जयपुर. एक व्यक्ति को उम्र के हर पड़ाव में शिक्षक की जरूरत (Teachers Day 2022) होती है. फिर चाहे उम्र के पहले पड़ाव में मां हो या अंतिम पड़ाव में एक पंडित. यानी जीवन में कई लोग शिक्षक की भूमिका निभाते हैं. ऐसे ही एक शिक्षक हैं आईएएस महेंद्र सोनी, जो सिविल सर्विसेज या दूसरी बड़ी परीक्षाओं में बैठने वाले अभ्यर्थियों के मन से अंग्रेजी भाषा के डर को निकाल उन्हें आगे बढ़ाने के प्रयास में जुटे हुए हैं.
1980 में ही जान ली अंग्रेजी की महत्ता : आईएएस महेंद्र सोनी ने बतौर शिक्षक ईटीवी भारत से अपने सफर को साझा करते हुए बताया कि 1980 में वो खुद प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे. उस दौरान जहन में आया कि जो लोग करियर को ऊंचे मुकाम पर ले जाना चाहते हैं, उनमें क्या कमी रह जाती होगी. उन्होंने जाना कि एमबीए, आईआईएम, आईआईटी, स्टेट या यूनियन सिविल सर्विसेज में सेवाएं देना चाहते हैं या कोई और हाई लेवल का एग्जाम देना चाहते हैं, उनमें आत्मविश्वास कम रहता है. कारण ज्ञात हुआ कि कुछ अभ्यर्थियों की अंग्रेजी पर कमांड नहीं होती. इसकी वजह से उनमें आत्मविश्वास की कमी आती है. चूकि संकल्प शक्ति और आत्मविश्वास सफलता के दो महत्वपूर्ण पिलर होते हैं और इसमें इंग्लिश की बड़ी भूमिका रहती है.
इंग्लिश को बताया मोड ऑफ कम्युनिकेशन : महेंद्र सोनी ने कहा कि हिंदी भाषा बोलिए, स्थानीय भाषा बोलिए, लेकिन इंग्लिश से डरिए मत. क्योंकि इंग्लिश पूरी दुनिया के लिए एक मोड ऑफ कम्युनिकेशन हैं. प्रोफेशनल कोर्स भी इंग्लिश में ही होते हैं और प्राइवेट सेक्टर में भी इंग्लिश की भूमिका रहती है. यूपीएससी से लेकर के नॉर्मल कोर्स तक इंग्लिश से वास्ता पड़ता ही है. ऐसे में इंग्लिश स्किल भी होनी चाहिए, ताकि दुनिया के किसी भी देश में जाने से पहले आप में बिल्कुल भी हिचकिचाहट ना हो.
30 साल से जारी है अभ्यर्थियों को अंग्रेजी के गुर सिखाने का सफर : आईएएस महेंद्र सोनी में कहा कि ये जरूरी नहीं कि (Students of Civil Services in Rajasthan) जिसकी इंग्लिश कमजोर हो वो इंटेलिजेंट ना हो. यदि इंग्लिश को भी थोड़ा निखार ले तो ये उनका प्लस स्किल होगा. यही वजह है कि बीते 30 साल से वो लगातार उन अभ्यर्थियों से जुड़े हुए हैं, जो हायर लेवल का एग्जाम फाइट कर रहे हैं और इस समस्या से जूझते हैं.
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10वीं तक खुद भी नहीं थे अंग्रेजी में कुशल : महेंद्र सोनी जब 10th क्लास में थे, तब वो खुद भी इंग्लिश में कुशल नहीं थे. किन्ही कारणों से ये धारणा बनी कि एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज में जाना है. ऐसे में इंग्लिश सीखना शुरू किया. उन्होंने कहा कि (IAS Mahendra Soni Great Initiatives) इंग्लिश कभी फॉर्मल लैंग्वेज नहीं रही, लेकिन उनके दोस्त जो इस विषय से जुड़े हुए थे, उनके साथ इंटरेक्शन करने से उन्हें फायदा मिला.
एसडीएम को यूपीएससी कराया फाइट आज हैं IRS : अब तक सैकड़ों अभ्यर्थियों को अंग्रेजी का पाठ पढ़ा चुके महेंद्र सोनी ने कहा कि उनसे जुड़ने वाला पहला शख्स कौन था, ये तो याद नहीं. लेकिन एक व्यक्ति जरूर ऐसा कांटेक्ट में आया था जो खुद एमए इंग्लिश था, लेकिन स्पोकन इंग्लिश, रिटन इंग्लिश और वोकैबलरी कुछ भी अच्छी नहीं थी. तब उसे भी इंग्लिश को लेकर प्रेरित किया. वहीं, उनके साथ काम कर रहे एक एसडीएम को यूपीएससी फाइट करने के लिए प्रेरित किया और आज वो आईआरएस हैं. उन्होंने कहा कि 30 साल से वो लगातार ये काम कर रहे हैं और अब इसे एक साधना के तौर पर देखते हैं. दूसरों को सिखाने के साथ-साथ खुद भी सीख रहे हैं, ये काम उन्हें उर्जा भी प्रदान करता है.
रिटायरमेंट के बाद लाइफ मंत्र देने की है इच्छा : उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद निश्चित रूप से ही कोशिश करेंगे कि लोगों को कॉन्फिडेंस और विल पावर का मंत्र देते रहें. वो आध्यात्म भी काफी पढ़ते हैं, इसलिए लाइफ मंत्र देना चाहेंगे. अभी भी ट्रेनी ऑफिसर्स के साथ वो इंटरेक्ट करते हैं और यह इंटरेक्शन आफ्टर रिटायरमेंट भी जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि आदमी कैसे मुस्कुराता हुआ रहे, कैसे पॉजिटिव रहे, दूसरों से कम उम्मीद करते हुए ज्यादा देने का प्रयास करे, जीवन में प्लीज, सॉरी और थैंक्यू जैसे शब्दों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करे ऐसे लाइफ मंत्र वो आगे भी अपने इंटरेक्शन में शामिल करेंगे.
इंग्लिश का नहीं कोई मेडिसिन, जितना सुनेंगे पड़ेंगे और स्माल करेंगे उतना फायदेमंद : आखिर में उन्होंने ईटीवी भारत के दर्शकों के लिए टिप्स देते हुए कहा कि इंग्लिश का स्पून फीडिंग नहीं हो सकता और ना ही इसकी कोई मेडिसिन बनी है. जितना आप इसे पढ़ेंगे, जितना सुनेंगे और जितना इस्तेमाल करेंगे, उतना फायदेमंद होगा. यही नहीं, यदि हिंदी सॉन्ग को इंग्लिश में ट्रांसलेट करना शुरू करेंगे तो ये एक अल्टीमेट ट्रिक होगी. लेकिन इसमें शाब्दिक प्रयोग ना करते हुए उसके भावार्थ को समझते हुए इंग्लिश में प्रयोग करें और जब आप इसके पीछे छिपे हुए शब्दों को खोजेंगे तो एक आदत बन जाएगी. और फिर जिस तरह खेलने में मजा आता है, उसी तरह इंग्लिश को बोलने, पढ़ने, सीखने, समझने में भी मजा आने लगेगा.