जयपुर. नगर निगम जयपुर ग्रेटर की समितियों के गठन को निरस्त करने के मामले में राज्य सरकार की अग्रिम आदेश नहीं देने के अपने आश्वासन को 22 मार्च तक बढ़ा दिया है. हाईकोर्ट में अब 22 मार्च को प्रकरण की सुनवाई होगी.
न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ में समयाभाव के कारण महापौर सौम्या गुर्जर और अन्य की याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी. अदालत को बताया गया कि मामले में राज्य सरकार ने 15 मार्च तक आगामी आदेश नहीं देने का आश्वासन दे रखा है. इस पर राज्य सरकार की ओर से पूर्व में दिए अपने आश्वासन को 22 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया गया.
याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने अपनी रिविजनल शक्तियों का प्रयोग करते हुए समितियों के गठन के प्रस्ताव को निरस्त किया है, जबकि इसके तहत पहले याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुना जाना जरूरी था, लेकिन राज्य सरकार ने उनका पक्ष सुने बिना ही समितियों के गठन के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया. इसके अलावा नगर पालिका अधिनियम के तहत अगर बैठक के किसी प्रस्ताव से आयुक्त असहमत है तो उसे बैठक में ही अपनी असहमति जतानी होगी, अगर फिर भी कार्रवाई नहीं हो तो वह राज्य सरकार को अपना डिसेंट लेटर भेज सकते हैं.
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इस मामले में आयुक्त ने समितियों के गठन के संबंध में आयोजित बैठक में अपनी असहमति नहीं दर्शाई और बाद में नियमों के विपरीत जाकर राज्य सरकार को अपना डिसेंट लेटर भेज दिया, जबकि बैठक में समितियों के गठन के प्रस्ताव को बहुमत से पारित किया गया था. याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार ने अगर आयुक्त के डिसेंट लेटर के आधार पर सभी समितियों के गठन के प्रस्ताव को निरस्त किया है तो भी वह नियमानुसार सही नहीं माना जा सकता, क्योंकि आयुक्त ने सिर्फ सात अतिरिक्त समितियों के गठन को लेकर अपना डिसेंट लेटर भेजा था, लेकिन राज्य सरकार ने सभी समितियों के गठन के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया.