जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हाईवे निर्माण कंपनी से रिश्वत के मामले में निलंबित आईपीएस मनीष अग्रवाल और दलाल नीरज मीणा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने एक अन्य गोपाल सिंह को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश तीनों आरोपियों की जमानत याचिका पर दिए. इससे पहले गत 6 मई को अदालत ने याचिका पर बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
अदालत ने कहा कि बयानों और आरोपी नीरज मीणा की फोन रिकॉर्डिंग से साबित है कि उसने मनीष अग्रवाल के लिए दलाल की भूमिका निभाकर रिश्वत ली थी. इसके अलावा मनीष अग्रवाल पर कई थानाधिकारियों से भी वसूली करने का आरोप है. ऐसे में दोनों आरोपियों को जमानत नहीं दी जा सकती. अदालत ने कहा कि गोपाल सिंह पर आरोप है कि उसने दीपक कुमार से मनीष अग्रवाल के नाम पर 15 लाख रुपए लिए हैं, लेकिन ना तो गोपाल सिंह का नाम शिकायत में है और ना ही दीपक कुमार ने एसीबी में इसकी शिकायत दी थी, इसलिए गोपाल सिंह को जमानत देना उचित है. जमानत याचिका में मनीष अग्रवाल की ओर से कहा गया कि उसने ना तो रिश्वत मांगी है और ना ही उससे कोई बरामदगी हुई है, इसके अलावा प्रकरण में जांच पूरी होकर आरोप पत्र पेश किया जा चुका है.
वहीं, नीरज मीणा ने कहा कि वह पेट्रोल पंप मालिक है और प्रकरण में उसकी कोई भूमिका नहीं है, इसलिए उसे जमानत दी जाए. दूसरी ओर अतिरिक्त महाधिवक्ता विभूतिभूषण शर्मा ने कहा कि तत्कालीन दौसा एसपी मनीष अग्रवाल के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में भी मामला लंबित है. वह दलाल के जरिए मासिक बंधी और हर एफआईआर पर 10 लाख रुपए लेता था. थानाधिकारी ने भी उस पर मासिक बंधी लेने का आरोप लगाया है. ऐसे में आरोपियों को जमानत नहीं दी जा सकती, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने मनीष और नीरज मीणा की जमानत याचिका खारिज करते हुए गोपाल सिंह को रिहा करने के आदेश दिए हैं.