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निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर ने पेश की याचिका, खंडपीठ में होगी सुनवाई

ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर ने अपनी निलंबन प्रक्रिया के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका पेश कर दी है. हाईकोर्ट की खंडपीठ मामले में सुनवाई करेगी.

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निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर
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Published : Jun 8, 2021, 10:24 PM IST

जयपुर. ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर (Mayor Soumya Gurjar) ने अपनी निलंबन प्रक्रिया के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका पेश कर दी है. हाईकोर्ट की खंडपीठ मामले में सुनवाई करेगी.

याचिका में कहा गया कि गत तीन जून को कचरा उठाने वाली कंपनी ने भुगतान को लेकर हड़ताल कर दी है. इस पर मामले के निस्तारण के लिए चार जून को बैठक बुलाई गई. वहीं बैठक में विवाद पर निगम आयुक्त ने कुछ पार्षदों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी और राज्य सरकार को भी शिकायत भेज दी. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने चार जून को ही म्यूनिसिपल एक्ट की धारा- 39 के तहत एक आरएएस अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया. वहीं जांच अधिकारी ने बिना समय दिए याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर दिए. याचिकाकर्ता की ओर से समय मांगने पर भी समय नहीं दिया गया और छह जनवरी को याचिकाकर्ता को अपने बयान दर्ज कराने के निर्देश दिए गए.

यह भी पढ़ें: पूर्व IPS मनीष अग्रवाल का प्रार्थना पत्र खारिज, रिहाई की थी गुहार

याचिका में बताया गया कि जांच अधिकारी ने छह जून को याचिकाकर्ता की ओर से मांगे समय को ही बयान देना बताकर राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज दी. जांच रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने इसी दिन न्यायिक जांच के आदेश देते हुए याचिकाकर्ता को महापौर और पार्षद पद से निलंबित कर दिया. याचिका में कहा गया कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से जुड़े मामले में आरएएस अधिकारी को जांच अधिकारी बनाया गया है. इसके अलावा निगम आयुक्त की शिकायत और एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम भी नहीं है. इसके बावजूद उसे पद से हटा दिया गया. निलंबित महापौर की ओर से पेश इस याचिका पर खंडपीठ आगामी दिनों में सुनवाई करेगी.

जयपुर. ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर (Mayor Soumya Gurjar) ने अपनी निलंबन प्रक्रिया के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका पेश कर दी है. हाईकोर्ट की खंडपीठ मामले में सुनवाई करेगी.

याचिका में कहा गया कि गत तीन जून को कचरा उठाने वाली कंपनी ने भुगतान को लेकर हड़ताल कर दी है. इस पर मामले के निस्तारण के लिए चार जून को बैठक बुलाई गई. वहीं बैठक में विवाद पर निगम आयुक्त ने कुछ पार्षदों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी और राज्य सरकार को भी शिकायत भेज दी. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने चार जून को ही म्यूनिसिपल एक्ट की धारा- 39 के तहत एक आरएएस अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया. वहीं जांच अधिकारी ने बिना समय दिए याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर दिए. याचिकाकर्ता की ओर से समय मांगने पर भी समय नहीं दिया गया और छह जनवरी को याचिकाकर्ता को अपने बयान दर्ज कराने के निर्देश दिए गए.

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याचिका में बताया गया कि जांच अधिकारी ने छह जून को याचिकाकर्ता की ओर से मांगे समय को ही बयान देना बताकर राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज दी. जांच रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने इसी दिन न्यायिक जांच के आदेश देते हुए याचिकाकर्ता को महापौर और पार्षद पद से निलंबित कर दिया. याचिका में कहा गया कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से जुड़े मामले में आरएएस अधिकारी को जांच अधिकारी बनाया गया है. इसके अलावा निगम आयुक्त की शिकायत और एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम भी नहीं है. इसके बावजूद उसे पद से हटा दिया गया. निलंबित महापौर की ओर से पेश इस याचिका पर खंडपीठ आगामी दिनों में सुनवाई करेगी.

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