जयपुर. पिछले महीनों राजस्थान में सियासी घमासान के बाद राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट राजनीति अनिश्चितताओं का उदाहरण बने हैं. 7 सिंतबर को पायलट का जन्मदिन है लेकिन 2009 के बाद पहली बार बिना किसी पद के उनका जन्मदिन मनेगा. वहीं आनेवाला समय ही बताएगा कि पायलट राजनीति के हारे हुए जुआरी या बाजीगर बनकर उभरते हैं. पायलट के जन्मदिन पर विशेष खबर...
रिकॉर्ड बनानेवाले पायलट का पहला बर्थडे, जब उनके पास कोई पद नहीं
राजनीति को शह मात के साथ ही अनिश्चिताओं का खेल कहा जाता है. वर्तमान में राजनीतिक उठापटक और शह मात का उदाहरण अगर किसी राज्य में देखना हो तो उसका सबसे बड़ा उदाहरण राजस्थान है. जहां चले राजनीतिक महासंग्राम में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच यही खेल चला.
अब 7 सितंबर को सचिन पायलट 43 साल के होने जा रहे हैं लेकिन इसी साल 21 जनवरी को सचिन पायलट का राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बने हुए 6 साल पूरे हुए थे. वहीं 13 जुलाई तक वह एक बार में राजस्थान के सबसे लंबे अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड बना चुके थे लेकिन इसे राजनीतिक अनिश्चितता ही कहेंगे कि जब सचिन पायलट का 43वां जन्मदिन जब मनाया जा रहा है तो वह किसी पद पर नहीं हैं.
एक ओर राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस के एक बार में सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड सचिन पायलट के नाम है. वहीं ये रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम चढ़ चुका है, जिसमें किसी अध्यक्ष को इस तरीके से पद से हटाया गया हो. साल 2009 में जब पायलट दूसरी बार सांसद बने थे, तब से लेकर अब तक मात्र यह पहला जन्मदिन है, जब सचिन पायलट के पास कोई पद नहीं है.
2003 से 2020 तक राजनीतिक सफर
7 सितंबर 1977 को पैदा हुए सचिन पायलट ने साल 2003 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की. साल 2004 में वे भाजपा के दिग्गज किरोड़ी लाल मीणा को चुनाव हराकर पहली बार दौसा लोकसभा सीट से सांसद बने. साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में दौसा सीट के रिजर्व हो जाने के चलते सचिन पायलट ने अपनी सीट बदल कर अजमेर से चुनाव लड़ा और चुनाव जीता. चुनाव जीतने के साथ ही पायलट को यूपीए-2 में पहले टेलीकॉम मिनिस्टर और फिर 2012 में कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्टर बनाया गया.
इसी बीच दिसंबर 2013 में जब राजस्थान में कांग्रेस पार्टी महज 21 सीटों पर सिमट गई तो जनवरी 2014 में उन्हें राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. इसी साल 2014 में वह खुद भी अजमेर से लोकसभा का चुनाव हारे और पार्टी भी लोकसभा चुनाव में मोदी की आंधी में उड़ गई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. यहीं से संघर्ष शुरू किया. उन्होंने राजस्थान में विपक्षी दल कांग्रेस के अध्यक्ष रहते हुए लगातार संघर्ष किया.
दिसंबर 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी. हालांकि, पहले कहा जा रहा था कि राहुल गांधी से नजदीकी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के कारण पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन राजस्थान का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बनाया गया और सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही उप मुख्यमंत्री बनाया गया.
पायलट राजस्थान में ऐसे पांचवें नेता हैं, जो उप मुख्यमंत्री बने हो लेकिन मुख्यमंत्री की लड़ाई राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच जबरदस्त दूरियां बना गई. इसी का असर हुआ कि जब वे अपने 18 विधायकों के साथ दिल्ली चले गए तो उन पर बगावत के आरोप लगे. इन्हीं आरोपों के साथ सचिन पायलट को 14 जुलाई 2020 को न केवल अपना प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद गंवाना पड़ा बल्कि उपमुख्यमंत्री पद से भी उन्हें हटा दिया गया.
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राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बीचबचाव के बाद भले ही अब सचिन पायलट की राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में वापसी हो चुकी है लेकिन आज की तारीख में बात की जाए तो पायलट के हाथ खाली हैं. उनके समर्थकों को इंतजार है कि पायलट फिर से किसी ऐसे पद पर आएं, जिससे उनका सम्मान और प्रतिष्ठा वापस लौटे.
हालांकि, सचिन पायलट साफ तौर से इंकार कर चुके हैं कि वह अब कोई पद नहीं लेंगे, लेकिन आने वाला समय ही बताएगा कि इससे और मात के खेल में अब तक हारे हुए खिलाड़ी नजर आ रहे पायलट इसी हाल में रहेंगे या राजस्थान कांग्रेस के बाजीगर बनेंगे.
पायलट का जन्मदिन बनेगा शक्ति प्रदर्शन का आधार
पूरे प्रदेश में पायलट के जन्मदिन पर 43000 यूनिट ब्लड डोनेशन किया जाएगा. साथ ही वृक्षारोपण कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा. वहीं कोरोना संक्रमण के कारण सचिन पायलट ने अपने समर्थकों को जयपुर नहीं आने की अपील की है. जिसमें उन्होंने समर्थकों से कहा है कि वे अपने गांव और शहर में रहकर ही उनका जन्मदिन मनाएं.वहीं तमाम पद गंवाने के बाद सचिन पायलट का 7 सितंबर को पहला ऐसा जन्मदिन होगा, जब उनके पास कोई पद नहीं होगा लेकिन उसके बावजूद भी उनके समर्थक इस जन्मदिन को एक यादगार जन्मदिन मनाना चाहते हैं.
कोरोना के कारण समर्थकों से की अपील
कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने उनके समर्थकों की उम्मीदों को कुछ हल्का किया है और पायलट ने अपने समर्थकों से अपने क्षेत्र में रहकर ही जन्मदिन मनाने की बात कही है लेकिन भले ही पायलट ने समर्थकों को जयपुर नहीं आने को कहा लेकिन अब उनके समर्थकों ने उनके जन्मदिन को ब्लड डोनेशन दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है.
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पायलट समर्थकों का दावा है कि इस बार उनके तैयारी से जन्मदिन पर 42 हजार यूनिट ब्लड डोनेशन किया जाएगा, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा. वहीं पूरे राजस्थान में वृक्षारोपण भी किया जाएगा. राजधानी जयपुर की बात की जाए तो जयपुर में करीब 20 जगह ब्लड डोनेशन कैंप पायलट समर्थकों की ओर से लगाए जाएंगे.