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एकल पट्टा प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब - ईटीवी भारत राजस्थान न्यूज

सुप्रीम कोर्ट ने एकल पट्टा प्रकरण में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और तत्कालीन उप सचिव आईएएस एनएल मीणा से जुड़े मामले में (Supreme Court seeks response from Rajasthan government ) राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

single lease case,  Supreme Court hears SLP
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Mar 14, 2022, 11:05 PM IST

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने एकल पट्टा प्रकरण के मामले में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और तत्कालीन उप सचिव आईएएस एनएल मीणा से जुडे़ मामले में (Supreme Court seeks response from Rajasthan government ) राज्य सरकार से जवाब मांगा है. जस्टिस विनीत सारन और जस्टिस अनिरूद्ध बोस ने यह आदेश रामशरण सिंह की एसएलपी पर दिए.

एसएलपी में हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें एकलपीठ ने मामले में एसीबी कोर्ट में पेश प्रोटेस्ट पिटिशन पर सुनवाई के लिए कोर्ट को सरकारी वकील को सुनकर दो माह में फैसला देने को कहा था. एसएलपी में कहा गया कि मामले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष तथ्यों को छिपाया था. एसीबी कोर्ट ने राज्य सरकार सहित अन्य पक्षों की विस्तृत बहस सुनकर फैसला देना तय किया था.

पढ़ेंः Rajasthan High Court : कांस्टेबल ड्राइवर से हेड कांस्टेबल ड्राइवर पद पर पदोन्नति का मामला, रेट के आदेश पर रोक

लेकिन राज्य सरकार ने उसी दिन नए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति कर दी. राज्य सरकार ने एसीबी कोर्ट की उस कार्रवाई का ब्यौरा हाईकोर्ट में पेश नहीं किया. इसके अलावा हाईकोर्ट ने परिवादी को सुनवाई का मौका दिए बिना ही एक तरफा फैसला दे दिया. बता दें कि परिवादी ने प्रोटेस्ट पिटिशन पेश कर मामले में शांति धारीवाल व एनएल मीणा के पक्ष में एसीबी की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देते हुए प्रसंज्ञान लेने की गुहार की थी.

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने एकल पट्टा प्रकरण के मामले में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और तत्कालीन उप सचिव आईएएस एनएल मीणा से जुडे़ मामले में (Supreme Court seeks response from Rajasthan government ) राज्य सरकार से जवाब मांगा है. जस्टिस विनीत सारन और जस्टिस अनिरूद्ध बोस ने यह आदेश रामशरण सिंह की एसएलपी पर दिए.

एसएलपी में हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें एकलपीठ ने मामले में एसीबी कोर्ट में पेश प्रोटेस्ट पिटिशन पर सुनवाई के लिए कोर्ट को सरकारी वकील को सुनकर दो माह में फैसला देने को कहा था. एसएलपी में कहा गया कि मामले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष तथ्यों को छिपाया था. एसीबी कोर्ट ने राज्य सरकार सहित अन्य पक्षों की विस्तृत बहस सुनकर फैसला देना तय किया था.

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लेकिन राज्य सरकार ने उसी दिन नए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति कर दी. राज्य सरकार ने एसीबी कोर्ट की उस कार्रवाई का ब्यौरा हाईकोर्ट में पेश नहीं किया. इसके अलावा हाईकोर्ट ने परिवादी को सुनवाई का मौका दिए बिना ही एक तरफा फैसला दे दिया. बता दें कि परिवादी ने प्रोटेस्ट पिटिशन पेश कर मामले में शांति धारीवाल व एनएल मीणा के पक्ष में एसीबी की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देते हुए प्रसंज्ञान लेने की गुहार की थी.

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