जयपुर. इन दिनों शादियों का दौर चल रहा है, शादियों से हर तरफ खुशियों का माहौल है. लेकिन जब बाल विवाह होता है तो यह शादी, शादी ना होकर अभिशाप बन जाया करती है. आज हम एक ऐसी ही लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने काफी संघर्षों के बाद इस अभिशाप से खुद को मुक्त करवाया और वहीं लड़की आज राजस्थान की प्रशासनिक सेवाओं में शामिल होने का ख्वाब लिए RAS की तैयारी कर रही है.
इसने अपने बलबूते पर बाल विवाह के खिलाफ आवाज को बुलंद किया और ससुराल में कैद बालिका वधू मंजू कटारिया ने लंबी लड़ाई के बाद अपने आप को रिहा करवाया. जयपुर के मालवीय नगर स्थित कुंडा कच्ची बस्ती की रहने वाली मंजू का 12 साल की उम्र में ही बाल विवाह करवा दिया गया था. मंजू ने बताया कि ससुराल वालों ने भाभी के बदले में मेरी मांग की, जिसके चलते घरवालों ने मुझे उनको सौंप दिया. इतनी कम उम्र में जब बाल विवाह करवाया गया तो उसके सारे सपने चूर-चूर हो गए. लेकिन मंजू ने हार नहीं मानी और उस बहादुर लड़की ने सबका प्रतिकार किया और अपने सपनों को अहमियत दी. मंजू का जब गौना हुआ, तब उसने अपने दोस्तों को इस बारे में बता दिया था.
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उसके बाद मंजू के दोस्तों ने घरवालों से फोन नंबर लेकर मंजू के पते की जानकारी ली और पुलिस के साथ मंजू को लेने उसके ससुराल पहुंच गए. दोस्तों की मदद और छतर पाठशाला की शिक्षिका सुनीता यादव की मदद से मंजू अपने घर लौट आई.
बता दें कि मंजू कच्ची बस्ती में ही सखी बाल निकेतन एवं अमर सेवा समिति द्वारा चलाई जा रही छतर पाठशाला में पढ़ी लिखी है. वहीं इसी पाठशाला में आरएएस की तैयारी कर रही है. मंजू ने कहा कि आरएएस बनकर वो बाल विवाह रोकथाम पर काम करने के साथ ही समाज में एक के बदले दूसरे को देने की रीत को खत्म करेगी.