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एक लड़की ऐसी भी! पहले खुद को बाल विवाह की कैद से मुक्त करवाया, अब कर रही RAS की तैयारी - बाल विवाह

बालिका वधू मंजू कटारिया ने लंबी लड़ाई के बाद अपने बलबूते पर बाल विवाह की कैद से खुद को मुक्त करवाया. अब RAS की तैयारी कर रही मंजू का कहना है कि वह प्रशासनिक अधिकारी बनकर वह समाज को इस अभिश्राप से मुक्त करवाना चाहती हैं. आइए जानते हैं मंजू के बारे में...

child marriage, बाल विवाह
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Published : Nov 20, 2019, 10:29 AM IST

Updated : Nov 20, 2019, 3:44 PM IST

जयपुर. इन दिनों शादियों का दौर चल रहा है, शादियों से हर तरफ खुशियों का माहौल है. लेकिन जब बाल विवाह होता है तो यह शादी, शादी ना होकर अभिशाप बन जाया करती है. आज हम एक ऐसी ही लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने काफी संघर्षों के बाद इस अभिशाप से खुद को मुक्त करवाया और वहीं लड़की आज राजस्थान की प्रशासनिक सेवाओं में शामिल होने का ख्वाब लिए RAS की तैयारी कर रही है.

बाल विवाह की कैद से खुद को कराया रिहा

इसने अपने बलबूते पर बाल विवाह के खिलाफ आवाज को बुलंद किया और ससुराल में कैद बालिका वधू मंजू कटारिया ने लंबी लड़ाई के बाद अपने आप को रिहा करवाया. जयपुर के मालवीय नगर स्थित कुंडा कच्ची बस्ती की रहने वाली मंजू का 12 साल की उम्र में ही बाल विवाह करवा दिया गया था. मंजू ने बताया कि ससुराल वालों ने भाभी के बदले में मेरी मांग की, जिसके चलते घरवालों ने मुझे उनको सौंप दिया. इतनी कम उम्र में जब बाल विवाह करवाया गया तो उसके सारे सपने चूर-चूर हो गए. लेकिन मंजू ने हार नहीं मानी और उस बहादुर लड़की ने सबका प्रतिकार किया और अपने सपनों को अहमियत दी. मंजू का जब गौना हुआ, तब उसने अपने दोस्तों को इस बारे में बता दिया था.

पढ़ें: प्रवासी पक्षियों की कब्रगाह बनी सांभर झील, ग्राउंड जीरो से ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

उसके बाद मंजू के दोस्तों ने घरवालों से फोन नंबर लेकर मंजू के पते की जानकारी ली और पुलिस के साथ मंजू को लेने उसके ससुराल पहुंच गए. दोस्तों की मदद और छतर पाठशाला की शिक्षिका सुनीता यादव की मदद से मंजू अपने घर लौट आई.

बता दें कि मंजू कच्ची बस्ती में ही सखी बाल निकेतन एवं अमर सेवा समिति द्वारा चलाई जा रही छतर पाठशाला में पढ़ी लिखी है. वहीं इसी पाठशाला में आरएएस की तैयारी कर रही है. मंजू ने कहा कि आरएएस बनकर वो बाल विवाह रोकथाम पर काम करने के साथ ही समाज में एक के बदले दूसरे को देने की रीत को खत्म करेगी.

जयपुर. इन दिनों शादियों का दौर चल रहा है, शादियों से हर तरफ खुशियों का माहौल है. लेकिन जब बाल विवाह होता है तो यह शादी, शादी ना होकर अभिशाप बन जाया करती है. आज हम एक ऐसी ही लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने काफी संघर्षों के बाद इस अभिशाप से खुद को मुक्त करवाया और वहीं लड़की आज राजस्थान की प्रशासनिक सेवाओं में शामिल होने का ख्वाब लिए RAS की तैयारी कर रही है.

बाल विवाह की कैद से खुद को कराया रिहा

इसने अपने बलबूते पर बाल विवाह के खिलाफ आवाज को बुलंद किया और ससुराल में कैद बालिका वधू मंजू कटारिया ने लंबी लड़ाई के बाद अपने आप को रिहा करवाया. जयपुर के मालवीय नगर स्थित कुंडा कच्ची बस्ती की रहने वाली मंजू का 12 साल की उम्र में ही बाल विवाह करवा दिया गया था. मंजू ने बताया कि ससुराल वालों ने भाभी के बदले में मेरी मांग की, जिसके चलते घरवालों ने मुझे उनको सौंप दिया. इतनी कम उम्र में जब बाल विवाह करवाया गया तो उसके सारे सपने चूर-चूर हो गए. लेकिन मंजू ने हार नहीं मानी और उस बहादुर लड़की ने सबका प्रतिकार किया और अपने सपनों को अहमियत दी. मंजू का जब गौना हुआ, तब उसने अपने दोस्तों को इस बारे में बता दिया था.

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उसके बाद मंजू के दोस्तों ने घरवालों से फोन नंबर लेकर मंजू के पते की जानकारी ली और पुलिस के साथ मंजू को लेने उसके ससुराल पहुंच गए. दोस्तों की मदद और छतर पाठशाला की शिक्षिका सुनीता यादव की मदद से मंजू अपने घर लौट आई.

बता दें कि मंजू कच्ची बस्ती में ही सखी बाल निकेतन एवं अमर सेवा समिति द्वारा चलाई जा रही छतर पाठशाला में पढ़ी लिखी है. वहीं इसी पाठशाला में आरएएस की तैयारी कर रही है. मंजू ने कहा कि आरएएस बनकर वो बाल विवाह रोकथाम पर काम करने के साथ ही समाज में एक के बदले दूसरे को देने की रीत को खत्म करेगी.

Intro:जयपुर- बालिका सप्ताह चल रहा है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी बालिका से मिलवाने जा रहे है जिसने अपने बलबूते पर बाल विवाह के खिलाफ आवाज को बुलंद किया और ससुराल में कैद बालिका वधू मंजू कटारिया ने लंबी लड़ाई के बाद अपने आप को रिहा करवाया। जयपुर के मालवीय नगर स्थित कुंडा कच्ची बस्ती की रहने वाली मंजू का 12 साल की उम्र में ही बाल विवाह करवा दिया गया। मंजू ने बताया कि ससुराल वालों ने भाभी के बदले में मेरी मांग की जिसके चलते घरवालों ने मुझे उनको सौप दिया। इतनी कम उम्र में जब मेरा बाल विवाह करवा गया तो मेरे सारे सपने चूर चूर हो गए। लेकिन मंजू ने हार नहीं मानी और उस बहादुर लड़की ने सबका प्रतिकार किया और अपने सपनों को अहमियत दी। मंजू का जब गौना हुआ तब उसने अपने दोस्तों को इस बारे में बता दिया था जिसके बाद मंजू के दोस्तों ने घरवालों से फ़ोन नंबर लेकर मंजू के पते की जानकारी ली और पुलिस के साथ मंजू के ससुराल पहुँच गए, मंजू को लेने। दोस्तों की मदद और छतर पाठशाला की शिक्षिका सुनीता यादव की मदद से मंजू अपने घर लौट आयी। उसके बाद मंजू ने एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ कर आखिर इस शक्ति स्वरूपा ने अपना मुकाम पा ही लिया है और अब चल पड़ी है अपना आरएएस का सपना पूरा करने जो उसको अपने मुकाम तक ले जाएगा।


Body:मंजू कच्ची बस्ती में ही सखी बाल निकेतन एवं अमर सेवा समिति द्वारा चलाई जा रही छतर पाठशाला में पढ़ी लिखी है। वही इसी पाठशाला में आरएएस की तैयारी कर रही है। मंजू ने कहा कि आरएएस बनकर वो बाल विवाह रोकथाम पर काम करने के साथ ही समाज में एक के बदले दूसरे को देने की रीत को खत्म करेगी। मंजू बताती है कि बाल विवाह तब ही रुक पाएगा जब समाज में एक के बदले दूसरे को देने की रीत बंद होगी।

बाईट- मंजू कटारिया, बालिका
बाईट- सुनीता यादव, शिक्षिका


Conclusion:
Last Updated : Nov 20, 2019, 3:44 PM IST
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