जयपुर. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राजस्थान हाइकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से एक न्यायाधीश के बहिष्कार को लेकर की गई एक दिन की हड़ताल पर नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की कई बार वकीलों की हड़ताल को असंवैधानिक घोषित कहा चुका है, लेकिन देश की अधिकांश बार एसोसिएशन हमारे आदेशों का मजाक उड़ा रही हैं. राजस्थान इस मामले में सबसे ज्यादा आगे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकीलों की हरकतों से अब वो दिन लद गए जब उन्हें 'साहब' कहा जाता था. यह स्थिति किसी एक बार एसोसिएशन की नहीं, बल्कि अधिकांश जगहों की हैं. ऐसे में हमें वकालत के स्तर को सुधारने की जरूरत है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में बार अध्यक्ष और महासचिव की ओर से पेश माफीनामा के अस्वीकार करते हुए हर पदाधिकारी का अलग-अलग माफीनामा पेश करने को कहा है.
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वहीं अदालत ने पदाधिकारियों को व्यक्तिगत उपस्थिति की छूट देने से भी इनकार किया है. जस्टिस संजीव खन्ना की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर दिए. सुनवाई के दौरान एसोसिएशन के अध्यक्ष भुवनेश शर्मा और महासचिव गिर्राज शर्मा अदालत में पेश हुए.
उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि परिवार का बड़ा सदस्य होने के नाते उन्हें वकीलों को माफ कर देना चाहिए. इस पर अदालत ने कहा कि बड़ा सदस्य होने के नाते हमारी जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है.
मामले की सुनवाई 10 दिन के लिए टली
न्यायालयों का संरक्षक होने के चलते सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों को वकीलों के हाथों प्रताड़ित होने के लिए नहीं छोड़ सकता. इसके साथ ही अदालत ने सभी पदाधिकारियों को शपथ पत्र पेश करने का समय देते हुए मामले की सुनवाई दस दिन के लिए टाल दी है.
गौरतलब है की हाइकोर्ट के एक न्यायाधीश की ओर से वकील से जुड़े मामले में प्राथमिकता से सुनवाई नहीं करने पर वकीलों से गहमागहमी हो गई थी. इसके बाद वकीलों ने उनका रोस्टर बदलने की मांग को लेकर उनकी कोर्ट का एक दिन का बहिष्कार किया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट में मामले में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर बार पदाधिकारियों को तलब किया था.