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चुनाव परिणाम के बाद ABVP और NSUI में शुरू हुई आगे की रणनीति... - छात्रसंघ चुनाव के बाद मंथन का दौर

छात्रसंघ चुनाव संपन्न हो चुके हैं. जीते हुए प्रत्याशी और संगठन जश्न में हैं तो वहीं हारे हुए संगठन अब मंथन में जुट गए हैं और हार के कारणों को देख रहे हैं. इस बीच एनएसयूआई और एबीवीपी रिजल्ट को अपने पक्ष में बता रहे हैं.

jaipur news, एबीवीपी और एनएसयूआई राजस्थान
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Published : Aug 29, 2019, 11:25 PM IST

जयपुर. छात्र राजनीति में 28 अगस्त को नया इतिहास लिखा गया, जब बड़े विश्वविद्यालयों में अध्यक्ष पद पर एनएसयूआई का एक भी उम्मीदवार नहीं जीत. वहीं पांच यूनिवर्सिटीज में निर्दलियों ने कब्जा जमाया. नतीजों के बाद सियासत की पहली सीढ़ी की चर्चा विधायक और सांसद तक भी हुई.

छात्रसंघ चुनाव के बाद परिणामों पर मंथन का दौर

भाजपा ने इसे कांग्रेस को नकारने वाला बताया. इन नतीजों से एबीवीपी खुश तो है, लेकिन कई यूनिवर्सिटीज हारने का गम भी है. वहीं, अब अगले वर्ष होने वाले चुनावों को लेकर नई रणनीति बनाने में भी जुट गई है.

पढ़ें: जसकौर मीणा का गहलोत सरकार पर तंज, कहा- प्रदेश में काम केंद्र के बजट से हो रहे हैं और ये उद्घाटन के लिए जिद्द करते हैं

विश्वविद्यालयों की तस्वीर तो साफ है, लेकिन इस बीच महाविद्यालयों में जीत का दंभ भी है. एबीवीपी का दावा है कि संगठन ने 252 महाविद्यालयों में से 208 पर संगठन से टिकट दिए, जिसमें उनको 138 पर जीत मिली. लेकिन उधर एनएसयूआई का दावा है कि 80 महाविद्यालयों में एनएसयूआई जीती और 63 पर निर्दलियों का कब्जा रहा. हालांकि, विश्वविद्यालय हारने पर अब संगठन में मंथन का दौर है.

अक्सर चुनावी हार के बाद मंथन का दौर छात्र राजनीति हो या फिर सियासत, दोनों में चलता है. लेकिन राजस्थान यूनिवर्सिटी में लगातार हार रहे संगठन ने इस मंथन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

जयपुर. छात्र राजनीति में 28 अगस्त को नया इतिहास लिखा गया, जब बड़े विश्वविद्यालयों में अध्यक्ष पद पर एनएसयूआई का एक भी उम्मीदवार नहीं जीत. वहीं पांच यूनिवर्सिटीज में निर्दलियों ने कब्जा जमाया. नतीजों के बाद सियासत की पहली सीढ़ी की चर्चा विधायक और सांसद तक भी हुई.

छात्रसंघ चुनाव के बाद परिणामों पर मंथन का दौर

भाजपा ने इसे कांग्रेस को नकारने वाला बताया. इन नतीजों से एबीवीपी खुश तो है, लेकिन कई यूनिवर्सिटीज हारने का गम भी है. वहीं, अब अगले वर्ष होने वाले चुनावों को लेकर नई रणनीति बनाने में भी जुट गई है.

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विश्वविद्यालयों की तस्वीर तो साफ है, लेकिन इस बीच महाविद्यालयों में जीत का दंभ भी है. एबीवीपी का दावा है कि संगठन ने 252 महाविद्यालयों में से 208 पर संगठन से टिकट दिए, जिसमें उनको 138 पर जीत मिली. लेकिन उधर एनएसयूआई का दावा है कि 80 महाविद्यालयों में एनएसयूआई जीती और 63 पर निर्दलियों का कब्जा रहा. हालांकि, विश्वविद्यालय हारने पर अब संगठन में मंथन का दौर है.

अक्सर चुनावी हार के बाद मंथन का दौर छात्र राजनीति हो या फिर सियासत, दोनों में चलता है. लेकिन राजस्थान यूनिवर्सिटी में लगातार हार रहे संगठन ने इस मंथन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

Intro:
जयपुर- छात्रसंघ चुनाव संपन्न हो चुके है और अब जीते हुए प्रत्याशी और संगठन जश्न में है तो उधर, हारे हुए संगठन अब मंथन में जुट गए है और हार के कारणों को देख रहे है। इस बीच एनएसयूआई और एबीवीपी रिजल्ट को अपने पक्ष में बता रहे है।

छात्र राजनीति में 28 अगस्त को नया इतिहास लिखा गया, जब बडे विश्वविद्यालयों में अध्यक्ष पद एनएसयूआई का एक भी उम्मीदवार नहीं जीता तो वहीं पांच यूनिवर्सिटीज में निर्दलियों ने कब्जा जमाया नतीजे के बाद सियासत की पहली सीढी की चर्चा विधायक और सांसद तक भी हुई और भाजपा ने इसे कांग्रेस को नकारने वाला भी बताया लेकिन इन नतीजों से एबीवीपी खुश तो है लेकिन कई यूनिवर्सिटी हारने का गम भी है वहीं अब अगले वर्ष होने वाले चुनावों को लेकर नई रणनीति बनाने में भी जुट गई है

विश्वविद्यालयों की तस्वीर तो साफ है लेकिन इस बीच महाविद्यालयों मे जीत का दंभ भी। एबीवीपी का दावा है कि संगठन ने 252 महाविद्यालयों में से 208 पर संगठन से टिकट दिए, जिसमें उनको 138 पर जीत मिली लेकिन उधर एनएसयूआई का दावा है कि 80 महाविद्यालयों में एनएसयूआई जीती औऱ 63 पर निर्दलियों का कब्जा रहा। हालांकि विश्वविद्यालय हारने पर अब संगठन में मंथन का दौर है।

Body:अक्सर चुनावी हार के बाद मंथन का दौर छात्र राजनीति हो या फिर सियासत दोनों में चलता है लेकिन राजस्थान यूनिवर्सिटी में लगातार हार रहे संगठन ने इस मंथन पर भी सवाल खडे कर दिए है।

बाइट- अर्जुन तिवाड़ी, प्रांत संगठन मंत्री, एबीवीपी
बाईट- जसविंदर, प्रवक्ता, एनएसयूआईConclusion:
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