जयपुर. संस्कृत शिक्षा विभाग में 800 से ज्यादा शिक्षक सरप्लस थे. वहीं, पश्चिमी राजस्थान के स्कूलों में 50 फीसदी से ज्यादा पद खाली थे. प्रदेश के सभी संस्कृत स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता समान हो सके, इसके लिए सरप्लस चल रहे कुछ शिक्षकों को रिक्त पदों पर लगाया गया था. लेकिन ज्वाइन नहीं करने पर इन्हें अब सख्त हिदायत दी गई है. वहीं, दूसरे रिक्त पदों पर भी जल्द सरप्लस शिक्षकों को लगाया जाएगा.
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बता दें कि इसी साल फरवरी में राजस्थान हाईकोर्ट में संस्कृत शिक्षा विभाग में शिक्षकों के सरप्लस होने के मामले पर सुनवाई हुई थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि जब खाली पद उपलब्ध हैं, तो फिर संस्कृत शिक्षा विभाग ने सरप्लसशिक्षकों को क्यों रोक रखा है. हाईकोर्ट ने इसे जनता के खजाने की बर्बादी भी बताया था.
ऐसे में संस्कृत शिक्षाविभाग ने प्रथम और द्वितीय लेवल के वरिष्ठ अध्यापकों के तत्काल ट्रांसफर किए थे, जिनमें से कई शिक्षक अपने नए पदस्थापन पर ज्वाइन करने नहीं पहुंचे. इस पर विभाग ने आदेश जारी कर शिक्षकों को अनुपस्थित मानते हुए 26 अगस्त तक का समय दिया है और उसके बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई.
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वहीं, शिक्षा मंत्री का कहना है कि प्रदेश के सभी संस्कृत स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता समान रूप से हो. इसके लिए सरप्लस चल रहे शिक्षकों को रिक्त पदों पर भेजा जाएगा. साथ ही विभाग में नए शिक्षकों का जल्द पदस्थापन भी होगा.
बता दें कि कोर्ट में सरप्लस शिक्षकों में 5 प्रिंसिपल, 77 सीनियर टीचर, लेवल-1 के 238 टीचर, लेवल-2 के 538 टीचर होने को जानकारी दी गई थी. इनमें से कुछ को पहले और बचे हुए शिक्षकों को अब पश्चिमी राजस्थान के उन स्कूलों में लगाया जाएगा, जहां पद रिक्त हैं.