जयपुर. पूरे देश में कोरोना संक्रमण से हर वर्ग प्रभावित हुआ है. हर कोई इससे बचने की कोशिश लगातार रहा कर रहा है. लेकिन, आम से लेकर खास व्यक्ति तक इसकी चपेट में आ चुके हैं. वहीं, केंद्र और प्रदेश सरकार ने भी लोगों को इस महामारी से बचाने की पूरी कोशिश की है. कोरोना काल में प्रदेश सरकार के काम की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की थी. वहीं, कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाना प्रदेश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती रही. ऐसे में सरकारी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रदेश में सरकार ने कई विशेष उपाए किए.
कोरोना काल में विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित ना हो, इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से अनूठी पहल भी की गई. कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रोजेक्ट स्माइल (सोशल मीडिया इंटरफेस फॉर लर्निंग एंड एंगेजमेंट) की शुरुआत की गई. इस प्रोजेक्ट के तहत विद्यार्थियों और शिक्षकों के व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर पढ़ने और पढ़ाने की सामग्री भेजने की पहल की गई है, जिसमें विद्यार्थी रुचि दिखा रहे हैं.
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के अनुसार राजस्थान पहला ऐसा राज्य है, जहां विद्यार्थियों और शिक्षकों को घर बैठे सोशल मीडिया के जरिए पढ़ाई करवाने की अनूठी पहल की गई है. शिक्षक पढ़ाते रहें और बच्चे पढ़ते रहें, इसकी निरंतरता बनाए रखने के लिए अभिभावकों और शिक्षकों के साथ-साथ पीईईओ द्वारा प्रदेश भर में 20 हजार से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं. व्हाट्सएप के माध्यम से प्रतिदिन पढ़ने के लिए वीडियो सामग्री सुबह 9 बजे ग्रुप में भेजी जाती है. शिक्षा विभाग द्वारा प्रत्येक विषय के लिए 30 से 40 मिनट की सामग्री के वीडियो तैयार किए जाते हैं. ये वीडियो कक्षा 1 व 2, 3 से 5, 6 से 8 और 9 से 12 वीं कक्षा स्तर के तैयार किए जाते हैं, इसकी समीक्षा राजस्थान स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग उदयपुर के विषय विशेषज्ञों द्वारा की गई है. प्रत्येक विषय के शिक्षक ये वीडियो विषय वार अपने स्टूडेंट्स को शेयर कर देते हैं और बच्चे घर बैठे इनसे पढ़ाई करते हैं.
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हालांकि, सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे गरीब तबके से आते हैं और लॉकडाउन के कारण ऐसे परिवारों की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो चुकी है. ऐसे में उनके पास एंड्राइड मोबाइल फोन नहीं है. इसलिए ऐसे परिवारों के बच्चों को पढ़ने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सरकार ने ऐसे बच्चों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है. ये बच्चे दूसरे बच्चों की मदद के जरिए ही पढ़ाई कर पा रहे हैं या अपने पड़ोस से मोबाइल लेकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं.
अपने स्तर पर भी शिक्षक दे रहे बच्चों को काम
प्रोजेक्ट इस्माइल के अलावा सरकारी स्कूल के शिक्षक अपने स्तर पर भी बच्चों को पढ़ने का कंटेंट दे रहे हैं, बच्चे उस कंटेंट को पढ़ते हैं. कॉपी में नोट्स भी बनाते हैं. नोट्स बनाकर ये बच्चे अपने शिक्षकों को भेजते हैं. शिक्षक नोट्स को पढ़ते हैं और अगर कोई गलती होती है तो बच्चों को फोन कर समझा दिया जाता है. इसी तरह अगर बच्चों को किसी विषय में कोई दिक्कत होती है तो वे भी अपने संबंधित टीचर को फोन कर समस्या का समाधान करवा लेता है. सरकारी टीचर अभिभावकों के भी संपर्क में रहते हैं, जिससे बच्चों की अच्छी तरह से पढ़ाई होती रहे. सरकारी स्कूलों के अध्यापकों ने कक्षा वाइज बच्चों के ग्रुप भी बना रखे हैं.
बच्चों को ई कंटेंट भेजकर शिक्षक लेते हैं फीडबैक
पानीपेच स्थित वाटर वर्क्स सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल दामोदर लाल ने बताया कि कोरोना काल में बच्चे खाली बैठे रहें. उससे बेहतर है कि वो कुछ ना कुछ पढ़ाई करें. शिक्षा विभाग की ओर से ई-कंटेट भेजकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. सुबह 9 बजे कक्षा 1 से 12 तक का ई-कंटेंट उन्हें प्राप्त हो जाता है और संबंधित टीचर इस ई-कंटेंट को कक्षा वाइज बने हुए व्हाट्सएप ग्रुप में भेज देते हैं. इसके बाद पूरे दिन संबंधित टीचर उस कंटेंट के बारे में विद्यार्थियों से फीडबैक लेते हैं. अगर किसी बच्चे को कोई दिक्कत होती है तो उसे फोन पर समझाया भी जाता है. दामोदर लाल ने कहा कि वो लगातार बच्चों और अभिभावकों के संपर्क में रहते हैं, जिससे बच्चों को पढ़ाई को लेकर किसी भी तरह का नुकसान ना हो.
आकाशवाणी और दूरदर्शन की भी ली मदद
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने भी माना कि कोरोना काल में सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाना एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन, हमने दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं बिना किसी दिक्कत के कराई और परिणाम भी जारी कर दिया. ये हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि थी. केंद्र सरकार से भी निवेदन किया गया कि आकाशवाणी और दूरदर्शन सरकार के ही उपक्रम हैं. ऐसे में क्यों ना इन दोनों का उपयोग बच्चों की पढ़ाई के लिए किया जाए. सरकार की ओर से पहले आकाशवाणी के 25 रेडियो स्टेशन का स्लॉट लिया गया. केंद्र से बच्चों की पढ़ाई के लिए दूरदर्शन पर साढ़े तीन घंटे का स्लॉट लिया गया. इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से नियमानुसार पैसे भी जमा कराए गए. विभाग की ओर से सरकारी स्कूलों के बच्चों को पढ़ाने के लिए इस्माइल प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया. व्हाट्सएप ग्रुप भी बना गया है, उस पर बच्चों की पढ़ाई के लिए कंटेंट भी भेजे जाते हैं. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि फिलहाल स्कूलों को लेकर केंद्र सरकार की गाइडलाइंस का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है. स्कूलों में बच्चों को नहीं बुलाया जा रहा. हालांकि कार्यलय से संबंधित काम के लिए टीचर्स जरूर स्कूल आ रहे हैं.