जयपुर. पुलिस बड़ी से बड़ी वारदातों का खुलासा कर वाहवाही बटोरने का काम करती है लेकिन ऐसी अनेक वारदातें हैं. जिनका सीसीटीवी फुटेज पास में होने के बावजूद पुलिस बदमाशों तक नहीं पहुंच पा रही है. अनसुलझी वारदातों के चलते जयपुर पुलिस की ना केवल किरकिरी हो रही है बल्कि पुलिस के आला अधिकारी भी इन वारदातों को लेकर चुप्पी साधे बैठे हैं. जयपुर पुलिस के पास हर तरह की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी मौजूद है लेकिन उसके बावजूद भी पुलिस बदमाशों का कोई भी सुराग नहीं जुटा पा रही है.
जयपुर के ट्रांसपोर्ट नगर थाना इलाके में हुए बीजेपी की पूर्व विधायक अमृता मेघवाल की गाड़ी पर पथराव की वारदात (attack on Amrita Meghwal) हुई. वैशाली नगर थाना इलाके में नामी कंपनी के मोबाइल शोरूम में करोड़ों रुपए की नकबजनी की घटना हुई. विभिन्न ज्वेलरी शोरूम में चोरी की वारदातें (theft in Jewellery shop in Jaipur) हुई. इस तरह की और भी वारदातें हैं, जिन्हें जयपुर पुलिस (Jaipur Police) आज तक नहीं सुलझा सकी है. आखिर क्या कारण है कि बदमाशों के सीसीटीवी फुटेज पास में होने के बावजूद भी पुलिस वारदातों का खुलासा नहीं कर पा रही है.
इसके बारे में ईटीवी भारत ने पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत से बातचीत की. राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि आजकल पुलिस की वर्किंग केवल मोबाइल बेस्ड रह गई है. पुलिस बदमाशों की मोबाइल लोकेशन के आधार पर उन तक पहुंचने का प्रयास करती है लेकिन परंपरागत पुलिसिंग और मुखबिर तंत्र अब पहले की तुलना में बेहद कमजोर हो चुका है. इसके साथ ही पुलिस का मुखबिर तंत्र भी पहले की तुलना में काफी कमजोर हो चुका है. पहले पुलिस में मौजूद खोजी अनुसंधान अधिकारी अपने अनुभव के आधार पर अनेक ब्लाइंड केस सुलझाते थे. जिस प्रकार से मेट्रो सिटी में जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है. बाहर से बड़ी संख्या में लोग आकर यहां पर रह रहे हैं, उसे देखते हुए पुलिस को एक बार फिर से मुखबिर तंत्र को मजबूत करने की बेहद आवश्यकता है.
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बीट सिस्टम को सुदृढ़ करना बेहद आवश्यक
पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि वर्तमान में पुलिस को बीट सिस्टम को सुदृढ़ करने की बेहद आवश्यकता है. बीट सिस्टम मजबूत होने पर ही संबंधित बीट कांस्टेबल को यह जानकारी रहेगी कि उसके क्षेत्र में कौन नए लोग आकर बसे हैं. साथ ही वह किस तरह की गतिविधियों में संलिप्त है. इसके साथ ही ऐसे कौन लोग हैं, जो अपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं. इन तमाम चीजों की जानकारी एक मजबूत बीट सिस्टम के जरिए हासिल की जा सकती है. इसके साथ ही पूर्व में हिस्ट्रीशीटर को इस चीज को लेकर पाबंद किया जाता था कि वह अपनी विरोधी गैंग के बदमाशों के बारे में जानकारी देगा. साथ ही जेल में बंद बदमाशों की भी मुखबिरी की जाती थी. उनसे शहर में पनप रहे माफियाओं के बारे में जानकारी हासिल कर पुलिस कार्रवाई करती थी लेकिन वर्तमान में इन तमाम चीजों का लोप नजर आ रहा है.
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वारदातों को पब्लिसिटी मटेरियल बनाकर हाइलाइट कर रही पुलिस
पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि वर्तमान में पुलिस विभिन्न वारदातों को पब्लिसिटी मैटेरियल बनाकर हाईलाइट कर रही है. पब्लिसिटी मैटेरियल बनाने के बाद उस प्रकरण पर पूरा ध्यान नहीं दिया जाता और उस प्रकरण से जुड़ी हुई अन्य कड़ियां, बदमाशों व अन्य पहलुओं का फीडबैक नहीं लिया जाता. वारदात में शामिल अन्य बदमाशों को पुलिस गिरफ्तार नहीं करती. जिसके चलते वह एक के बाद एक दूसरी वारदातों को अंजाम देने लगते हैं.
वारदात में शामिल किसी भी एक बदमाश को गिरफ्तार करने की बजाए पूरी गैंग का पर्दाफाश करना बेहद आवश्यक है. इसके साथ ही उस गैंग में और कितने बदमाश जुड़े हुए हैं. गैंग पूर्व में किस तरह की वारदातों को अंजाम देती थी और वर्तमान में किस तरह की वारदातों में लिप्त है, किन-किन लोगों से उनके संपर्क हैं और उनका क्रिमिनल रिकॉर्ड क्या है, इन तमाम चीजों पर पुलिस को काम करना बेहद आवश्यक है.
आमजन में गिर रहा पुलिस का इकबाल
पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि आमजन में पुलिस का इकबाल काफी गिरता जा रहा है. हाल ही में राजधानी जयपुर में जिस तरह से बीजेपी के पूर्व विधायक अमृता मेघवाल पर सरेआम हमला किया गया. जिसमें हमलावरों की सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस के हाथ लगी लेकिन पुलिस बदमाशों तक नहीं पहुंच पाई. इसी प्रकार से भरतपुर में सांसद रंजीता कोली पर हमला और धमकी देने के प्रकरण में भी पुलिस बदमाशों को गिरफ्तार नहीं कर पाई. जब सांसद और पूर्व विधायक पर हमला करने वाले बदमाशों को पुलिस नहीं पकड़ सकी है तो प्रदेश में आम लोगों की क्या स्थिति है. इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता. बदमाश सरेआम फायरिंग और निर्मम हत्या की वारदातों को अंजाम देने में लगे हुए हैं. पुलिस बदमाशों तक नहीं पहुंच पा रही है. जिसके चलते आमजन में पुलिस का इकबाल काफी गिरा है. इस पर सरकार को भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. साथ ही पुलिस को भी अपने तंत्र में अनेक सुधार करने की बेहद आवश्यकता है.