श्रम विरोधी नीतियों और कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचे थे. इस प्रदर्शन में किसानों की संख्या नाम मात्र ही थी. शहीद स्मारक से प्रदर्शनकारी रैली के रूप में निकले और एमआई रोड पर कुछ दुकानों को जबरन भी बंद कराया. रैली के आगे निकलते ही दुकानदारों ने दुकानें वापस खोल ली.

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किसान यूनियन के महासचिव कैलाश चंद्र घुमरिया ने बताया कि शहर में भारत बंद का असर कम है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में भारत बंद पूरी तरह से सफल है. कृषि मंडी पूरी तरह से बंद रहा. कृषि मंडियों के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने भी इस बंद को अपना समर्थन दिया है. प्रदर्शन में कम लोग शामिल होने पर कैलाश चंद घूमरिया ने कहा कि वर्तमान में कोरोना का संकट चल रहा है, इसको देखते हुए भी कम लोग इस प्रदर्शन में शामिल हुए हैं. खेतों में फसल कटाई का समय चल रहा है, इसलिए भी कम संख्या में किसान शामिल हुए हैं.

घूमरिया ने कहा कि सभी विभागीय और जातिगत संगठनों ने किसानों के इस भारत बंद को अपना समर्थन दिया है. भारत बंद के दौरान हिंसा नहीं हो और सभी लोग अनुशासन में रहे इसका विशेष तौर पर ध्यान रखा गया. बंद के दौरान किसी राष्ट्रीय एवं निजी संपत्ति का नुकसान नहीं हुआ.

निजीकरण को लेकर भी घूमरिया ने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अब निजीकरण पर उतर आई है. कृषि कानून भी निजीकरण की शुरुआत है. सरकार सभी संपत्तियां निजी हाथों में सौंपने जा रही है. निजीकरण के स्थान पर सरकार को अपना मैनेजमेंट सही करना चाहिए और भ्रष्टाचार रोकना चाहिए. जब प्राइवेट लोग कंपनी चला सकते हैं तो सरकार क्यों नहीं चला सकती.

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सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू ने कहा कि किसानों ने शुक्रवार को भारत बंद का ऐलान किया. साथ ही श्रमिक संगठनों की ओर से भी 24, 25 और 26 मार्च को केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है. मजदूर हो चाहे किसान सब की बात एक ही है. बंद में किसी भी व्यक्ति को परेशानी नहीं हो और कोई भी चीज बाधित ना हो इसलिए विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा गया था. जयपुर शहर के अलावा बाहर बंद पूरी तरह से सफल रहा.

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