जयपुर. देशभर में कोरोना महामारी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. भारत अब इस महामारी के बहुत ही संवेदनशील चरण में प्रवेश कर चुका है. लाखों की संख्या में महानगरों से देश के ग्रामीण अंचल की ओर लौटे प्रवासी मजदूरों की मजबूरी ने कोरोना के प्रसार के खतरे को भी ग्रामीण भारत की ओर मोड़ दिया है. लोग कोरोना संक्रमण से बचने के लिए घरों में रह रहे हैं. शहरी क्षेत्रों के लोग गांव की तरफ तेजी से पलायन कर रहे हैं. ऐसे में गांवों में खतरा बढ़ता जा रहा है.
देश की 70 फीसदी जनसंख्या गांवों में रहती है. ऐसे में ये लोग कैसे सुरक्षित रह पाएंगे, क्या ग्रामीण कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तैयार हैं? इसका जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम जयपुर के ढींढा ग्राम पंचायत पहुंची. ETV ने यहां के लोगों से बात की और जाना कि ग्रामीणों को खुद को कोरोना से कैसे सुरक्षित रखा.
'ग्रामीण पेश कर रहे मिसाल'
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के साथ साथ हर कोई लोगों से घरों में रहने की अपील कर रहा है, इसके बावजूद भी शहर के पढ़े लिखे लोग इन अपीलों पर अधिक ध्यान नहीं दे रहे और घरों से बाहर निकलकर लॉकडाउन में व्यवधान पैदा कर रहे हैं. हालांकि पुलिस लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए दिनभर भारी मशक्कत भी कर रही है, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ग्रामीण क्षेत्रों की तश्वीर इससे बिल्कुल उलट है. इस ग्राम पंचायत के लोग भी शहरी लोगों के सामने एक बड़ी मिसाल पेश कर रहे हैं.
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ग्रामीण इलाकों में न तो कोई पुलिस है और न ही सख्ती करने वाला. वे तो खुद ही कोरोना संक्रमण को लेकर इतने जागरूक हैं कि उन्होने अपने अपने गांवो की सीमाओं पर जगह-जगह कोरोना के नाम पर अवरोध लगा कर सीमाएं सील कर दी हैं. न कोई बाहर से अन्दर आ रहा है और न ही अन्दर से किसी को बाहर जाने दिया जा रहा है.
'गांववालों ने लगा रखा है कर्फ्यू'
कहते है पढ़े-लिखे अधिक समझदार होते हैं लेकिन कोरोना वायरस से बचाव के मामले में शहरी से ज्यादा ग्रामीण अधिक जागरूक दिख रहे हैं. शहरों में जहां पुलिस की सख्ती करने के बावजूद भी लोग गलियों और शॉट कट रास्तों का सहारा लेकर आ जा रहे है. लेकिन गांवों में घर के बुजुर्गो ने इस वायरस को लेकर सख्ती कर रखी है. अनेक ढाणियों में तो उन्होने अपना खुद का कर्फ्यू सिस्टम चला रखा है. जिसे सभी फॉलो कर रहे है.
ग्रामीण बताते हैं कि गांव वालों की आपसी समझ और सजगता के चलते कोरोना संक्रमण इस गांव में नहीं पहुंच सका है. उन्होंने कहा कि गांव वालों ने अपने स्वविवेक से निर्णय लेते हुए गांव में प्रवेश के सभी मार्गों को बंद कर दिया है. किसी भी बाहरी व्यक्ति के आने-जाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. गांव के लोगों को घरों में ही रहने की नसीहत दी गई. सभी को मास्क पहनने, सैनिटाइजर से हाथ धोने और 2 गज की दूरी बनाने को कहा जाता है.
'महिलाएं भी कोविड-19 के नियमों का कर रहीं पालन'
गांव की महिलाएं भी मास्क पहनकर ही अपना काम करती हैं. जरूरी काम के दौरान भी सभी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं. गांव के युवा से बुजुर्ग सभी वॉरियर की भूमिका निभा रहे हैं और लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. गांव के दुकानदार भी लोगों को मास्क लगाकर आने पर ही सामान देते हैं. सेलून में बाल काटने वाले नाई बताते हैं कि वे भी कस्टरमर्स के हाथ सैनिटाइज करवाते हैं और खुद भी सैनिटाइजर का उपयोग करने के बाद भी बाल काटने का काम करते हैं.
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ढींढा ग्राम पंचायत के इस गांव में 400 घरों की बस्ती है. जिसमें 5 हजार लोग रहते हैं. गांव के अंदर घुसने से पहले ही एक बड़ा सा बरगद का पेड़ नजर आता है. जहां पर सभी ग्रमीण इकठ्ठे होते हैं. इस दौरान भी वो सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखते हैं.
ग्राम पंचायत से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि गांव के लोग कोरोना वायरस जैसे संक्रमण की गंभीरता को पहले दिन से ही समझ रहे थे और उन्होंने कोई भी ऐसी लापरवाही नहीं की. जिसकी वजह से गांव में संक्रमण का खतरा बढ़ता. यहां के लोगों ने आपसी सहयोग से पूरे लॉकडाउन के दौरान नियमों का पालन किया. कोई भी व्यक्ति ना तो गांव में आ पाया और ना ही किसी को बाहर जाने दिया गया. हमारी पड़ताल में जयपुर का यह गांव पूरी तरह से जागरूक और सतर्क नजर आया.