जयपुर. 'तबादला', यह शब्द किसी के लिए खुशी तो किसी के लिए गम का सबब बन जाता है. कभी कोई तबादला होने से खुश या नाखुश होता है तो तबादला नहीं होना भी कभी किसी की मायूसी का कारण बन जाता है. यही हालात आजकल प्रदेशभर के कई शिक्षकों के हैं. हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि क्लास रूम में बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षक खुद सड़क पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन करने को मजबूर हैं.
बीते कुछ दिनों में तबादला सूची जारी करने की मांग को लेकर राजस्थान के वरिष्ठ शिक्षक पैदल मार्च निकाल चुके हैं और शहीद स्मारक पर धरना भी दे चुके हैं. एक शिक्षक नेता अनशन पर बैठ चुके हैं और एक बार शिक्षकों से जुड़े संगठनों के आह्वान पर कर्मचारी संघ के बैनर तले प्रदेशभर के कई शिक्षक धरना-प्रदर्शन भी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार के दरबार में इन शिक्षकों की सुनवाई नहीं हुई है. कुछ दिन पहले तक शिक्षकों के तबादलों के लिए नीति बनाने का दावा करने वाले शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा तो यहां तक कह चुके हैं कि तबादला शिक्षकों का अधिकार नहीं है, जिसके लिए धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है.
सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का एलान...
दरसअल, राजस्थान के वरिष्ठ शिक्षक (शिक्षक ग्रेड-2) की शिकायत यह है कि उनसे तबादले के लिए दो बार आवेदन लेने के लिए बाद भी उनकी तबादला सूची जारी नहीं हुई है. इससे भी बड़ी पीड़ा यह है कि शिक्षा मंत्री की विधानसभा सीट लक्ष्मणगढ़ के ही शिक्षकों की तबादला सूची बीते दिनों जारी की गई. जबकि प्रदेशभर के बाकी शिक्षक अपनी तबादला सूची का इंतजार ही करते रह गए. अब शिक्षकों ने प्रदेश की चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने तक का एलान कर दिया है.
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शिक्षा विभाग में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का आरोप...
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को दो साल से ज्यादा का समय हो गया है. इस दौरान शिक्षक ग्रेड-3 के तबादले नहीं किए गए हैं. शिक्षक ग्रेड-2 के तबादलों में भी भेदभाव किया गया. उनका आरोप है कि शिक्षा मंत्री के लिए अपना विधानसभा क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ ही राजस्थान हो गया है. वहीं, पर शिक्षकों के तबादले हुए हैं. वे बताते हैं कि कई शिक्षक बीते 10-15 साल से लगातार घर से 500-700 किमी दूर सेवा दे रहे हैं. उन्होंने शिक्षा विभाग में तबादलों के लिए पैसे वसूले जाने का भी आरोप लगाया और कहा कि तबादले के मामलों में शिक्षा विभाग में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है. जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की जाएगी. उन्होंने तबादला नीति बनाने और पारदर्शी तरीके से शिक्षकों के तबादले करने की भी मांग रखी है.
उपचुनाव में कांग्रेस को सबक सिखाने की चेतावनी...
राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ (रेस्टा) के प्रदेशाध्यक्ष भैरुराम चौधरी का कहना है कि शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य और व्याख्याताओं के तबादले हो रहे हैं, लेकिन शिक्षक ग्रेड-2 से दो बार आवेदन लेने के बाद भी तबादला सूची जारी नहीं की गई. भेदभावपूर्ण सूचियां जारी हुईं और केवल लक्ष्मणगढ़ के शिक्षकों के तबादले किए गए. उन्होंने चेतावनी भी दी कि आगामी दिनों में चार विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में वे कांग्रेस को सबक सिखाएंगे.
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मजबूरी है, इसलिए लगा रहे गुहार...
वरिष्ठ शिक्षक बलजीत यादव बताते हैं कि वे 2005 से जालोर में कार्यरत हैं. उनका कहना है कि पोस्टिंग घर से काफी दूर होने के कारण बुजुर्ग माता-पिता से दूर रहना पड़ रहा है. जबकि वह अपने माता-पिता की एकमात्र संतान हैं. वे लंबे समय से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनका तबादला नहीं हो पाया है. शिक्षक ग्रेड-2 नरेश कुमारी का कहना है कि उनकी पोस्टिंग घर से करीब 600 किमी दूर है. कई बार प्रयास करने के बाद भी उनका तबादला नहीं हुआ है. बच्चे छोटे से बड़े होकर अब शादी के लायक हो गए हैं, लेकिन तबादला अभी तक नहीं हुआ है. उनका कहना है कि वह खुद बीमार रहती हैं. बुजुर्ग माता और सास-ससुर भी बीमार रहते हैं, लेकिन नौकरी के लिए घर से दूर रहने के चलते वह उनकी भी देखभाल नहीं कर पाती हैं. लंबे समय से हर स्तर पर गुहार लगाने के बाद भी अभी तक उनका तबादला नहीं हुआ है.
शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने क्या कहा...
हालांकि, शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा का कहना है कि तबादला किसी भी कर्मचारी का अधिकार नहीं है. ट्रांसफर के लिए कोई आदमी आंदोलन करे यह सही नहीं है. कर्मचारी अपने तबादले की मांग तो कर सकता है, लेकिन वो इसे आंदोलन का रूप दे यह तो गलत बात है. हालांकि, उनका यह भी कहना है कि सरकार सभी वर्गों को साथ रखकर उनकी जो समस्याएं हैं. बॉर्डर इलाके में जो शिक्षक ग्रेड-3 लगे हुए हैं. शिक्षिकाएं लगी हुई हैं. उन सबके लिए सरकार ने तबादला नीति का मसौदा तैयार किया है, जो मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजा हुआ है. फिलहाल तीन आंदोलन के बाद भी अभी तक इस दिशा में सरकार की तरफ से शिक्षकों को कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है.