जयपुर. 8 मार्च को देशभर में महिला दिवस मनाया जा रहा है. इस अवसर पर महिलाओं की बात हर ओर की जा रही है, लेकिन प्रदेश में महिलाओं के लिए अगर नीति निर्धारण का काम कोई करता है तो वह है, राजस्थान के विधायक. उसमें भी खास भूमिका बन जाती है उन महिला विधायकों की, जो आधी आबादी की असली प्रतिनिधित्व करती हैं.
महिलाओं की बढ़े भागीदारी
इन महिला विधायकों की कुछ निराशा भी है, कि महिलाएं राजनीति में जितनी सक्रिय होनी चाहिए थी, उतनी आज भी नहीं है. राजस्थान से विधायक और पूर्व ओलंपियन रही कृष्णा पूनिया ने कहा कि जहां तक राजनीति में 33% महिलाओं के आने की बात है, उसमें वह अभी पीछे हैं. उन्होंने कहा कि वह एकमात्र महिला मंत्री ममता भूपेश को बधाई देती हैं, लेकिन इसके साथ ही राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कैबिनेट में काबिल महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा जगह की मांग है.
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उन्होंने कहा, कि महिलाओं को दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है. समाज के साथ ही परिवार को भी महिलाओं को संभालना पड़ता है और राजनीति में 24 घंटे का काम हो जाता है. राजनीति में आने के बाद पब्लिक फिगर बन जाते हैं. ऐसे में यह भी एक कारण है, कि महिलाएं राजनीति में आगे नहीं आ पाती हैं.
पैरेंट्स करें सपोर्ट
उन्होंने एक खिलाड़ी होने के नाते यह भी कहा, कि वैसे तो स्पोर्ट्स में महिला और पुरुष में कोई भेदभाव नहीं होता है, लेकिन वहां भी पेरेंट्स कभी-कभी इंजरी के डर से खिलाड़ियों को आगे आने से रोक देते हैं. ऐसे में महिला खिलाड़ियों की भागीदारी ज्यादा से ज्यादा हो, इस पर हर किसी को ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए सरकारें योजनाएं लेकर आती हैं, लेकिन क्योंकि महिलाएं योजनाओं के प्रति अवेयर नहीं होती है, ऐसे में वह उसका पूरा फायदा नहीं ले पाती हैं.