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SPECIAL : जयपुर में कोरोना से मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार करता है ये शख्स - story of vishnu from jaipur

कोरोना का खौफ दुनियाभर में इस कदर है की लोग अपनों के अंतिम संस्कार के लिए भी आगे नहीं आ रहे हैं. ऐसे में सबसे बड़ी समस्या यही आती है कि इनका दाह संस्कार कैसे होगा? लेकिन जयपुर के इस शख्स की बदौलत आज 64 लोगों का अंतिम संस्कार हो पाया है. पढ़े पूरी खबर....

राजस्थान समाचार, कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार, Funeral of corona infected, special story of vishnu, story of vishnu from jaipur
कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार करता है विष्णु
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Published : May 14, 2020, 10:09 PM IST

जयपुर. कोरोना का कहर आज पूरी दुनिया पर इस तरह है कि इसका नाम सुनते ही हमारी रूह कांप उठती है. ऐसे में अगर पॉजिटिव मरीज हमारे आसपास है. यह जानकर तो लोगों की रातों की नींद तक उड़ जाती है. देशभर में कोरोना से आज हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.

कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार करता है विष्णु

वहीं राजधानी जयपुर की बात करें तो यहां कोरोना पॉजिटिव से हर दिन एक या दो मरीजों की मौत होती है. ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि जिस मरीज को जीते-जी लोग छूने से कतराते हैं. मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार करेगा कौन?

जयपुर के रहने वाले विष्णु एसएमएस हॉस्पिटल के मुर्दाघर में सुपरवाइजर का काम करते हैं. विष्णु की उम्र महज 28 साल है. कोरोना संक्रमण जैसे ही शुरू हुआ तो हालात सामान्य थे. लेकिन फिर कोरोना पॉजिटिव की मौत होने लगी और फिर सवाल यह खड़ा हो गया कि आखिर इन पॉजिटिव मरीजों का अंतिम संस्कार करेगा कौन. लेकिन विष्णु विष्णु ने ठान लिया की इंसानियत को कोरोना पर जीताना है.

यह भी पढे़ं- SPECIAL: 'प्रवासी' बन रहे पाली के लिए बड़ा खतरा, लगातार बढ़ रहा कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा

विष्णु और उसकी टीम ने जाति धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत का फर्ज निभाया और अब तक 64 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मृतकों का अंतिम संस्कार किया है. इनमें से काफी कोरोना से मरने वाले काफी ऐसे मृतक थे. जिनका परिवार तक अंतिम संस्कार के लिए सामने नहीं आ पाया.

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अंतिम संस्कार की विधि पूरी करता विष्णु

विष्णु बताते हैं कि जब कोरोना मृतकों की संख्या बढ़ी तो उनको कब्रिस्तान में भी जाना पड़ा. वह नहीं जानते थे कि सुपुर्द-ए-खाक करते समय क्या कुछ रस्में होती हैं. लेकिन उन्होंने लोगों से पता किया और वो रस्में भी निभाई.

घर में हैं छोटे-छोटे बच्चे

विष्णु बताते हैं कि शुरुआत में उनको ऐसा करते समय डर लगता था, क्योंकि उनके घर में उनका 3 साल का बच्चा है और 6 महीने की बच्ची भी. लेकिन धीरे-धीरे वह सहज होते चले गए. रोज पीपीई किट पहनने से पहले थर्मल स्कैनिंग होती है और भगवान की कृपा ही है कि वह अब तक इस बीमारी से सुरक्षित हैं.

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अब तक कर चुके 64 लोगों का अंतिम संस्कार

यह भी पढे़ं- SPECIAL: 7 महीने की गर्भवती अपने परिवार के साथ पैदल चलने के लिए आखिर क्यों है 'मजबूर'

विष्णु के हौसले इतने बुलंद है कि वह सिर्फ एक बात दिल से कहते हैं कि जिसका कोई नहीं उसका विष्णु है. आप आधी रात को भी फोन करेंगे तो मैं तैयार हूं.

जयपुर. कोरोना का कहर आज पूरी दुनिया पर इस तरह है कि इसका नाम सुनते ही हमारी रूह कांप उठती है. ऐसे में अगर पॉजिटिव मरीज हमारे आसपास है. यह जानकर तो लोगों की रातों की नींद तक उड़ जाती है. देशभर में कोरोना से आज हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.

कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार करता है विष्णु

वहीं राजधानी जयपुर की बात करें तो यहां कोरोना पॉजिटिव से हर दिन एक या दो मरीजों की मौत होती है. ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि जिस मरीज को जीते-जी लोग छूने से कतराते हैं. मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार करेगा कौन?

जयपुर के रहने वाले विष्णु एसएमएस हॉस्पिटल के मुर्दाघर में सुपरवाइजर का काम करते हैं. विष्णु की उम्र महज 28 साल है. कोरोना संक्रमण जैसे ही शुरू हुआ तो हालात सामान्य थे. लेकिन फिर कोरोना पॉजिटिव की मौत होने लगी और फिर सवाल यह खड़ा हो गया कि आखिर इन पॉजिटिव मरीजों का अंतिम संस्कार करेगा कौन. लेकिन विष्णु विष्णु ने ठान लिया की इंसानियत को कोरोना पर जीताना है.

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विष्णु और उसकी टीम ने जाति धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत का फर्ज निभाया और अब तक 64 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मृतकों का अंतिम संस्कार किया है. इनमें से काफी कोरोना से मरने वाले काफी ऐसे मृतक थे. जिनका परिवार तक अंतिम संस्कार के लिए सामने नहीं आ पाया.

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अंतिम संस्कार की विधि पूरी करता विष्णु

विष्णु बताते हैं कि जब कोरोना मृतकों की संख्या बढ़ी तो उनको कब्रिस्तान में भी जाना पड़ा. वह नहीं जानते थे कि सुपुर्द-ए-खाक करते समय क्या कुछ रस्में होती हैं. लेकिन उन्होंने लोगों से पता किया और वो रस्में भी निभाई.

घर में हैं छोटे-छोटे बच्चे

विष्णु बताते हैं कि शुरुआत में उनको ऐसा करते समय डर लगता था, क्योंकि उनके घर में उनका 3 साल का बच्चा है और 6 महीने की बच्ची भी. लेकिन धीरे-धीरे वह सहज होते चले गए. रोज पीपीई किट पहनने से पहले थर्मल स्कैनिंग होती है और भगवान की कृपा ही है कि वह अब तक इस बीमारी से सुरक्षित हैं.

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अब तक कर चुके 64 लोगों का अंतिम संस्कार

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विष्णु के हौसले इतने बुलंद है कि वह सिर्फ एक बात दिल से कहते हैं कि जिसका कोई नहीं उसका विष्णु है. आप आधी रात को भी फोन करेंगे तो मैं तैयार हूं.

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