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स्थापना के बाद 148 साल तक पीला रंग रहा जयपुर की पहचान, जानिए इसके Pink City बनने की कहानी

देश-विदेश मेंं पिंकसिटी (Pink City) के नाम से मशहूर जयपुर आज अपना 294वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस खास मौके पर आइए आपको बताते हैं इस शहर के रंग से जुड़ी रोचक कहानी (Story of Jaipur). स्थापना के 148 साल तक पीले रंग में रंगे इस शहर को किसने और कैसे गुलाबी बनाया, यहां पढ़िए...

Why jaipur called Pink City
Why jaipur called Pink City
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Published : Nov 18, 2021, 4:21 PM IST

जयपुर. जयपुर शहर आज अपना 294वां स्थापना दिवस मना रहा है. जयपुर को दुनियाभर में पिंक सिटी (Pink City) के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि जयपुर की स्थापना से लेकर 148 साल तक यहां ​की अधिकांश इमारतें पीले रंग से पुती हुई थीं. आइए जानते हैं इसके गुलाबी शहर बनने की कहानी के बारे में:

सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18 नवंबर, 1727 में जयपुर की स्थापना की थी. इसके बाद 148 साल तक यह पीले रंग में ही रहा. जब 1876 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ और 'किंग ऑफ वेल्स अल्बर्ट एडवर्ड' जयपुर आए, तो उनके स्वागत में जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह ने पूरे शहर को गुलाबी रंग से पुतवाया था. तभी से जयपुर का नाम पिंकसिटी हो गया. आज भी लोग इसे पिंक सिटी जयपुर के नाम से जानते हैं.

पढ़ें : Special : 294 साल से जयपुर में बरकरार विरासत, वास्तु और धर्म नगरी का संगम

यहां पहले गढ़ गणेश जी की स्थापना की गई. इसी के सीध में गोविंद देव जी, चंद्र महल और त्रिपोलिया बाजार की स्थापना की गई. जयपुर में वेधशाला की भी स्थापना की गई, जिसे जंतर-मंतर कहते हैं. इन सभी स्थानों को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पिंक सिटी पहुंचते हैं. सूर्य के नौ ग्रह हैं और इन नौ ग्रह की तर्ज पर जयपुर में भी नौ चौकड़ियां स्थापित की गई हैं. इनमें गंगापोल, घाट गेट, तोपखाना, विश्वेश्वरजी, रामचंद्र जी, सरहद, घाटगेट मोदी, खाना देश और पुरानी बस्ती शामिल है. सिटी पैलेस पहले पीले रंग का था. सवाई राम सिंह ने इसका रंग गेरुआ करवा दिया.

पढ़ें : Jaipur Foundation Day 2021: हेरिटेज और ग्रेटर निगम महापौर ने दिया गणेश जी को पहला न्यौता, एक साथ की पूजा

इतिहासकारों के अनुसार जयपुर शहर में तीन चौपड़ बनाई गई छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़ और रामगंज चौपड़. यहां क्रमशः सरस्वती, महालक्ष्मी, महाकाली के कुंड थे. सरस्वती कुंड से विद्वानों और पुरोहितों को पानी मिलता था. बड़ी चौपड़ स्थित मां लक्ष्मी के कुंड के आस-पास जौहरियों और व्यापारियों को बसाया गया. उन्ही को इस कुंड से पानी मिलता था. रामगंज चौपड़ से सामन्तों और योद्धाओं को पानी मिलता था. देश के अलग-अलग शहरों के विद्वानों को बुलाकर इन चौपड़ों का निर्माण किया गया. छोटी चौपड़ स्थित सरस्वती कुंड में सरस्वती यंत्र, बड़ी चौपड़ स्थित कुंड में महालक्ष्मी यंत्र और रामगंज चौपड़ में स्थित कुंड में मां दुर्गा के यंत्र की स्थापना की गई थी. जयपुर की बनावट इस तरह से की गई थी कि वह आज भी प्रासंगिक लगती है. वास्तु का पूरा ध्यान रखते हुए जयपुर को बसाया गया था.

पढ़ें : कैबिनेट बैठक में अहम फैसले : कल्याणकारी गतिविधियों के लिए हो सकेगा निशुल्क भूमि आवंटन, कोटा में शैक्षणिक गतिविधियों को मिलेगी मजबूती

अपनी बनावट की वजह से जयपुर देश में ही नहीं, दुनिया में भी पिंक सिटी के नाम से मशहूर है. यहां स्थित पर्यटन स्थल आमेर महल, हवामहल, सिटी पैलेस, नाहर गढ़, जयगढ़, परकोटा, जलमहल, प्राचीन मन्दिरों को देखने के लिए देश-विदेश के हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं.

जयपुर. जयपुर शहर आज अपना 294वां स्थापना दिवस मना रहा है. जयपुर को दुनियाभर में पिंक सिटी (Pink City) के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि जयपुर की स्थापना से लेकर 148 साल तक यहां ​की अधिकांश इमारतें पीले रंग से पुती हुई थीं. आइए जानते हैं इसके गुलाबी शहर बनने की कहानी के बारे में:

सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18 नवंबर, 1727 में जयपुर की स्थापना की थी. इसके बाद 148 साल तक यह पीले रंग में ही रहा. जब 1876 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ और 'किंग ऑफ वेल्स अल्बर्ट एडवर्ड' जयपुर आए, तो उनके स्वागत में जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह ने पूरे शहर को गुलाबी रंग से पुतवाया था. तभी से जयपुर का नाम पिंकसिटी हो गया. आज भी लोग इसे पिंक सिटी जयपुर के नाम से जानते हैं.

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यहां पहले गढ़ गणेश जी की स्थापना की गई. इसी के सीध में गोविंद देव जी, चंद्र महल और त्रिपोलिया बाजार की स्थापना की गई. जयपुर में वेधशाला की भी स्थापना की गई, जिसे जंतर-मंतर कहते हैं. इन सभी स्थानों को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पिंक सिटी पहुंचते हैं. सूर्य के नौ ग्रह हैं और इन नौ ग्रह की तर्ज पर जयपुर में भी नौ चौकड़ियां स्थापित की गई हैं. इनमें गंगापोल, घाट गेट, तोपखाना, विश्वेश्वरजी, रामचंद्र जी, सरहद, घाटगेट मोदी, खाना देश और पुरानी बस्ती शामिल है. सिटी पैलेस पहले पीले रंग का था. सवाई राम सिंह ने इसका रंग गेरुआ करवा दिया.

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इतिहासकारों के अनुसार जयपुर शहर में तीन चौपड़ बनाई गई छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़ और रामगंज चौपड़. यहां क्रमशः सरस्वती, महालक्ष्मी, महाकाली के कुंड थे. सरस्वती कुंड से विद्वानों और पुरोहितों को पानी मिलता था. बड़ी चौपड़ स्थित मां लक्ष्मी के कुंड के आस-पास जौहरियों और व्यापारियों को बसाया गया. उन्ही को इस कुंड से पानी मिलता था. रामगंज चौपड़ से सामन्तों और योद्धाओं को पानी मिलता था. देश के अलग-अलग शहरों के विद्वानों को बुलाकर इन चौपड़ों का निर्माण किया गया. छोटी चौपड़ स्थित सरस्वती कुंड में सरस्वती यंत्र, बड़ी चौपड़ स्थित कुंड में महालक्ष्मी यंत्र और रामगंज चौपड़ में स्थित कुंड में मां दुर्गा के यंत्र की स्थापना की गई थी. जयपुर की बनावट इस तरह से की गई थी कि वह आज भी प्रासंगिक लगती है. वास्तु का पूरा ध्यान रखते हुए जयपुर को बसाया गया था.

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अपनी बनावट की वजह से जयपुर देश में ही नहीं, दुनिया में भी पिंक सिटी के नाम से मशहूर है. यहां स्थित पर्यटन स्थल आमेर महल, हवामहल, सिटी पैलेस, नाहर गढ़, जयगढ़, परकोटा, जलमहल, प्राचीन मन्दिरों को देखने के लिए देश-विदेश के हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं.

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