ETV Bharat / city

राजस्थान में गुरु जी की बच्चों पर मार बिगाड़ सकती है भविष्य, मनोचिकित्सक ने जताई चिंता

राजस्थान में पिछले दिनों में स्कूलों में छात्रों से शिक्षकों की मारपीट के मामले बढ़े हैं. इसके बाद प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. ईटीवी भारत ने मनोचिकित्सक अनिता गौतम से बात की, जिसमें उन्होंने चिंता जताई कि इस तरह बच्चों की पिटाई का उनके दिमाग पर गलत असर पड़ता है. Teacher beating Students cases in Rajasthan

Psychiatrist on Physical punishment in School
Psychiatrist on Physical punishment in School
author img

By

Published : Aug 29, 2022, 1:40 PM IST

Updated : Aug 29, 2022, 1:47 PM IST

जयपुर. राजस्थान में स्कूली छात्रों से अध्यापकों की मारपीट के मामलों (Teacher beating Students cases in Rajasthan) में इजाफा देखा गया है, इससे शिक्षा व्यवस्था पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं. जालौर के बाद उदयपुर, दौसा, पाली और बाड़मेर की घटनाओं ने यह चर्चा तेज कर दी है कि क्या स्कूली बच्चों के साथ मारपीट सही है? क्या राजस्थान में गुरु जी की बच्चों पर मार उनकी शिक्षा पर बेहतर असर डालेगी या इसके नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मनोचिकित्सक डॉक्टर अनिता गौतम से बात की (Psychiatrist on Physical punishment in School) और जाना कि स्कूलों में बेहतर शिक्षा के लिए अध्यापकों का व्यवहार आखिर कैसा होना चाहिए.

इन घटनाओं ने किया शर्मसार: अगस्त माह की शुरुआत में जालोर के सुराणा गांव में छात्र इंद्र मेघवाल की पिटाई के बाद इलाज के दौरान मौत के बाद प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हुए थे. इस दौरान चर्चा तेज हुई कि क्या स्कूल परिसर में अनुशासन और शिक्षा के नाम पर बच्चों के साथ की जाने वाली पिटाई को सही ठहराया जा सकता है. इस घटना के बाद उदयपुर में कक्षा के दौरान किसी अन्य छात्र से पूछे गए सवाल का जवाब देने पर छात्र का सिर पकड़ कर टेबल पर मारने से उसके दांत टूटने की घटना, वल्लभनगर में छात्र के साथ क्लास में चिप्स खाने पर बेरहमी से मारपीट का मामला, दौसा के मेहंदीपुर थाना क्षेत्र में जुलाई माह में नांदरी गांव में छात्र के साथ मारपीट का मामला और बाड़मेर में 24 अगस्त को 13 साल के दलित बच्चे की पिटाई का मामला शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है. इन सभी मामलों में छात्र अनुशासन के नाम पर अध्यापक की पिटाई का शिकार हो गए थे. विशेषज्ञ इस पिटाई को बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं मानते हैं.

ईटीवी भारत ने मनोचिकित्सक अनिता गौतम से बात की

पढ़ें- मटके से पानी पीने से नाराज शिक्षक ने की दलित छात्र की पिटाई, इलाज के दौरान मौत

पढ़ें- उदयपुर में शिक्षक की पिटाई से छात्र के कान के पर्दे फटे

पढ़ें- सवाल पूरा होने से पहले जवाब दिया तो शिक्षक ने तोड़ दिए दांत

यह कहना है मनोचिकित्सक का: मनोचिकित्सक डॉक्टर अनिता गौतम के मुताबिक स्कूलों में दिए जाने वाले दंड को कॉरपोरल पनिशमेंट कहा जाता है. जो किसी भी तरीके से जायज नहीं है. अनीता गौतम ने कहा कि पनिशमेंट के लिए तरीके अलग हो सकते हैं, पर शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाना सही नहीं होता है. इस बारे में स्कूल प्रशासन और अभिभावकों को मिलकर काम करना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों में बच्चों के लिए काउंसलर से लगातार काउंसलिंग की जानी चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं को बढ़ने से रोका जा सके. स्कूलों में लगातार हो रही पिटाई को रोकने के लिए डॉ अनीता ने सुझाव दिया कि अभिभावकों को अपने बच्चों से लगातार संवाद स्थापित करके रखना चाहिए. डॉ अनीता गौतम ने सुझाव देते हुए बताया कि पेरेंट्स टीचर मीटिंग (PTM in Rajasthan Schools) के जरिए स्कूल प्रशासन बच्चों की मासिक त्रैमासिक परफॉर्मेंस को अभिभावकों के साथ साझा कर सकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि मूल वजह जानने के साथ-साथ बच्चों के व्यक्तिगत प्रदर्शन पर भी नजर रखनी चाहिए. स्कूलों में होने वाली हिंसक घटनाओं को लेकर उन्होंने बताया कि लंबे समय तक यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर (Beating Impact on children mental health) डाल सकती है. जिससे उनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ सकता है.

पढ़ें- पाली में शिक्षक ने दलित छात्र को पीटा, गंभीर हालत में भर्ती

पढ़ें- बाड़मेर में टीचर ने बच्चे को बुरी तरह से पीटा, अस्पताल में भर्ती

जयपुर. राजस्थान में स्कूली छात्रों से अध्यापकों की मारपीट के मामलों (Teacher beating Students cases in Rajasthan) में इजाफा देखा गया है, इससे शिक्षा व्यवस्था पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं. जालौर के बाद उदयपुर, दौसा, पाली और बाड़मेर की घटनाओं ने यह चर्चा तेज कर दी है कि क्या स्कूली बच्चों के साथ मारपीट सही है? क्या राजस्थान में गुरु जी की बच्चों पर मार उनकी शिक्षा पर बेहतर असर डालेगी या इसके नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मनोचिकित्सक डॉक्टर अनिता गौतम से बात की (Psychiatrist on Physical punishment in School) और जाना कि स्कूलों में बेहतर शिक्षा के लिए अध्यापकों का व्यवहार आखिर कैसा होना चाहिए.

इन घटनाओं ने किया शर्मसार: अगस्त माह की शुरुआत में जालोर के सुराणा गांव में छात्र इंद्र मेघवाल की पिटाई के बाद इलाज के दौरान मौत के बाद प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हुए थे. इस दौरान चर्चा तेज हुई कि क्या स्कूल परिसर में अनुशासन और शिक्षा के नाम पर बच्चों के साथ की जाने वाली पिटाई को सही ठहराया जा सकता है. इस घटना के बाद उदयपुर में कक्षा के दौरान किसी अन्य छात्र से पूछे गए सवाल का जवाब देने पर छात्र का सिर पकड़ कर टेबल पर मारने से उसके दांत टूटने की घटना, वल्लभनगर में छात्र के साथ क्लास में चिप्स खाने पर बेरहमी से मारपीट का मामला, दौसा के मेहंदीपुर थाना क्षेत्र में जुलाई माह में नांदरी गांव में छात्र के साथ मारपीट का मामला और बाड़मेर में 24 अगस्त को 13 साल के दलित बच्चे की पिटाई का मामला शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है. इन सभी मामलों में छात्र अनुशासन के नाम पर अध्यापक की पिटाई का शिकार हो गए थे. विशेषज्ञ इस पिटाई को बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं मानते हैं.

ईटीवी भारत ने मनोचिकित्सक अनिता गौतम से बात की

पढ़ें- मटके से पानी पीने से नाराज शिक्षक ने की दलित छात्र की पिटाई, इलाज के दौरान मौत

पढ़ें- उदयपुर में शिक्षक की पिटाई से छात्र के कान के पर्दे फटे

पढ़ें- सवाल पूरा होने से पहले जवाब दिया तो शिक्षक ने तोड़ दिए दांत

यह कहना है मनोचिकित्सक का: मनोचिकित्सक डॉक्टर अनिता गौतम के मुताबिक स्कूलों में दिए जाने वाले दंड को कॉरपोरल पनिशमेंट कहा जाता है. जो किसी भी तरीके से जायज नहीं है. अनीता गौतम ने कहा कि पनिशमेंट के लिए तरीके अलग हो सकते हैं, पर शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाना सही नहीं होता है. इस बारे में स्कूल प्रशासन और अभिभावकों को मिलकर काम करना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों में बच्चों के लिए काउंसलर से लगातार काउंसलिंग की जानी चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं को बढ़ने से रोका जा सके. स्कूलों में लगातार हो रही पिटाई को रोकने के लिए डॉ अनीता ने सुझाव दिया कि अभिभावकों को अपने बच्चों से लगातार संवाद स्थापित करके रखना चाहिए. डॉ अनीता गौतम ने सुझाव देते हुए बताया कि पेरेंट्स टीचर मीटिंग (PTM in Rajasthan Schools) के जरिए स्कूल प्रशासन बच्चों की मासिक त्रैमासिक परफॉर्मेंस को अभिभावकों के साथ साझा कर सकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि मूल वजह जानने के साथ-साथ बच्चों के व्यक्तिगत प्रदर्शन पर भी नजर रखनी चाहिए. स्कूलों में होने वाली हिंसक घटनाओं को लेकर उन्होंने बताया कि लंबे समय तक यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर (Beating Impact on children mental health) डाल सकती है. जिससे उनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ सकता है.

पढ़ें- पाली में शिक्षक ने दलित छात्र को पीटा, गंभीर हालत में भर्ती

पढ़ें- बाड़मेर में टीचर ने बच्चे को बुरी तरह से पीटा, अस्पताल में भर्ती

Last Updated : Aug 29, 2022, 1:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.