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स्पेशल: लॉकडाउन में 'डाउन' हुआ अपनत्व, घरेलू हिंसा के 4000 से अधिक मामले हुए दर्ज - Case registered

भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है. आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं. इसके बाद भी देश में बड़ी संख्या में महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं. देश में हर साल घरेलू हिंसा के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. वहीं प्रदेश की बात करें तो इस साल जनवरी से मई तक में घरेलू हिंसा के 4000 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं. देखें खास रिपोर्ट..

More than four thousand cases of domestic violence registered in lockdown
लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के चार हजार से अधिक मामले दर्ज
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Published : Aug 4, 2020, 7:50 PM IST

जयपुर. "यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता" यानी जहां पर स्त्रियों की पूजा होती है वहां देवता वास करते हैं. भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है. आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं. इसके बाद भी देश में बड़ी संख्या में महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं. देश में हर साल घरेलू हिंसा के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. वहीं प्रदेश की बात करें तो वैश्विक महामारी के दौरान इस साल जनवरी से मई तक में घरेलू हिंसा के 4000 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के चार हजार से अधिक मामले दर्ज

वर्ष 2019 और जनवरी 2020 से लेकर मई तक की बात करें तो घरेलू हिंसा के प्रकरणों में 41.87% की कमी देखने को मिली है. लेकिन इसके बाद भी पूरे प्रदेश में हजारों की संख्या में महिलाएं डोमेस्टिक वायलेंस की शिकार हुईं हैं. वहीं ढेरों ऐसे मामले भी रहे जो कानूनी दस्तावेज में दर्ज ही नहीं किए गए.

घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण

निर्भया स्क्वाड की इंचार्ज एडिशनल डीसीपी सुनीता मीणा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के अनेक प्रकरण सामने आए. इनमें ज्यादातर मामले ऐसे रहे जिनमें नशाखोरी की वजह से हुए. पुरुषों ने शराब पीकर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की. महिलाओं के साथ इस प्रकार कि घटना का बुरा प्रभाव घर के बच्चों पर भी पड़ता है. ऐसे मामलों में शिकायत मिलने पर निर्भया स्क्वाड ने दोषी व्यक्ति को गिरफ्तार कर तत्काल कानूनी कार्रवाई की है.

Nirbhaya Squad working for the safety of women
महिलाओं की सुरक्षा के लिए काम कर रही निर्भया स्क्वाड

नशे में महिलाओं से मारपीट और बुरा व्यवहार करने वाले कई व्यक्तियों को नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती भी करवाया गया है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान काम धंधे बंद होने के कारण लोग अपने घरों में ही रहे. इस दौरान वैचारिक मतभेदों के चलते भी महिलाओं पर अत्याचार हुए.

यह भी पढ़ें : नागौर: मनरेगा कार्य के दौरान तालाब में डूबी महिलाओं के परिजनों को एक-एक लाख की सहायता

डोमेस्टिक वायलेंस रोकने को की गई काउंसलिंग

लॉकडाउन के दौरान डोमेस्टिक वायलेंस के प्रकरण सामने आने के बाद निर्भया स्क्वाड की तरफ से काउंसलिंग भी की गई. निर्भया स्क्वाड द्वारा काउंसलिंग कर झगड़ा ना करने और हर मामले को शांतिपूर्वक रहकर सुलझाने के लिए पाबंद किया गया. इसके साथ ही जिन पुरुषों ने महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार कर मारपीट की उन्हें गिरफ्तार करने के साथ कानूनी कार्रवाई कर जेल में भी डाला गया.

यह भी पढ़ें : Exclusive : भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व फील्डिंग कोच सुमन शर्मा के साथ ETV BHARAT की खास बातचीत

डोमेस्टिक वायलेंस के वर्ष 2018, 2019 व 2020 के आंकड़ों पर नजर

घरेलू हिंसा201820192020
शिकायतें दर्ज386070584103

वर्ष 2020 में जनवरी से लेकर मई माह तक में घरेलू हिंसा के कुल 4,103 प्रकरण दर्ज किए गए. इनमें से 991 प्रकरणों में पुलिस की ओर से चालान पेश किया जा चुका है. वहीं अभी भी 2,273 ऐसे प्रकरण हैं जिसमें पुलिस की जांच चल रही है.

जयपुर. "यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता" यानी जहां पर स्त्रियों की पूजा होती है वहां देवता वास करते हैं. भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है. आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं. इसके बाद भी देश में बड़ी संख्या में महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं. देश में हर साल घरेलू हिंसा के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. वहीं प्रदेश की बात करें तो वैश्विक महामारी के दौरान इस साल जनवरी से मई तक में घरेलू हिंसा के 4000 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के चार हजार से अधिक मामले दर्ज

वर्ष 2019 और जनवरी 2020 से लेकर मई तक की बात करें तो घरेलू हिंसा के प्रकरणों में 41.87% की कमी देखने को मिली है. लेकिन इसके बाद भी पूरे प्रदेश में हजारों की संख्या में महिलाएं डोमेस्टिक वायलेंस की शिकार हुईं हैं. वहीं ढेरों ऐसे मामले भी रहे जो कानूनी दस्तावेज में दर्ज ही नहीं किए गए.

घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण

निर्भया स्क्वाड की इंचार्ज एडिशनल डीसीपी सुनीता मीणा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के अनेक प्रकरण सामने आए. इनमें ज्यादातर मामले ऐसे रहे जिनमें नशाखोरी की वजह से हुए. पुरुषों ने शराब पीकर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की. महिलाओं के साथ इस प्रकार कि घटना का बुरा प्रभाव घर के बच्चों पर भी पड़ता है. ऐसे मामलों में शिकायत मिलने पर निर्भया स्क्वाड ने दोषी व्यक्ति को गिरफ्तार कर तत्काल कानूनी कार्रवाई की है.

Nirbhaya Squad working for the safety of women
महिलाओं की सुरक्षा के लिए काम कर रही निर्भया स्क्वाड

नशे में महिलाओं से मारपीट और बुरा व्यवहार करने वाले कई व्यक्तियों को नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती भी करवाया गया है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान काम धंधे बंद होने के कारण लोग अपने घरों में ही रहे. इस दौरान वैचारिक मतभेदों के चलते भी महिलाओं पर अत्याचार हुए.

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डोमेस्टिक वायलेंस रोकने को की गई काउंसलिंग

लॉकडाउन के दौरान डोमेस्टिक वायलेंस के प्रकरण सामने आने के बाद निर्भया स्क्वाड की तरफ से काउंसलिंग भी की गई. निर्भया स्क्वाड द्वारा काउंसलिंग कर झगड़ा ना करने और हर मामले को शांतिपूर्वक रहकर सुलझाने के लिए पाबंद किया गया. इसके साथ ही जिन पुरुषों ने महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार कर मारपीट की उन्हें गिरफ्तार करने के साथ कानूनी कार्रवाई कर जेल में भी डाला गया.

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डोमेस्टिक वायलेंस के वर्ष 2018, 2019 व 2020 के आंकड़ों पर नजर

घरेलू हिंसा201820192020
शिकायतें दर्ज386070584103

वर्ष 2020 में जनवरी से लेकर मई माह तक में घरेलू हिंसा के कुल 4,103 प्रकरण दर्ज किए गए. इनमें से 991 प्रकरणों में पुलिस की ओर से चालान पेश किया जा चुका है. वहीं अभी भी 2,273 ऐसे प्रकरण हैं जिसमें पुलिस की जांच चल रही है.

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