जयपुर. राजस्थान में एक ओर कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता लगातार बीते दो साल से अपने लिए राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं तो दूसरी ओर उन्हें अपने प्रभारी अजय माकन की ओर से 31 जनवरी की दी गई तारीख के बाद अब 15 फरवरी की नई तारीख दे दी गई है. प्रदेश प्रभारी ने कांग्रेस के सभी संभाग और जिला प्रभारियों को 10 फरवरी तक लिस्ट बनाकर नाम प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंपने के निर्देश दे दिए हैं. संगठन के पदाधिकारियों ने यह काम शुरू भी कर दिया है, लेकिन अभी पहले चरण में 10 जिला स्तरीय और 5 उपखंड स्तरीय समितियों में ही नियुक्तियां दी जाएंगी.
दरअसल, राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने 3 फरवरी को प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक में यह निर्देश दे दिए थे कि राजस्थान में सियासी नियुक्तियों के लिए 10 फरवरी तक वह अपने जिलों से नाम लेकर आएं और उसकी लिस्ट प्रदेश कांग्रेस को सौंप दें. लेकिन अब यह साफ हो गया है कि प्रदेश पदाधिकारियों को 85 कमेटियों के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं के नाम नहीं मांगकर 15 कमेटियों के लिए ही नियुक्तियों के लिए नाम मांगे हैं. इसका मतलब साफ है कि शुरुआती चरण में 30,000 की जगह करीब 10,000 राजनीतिक नियुक्तियां ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दी जाएंगी. इसके साथ ही प्रदेश में जिला परिषद पंचायत समिति और स्थानीय निकायों में नेता प्रतिपक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर भी नियुक्तियां दी जाएंगी.
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इन 15 कमेटियों के लिए प्रदेश पदाधिकारियों से मांगे गए नाम...
राजस्थान में ऐसी कुल 85 समितियां हैं, जिनमें राजनीतिक नियुक्तियां मिलती हैं और उनकी संख्या को देखा जाए तो करीब 30 से 35 हजार पूरे प्रदेश में राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय और उपखंड स्तरीय नियुक्तियां दी जाती हैं. लेकिन अभी कांग्रेस पदाधिकारी 15 समितियों के लिए ही यह नाम लेकर आएंगे, जिसमें करीब 10,000 कांग्रेस कार्यकर्ता खपाए जाएंगे.
जिला स्तरीय समिति का नाम...
- जन अभाव अभियोग निराकरण समिति- जिला स्तरीय इस समिति में करीब 20 से 30 मेंबर बनाए जाते हैं, जिनमें दो नियुक्तियां उस जिले के दो प्रधानों को दी जाती है.
- जिला स्तरीय समन्वय समिति (सहकारिता विभाग)- इस समिति में भी 20 से 25 मेंबर होते हैं. इस समिति के 2 भाग होते हैं. एक में क्रय विक्रय सहकारी समिति के अध्यक्ष समेत 25 मेंबर बनाए जाते हैं तो वहीं जिला परिषद प्रतिनिधि भी 25 की संख्या में बनाए जाते हैं.
- जिला स्तरीय समीक्षा एवं संचालन समिति (आयुक्त मिड डे मील)- इस समिति में तीन हिस्से हैं. हर समिति में 20 मेंबर होते हैं. इन तीनों समितियों में जिला कलेक्टर अध्यक्ष होते हैं तो वहीं एक समिति में पंचायत समिति के 3 सदस्यों को दूसरी समिति में स्थानीय निकायों के दो पार्षदों को और तीसरी समिति में 3 जिला स्तरीय सदस्य बनाए जाते हैं.
- जिला लोक शिक्षा (कोटा जिले को छोड़कर)- यह 32 जिलों में बनाई जाती है, जिसमें करीब 20 सदस्य होते हैं और हर समिति में जिले की पंचायत समिति में से 4 प्रधान लेने जरूरी होते हैं. जिनमें से 50 फीसदी महिलाएं होती हैं तो वहीं इसी कमेटी में चयनित ग्राम पंचायत के 4 सरपंच लिए जाएंगे, जिनमें 50 फीसदी महिलाएं होंगी.
- प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम हेतु जिला स्तरीय समिति अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ विभाग- इस कमेटी में स्वास्थ्य जिला परिषद में पंचायती राज संस्थाओं के 3 प्रतिनिधि राज्य सरकार द्वारा मनोनीत होते हैं.
- जिला स्तरीय जल वितरण समिति.
- संभाग स्तरीय जल वितरण समिति- इसमें चयनित सरपंच एवं कृषक शामिल होते हैं.
- जिला महिला सहायता समिति- इसमें जिला परिषद सदस्य, जिला प्रमुख द्वारा मनोनीत महिला सदस्य, पार्षद जिला मुख्यालय पर स्थित नगर निकाय अध्यक्ष द्वारा मनोनीत महिला सदस्य होते हैं.
- जिला क्रीड़ा परिषद समिति- इसमें दो प्रधान भी मनोनीत होते हैं.
- 20 सूत्री कार्यक्रम- इसमें पंचायत समिति और प्रभारी मंत्री की सलाह पर मुख्यमंत्री सदस्य बनाते हैं.
- जिला स्तरीय समितियों में सभी 33 जिलों में कार्यकर्ता लिए जाएंगे और करीब 15 सौ नियुक्तियां जिला स्तरीय समितियों में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को मिलेंगी.
उपखंड स्तरीय समितियां...
- उपखंड स्तरीय सतर्कता समिति खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग पंचायत समिति के 2 पंचायत समिति सदस्य और स्थानीय निकायों के 2 सदस्य राज्य सरकार द्वारा मनोनीत होते हैं.
- उपखंड स्तरीय वन अधिकारी समिति इसमें उपखंड पंचायत समिति के 2 सदस्य होते हैं.
- उपखंड स्तरीय समीक्षा एवं संचालन समिति इसमें ग्राम पंचायत के 3 वार्ड प्रतिनिधि स्थानीय निकाय के दो पार्षद और तीन पंचायत समिति सदस्य होते हैं.
- पेय जल प्रदूषण की रोकथाम हेतु समिति इसमें स्थानीय निकायों के 2 सदस्य राज्य सरकार द्वारा मनोनीत होते हैं तो वहीं पंचायत समिति के 2 सदस्य भी इसमें ग्रामीण स्तर पर बनाए जाते हैं.
- उपखंड स्तरीय जल वितरण समिति- इसमें संबंधित पंचायत समिति के प्रधान शामिल होते हैं. ऐसे में उपखंड स्तर पर कुल 7,600 नियुक्तियां की जाएंगी.
नेता प्रतिपक्ष और उपाध्यक्ष भी बनाए जाएंगे पंचायत समितियों, जिला परिषद और नगर निकायों में...
इन समितियों में बड़ी तादाद में चुने हुए सदस्य शामिल होंगे. ऐसे में साफ है कि जिन नेताओं ने टिकट लिया और वह चुनाव जीते उनमें से बड़ी संख्या में चुने हुए कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को मौका मिलेगा. वहीं, जिन नेताओं ने टिकट लिया और वह चुनाव हार गए, उन्हें राजनीतिक नियुक्तियां भी नहीं मिलेंगी. इसके साथ ही उन कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को इन समितियों में मौका दिया जाएगा, जिन्होंने कांग्रेस पार्टी को जिताने के लिए एक कार्यकर्ता के तौर पर काम किया.