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SPECIAL: सोमवार से खुलेंगे होटल.. लेकिन सामने होंगी ये अहम चुनौतियां.. - राजस्थान में कल से होटल शुरू

प्रदेश में करीब दो महीने से बंद पड़े होटल और रेस्टोरेंट कल यानी सोमवार को फिर से शुरू होंगे. जिससे लेकर होटल व्यवसायियों में खुशी तो है, साथ ही चिंता भी है. क्योंकि बंद पड़े उद्योग को पटरी पर लाने के लिए समय लगेगा. जिसके चलते उन्होंने राज्य सरकार से कुछ राहत की मांग की है.

Rajasthan News, राजस्थान न्यूज
राजस्थान होटल एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के साथ खास बातचीत
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Published : Jun 8, 2020, 6:47 AM IST

जयपुर. प्रदेश में करीब ढाई महीने की अवधि के बाद सोमवार से फिर से होटल और रेस्टोरेंट व्यवसाय शुरू होगा. बता दें कि इससे प्रत्यक्ष रूप से जुड़े करीब 50 लाख लोगों को रोजगार भी मिल पाएगा. हालांकि लंबे चले लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए अगले 1 साल तक ये व्यवसाय लड़खड़ा कर ही चलेगा. यही कारण है कि व्यवसाय से जुड़े लोग अब प्रदेश सरकार से कुछ राहत की मांग कर रहे हैं, ताकि इस व्यवसाय को भी संजीवनी मिल सके.

राजस्थान होटल एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के साथ खास बातचीत

इसी कड़ी में राजस्थान होटल एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हुसैन खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने इस व्यवसाय पर आए संकट और आगे रहने वाली स्थिति को लेकर विस्तार से प्रकाश डाला.

पर्यटन पर टिका है होटल व्यवसाय और पर्यटन है पूरी तरह ठप

राजस्थान होटल एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एच खान के अनुसार राजस्थान में पर्यटन व्यवसाय जितना अधिक फलता फूलता है, उसके साथ ही होटल इंडस्ट्री भी आगे बढ़ती है. कोरोना संक्रमण काल के चलते बीते करीब 3 महीने से पर्यटन गतिविधियां लगभग बंद हैं. अब जब कुछ ऐतिहासिक किले और मॉन्यूमेंट आम दर्शकों के लिए खोले गए हैं तब भी इन्हें देखने के लिए बाहरी राज्यों से कोई पर्यटक या सेनानी नहीं आएगा. विदेशी प्रेरकों की फिलहाल देश में लगभग नो एंट्री ही है. ऐसे में इसका सीधा असर होटल और रेस्टोरेंट इंडस्ट्री पर पड़ना तय है.

यह भी पढ़े : Special: इस बार मध्यप्रदेश और राजस्थान के लोग नहीं उठा पाएंगे बांसवाड़ा के देसी आम का लुत्फ!

लाभ की स्थिति दूर की बात, मेंटेनेंस का खर्चा निकलना होगा मुश्किल

खान के अनुसार बीते ढाई महीने से बंद पड़े होटल रेस्टोरेंट्स संचालकों की आर्थिक रूप से कमर टूट चुकी है. होटल के मेंटेनेंस में जो खर्चा लगता है वो जारी है, लेकिन ग्राहकी उसकी तुलना में आगे भी नहीं के बराबर रहेगी. ऐसी स्थिति में होटलों के बिजली, पानी के बिल और लोन की किश्ते और उस पर लगने वाला ब्याज निकाल पाना ही बहुत मुश्किल हो गया है. वहीं होटलों में जो स्टाफ रखा हुआ है उनके वेतन का इंतजाम करना भी कई होटल संचालकों के लिए मुश्किल हो गया है.

सरकार से मांगी ये छूट, ताकि मिले कुछ राहत

ईटीवी भारत से खास बातचीत में खान ने बताया कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री और प्रदेश सरकार के नुमाइंदों से ज्ञापन देकर आग्रह किया है. जिसमें उन्होंने कहा कि होटल और रेस्टोरेंट व्यवसायियों को प्रदेश सरकार के स्तर पर कुछ छूट दे दी जाए, ताकि ये व्यवसाय वापस से खड़ा हो सके. ये हैं मांगें...


1. होटल व रेस्टोरेंट व्यवसाय को उद्योग का दर्जा मिले.

2. लॉकडाउन अवधि के दौरान होटल व रेस्टोरेंट के बिजली और पानी के बिल माफ किए जाएं.

3. लॉकडाउन अवधि के दौरान लिए ऋण पर लगने वाले ब्याज की सरकार भरपाई करे.

4. लाइसेंस रिन्यूअल और शुल्क में 1 साल की छूट मिले.

यह भी पढ़ें- SPECIAL : अलवर देख रहा विकास की राह, एक साल में नहीं हुआ कोई विशेष काम


बता दें कि होटल व्यवसायियों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से भी आग्रह किया है और जिलों के स्तर पर कलेक्टरों को इस संबंध में ज्ञापन दिया है. हालांकि, लंबे अरसे बाद सोमवार से होटल व्यवसाय तो शुरू होगा, लेकिन राजस्थान में पर्यटक और सैलानियों की कमी के चलते इस व्यवसाय को कुछ खास प्राणवायु मिल पाना मुश्किल है . जिसके चलते यह राहत के लिए प्रदेश सरकार की ओर देख रहे हैं.

जयपुर. प्रदेश में करीब ढाई महीने की अवधि के बाद सोमवार से फिर से होटल और रेस्टोरेंट व्यवसाय शुरू होगा. बता दें कि इससे प्रत्यक्ष रूप से जुड़े करीब 50 लाख लोगों को रोजगार भी मिल पाएगा. हालांकि लंबे चले लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए अगले 1 साल तक ये व्यवसाय लड़खड़ा कर ही चलेगा. यही कारण है कि व्यवसाय से जुड़े लोग अब प्रदेश सरकार से कुछ राहत की मांग कर रहे हैं, ताकि इस व्यवसाय को भी संजीवनी मिल सके.

राजस्थान होटल एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के साथ खास बातचीत

इसी कड़ी में राजस्थान होटल एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हुसैन खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने इस व्यवसाय पर आए संकट और आगे रहने वाली स्थिति को लेकर विस्तार से प्रकाश डाला.

पर्यटन पर टिका है होटल व्यवसाय और पर्यटन है पूरी तरह ठप

राजस्थान होटल एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एच खान के अनुसार राजस्थान में पर्यटन व्यवसाय जितना अधिक फलता फूलता है, उसके साथ ही होटल इंडस्ट्री भी आगे बढ़ती है. कोरोना संक्रमण काल के चलते बीते करीब 3 महीने से पर्यटन गतिविधियां लगभग बंद हैं. अब जब कुछ ऐतिहासिक किले और मॉन्यूमेंट आम दर्शकों के लिए खोले गए हैं तब भी इन्हें देखने के लिए बाहरी राज्यों से कोई पर्यटक या सेनानी नहीं आएगा. विदेशी प्रेरकों की फिलहाल देश में लगभग नो एंट्री ही है. ऐसे में इसका सीधा असर होटल और रेस्टोरेंट इंडस्ट्री पर पड़ना तय है.

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लाभ की स्थिति दूर की बात, मेंटेनेंस का खर्चा निकलना होगा मुश्किल

खान के अनुसार बीते ढाई महीने से बंद पड़े होटल रेस्टोरेंट्स संचालकों की आर्थिक रूप से कमर टूट चुकी है. होटल के मेंटेनेंस में जो खर्चा लगता है वो जारी है, लेकिन ग्राहकी उसकी तुलना में आगे भी नहीं के बराबर रहेगी. ऐसी स्थिति में होटलों के बिजली, पानी के बिल और लोन की किश्ते और उस पर लगने वाला ब्याज निकाल पाना ही बहुत मुश्किल हो गया है. वहीं होटलों में जो स्टाफ रखा हुआ है उनके वेतन का इंतजाम करना भी कई होटल संचालकों के लिए मुश्किल हो गया है.

सरकार से मांगी ये छूट, ताकि मिले कुछ राहत

ईटीवी भारत से खास बातचीत में खान ने बताया कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री और प्रदेश सरकार के नुमाइंदों से ज्ञापन देकर आग्रह किया है. जिसमें उन्होंने कहा कि होटल और रेस्टोरेंट व्यवसायियों को प्रदेश सरकार के स्तर पर कुछ छूट दे दी जाए, ताकि ये व्यवसाय वापस से खड़ा हो सके. ये हैं मांगें...


1. होटल व रेस्टोरेंट व्यवसाय को उद्योग का दर्जा मिले.

2. लॉकडाउन अवधि के दौरान होटल व रेस्टोरेंट के बिजली और पानी के बिल माफ किए जाएं.

3. लॉकडाउन अवधि के दौरान लिए ऋण पर लगने वाले ब्याज की सरकार भरपाई करे.

4. लाइसेंस रिन्यूअल और शुल्क में 1 साल की छूट मिले.

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बता दें कि होटल व्यवसायियों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से भी आग्रह किया है और जिलों के स्तर पर कलेक्टरों को इस संबंध में ज्ञापन दिया है. हालांकि, लंबे अरसे बाद सोमवार से होटल व्यवसाय तो शुरू होगा, लेकिन राजस्थान में पर्यटक और सैलानियों की कमी के चलते इस व्यवसाय को कुछ खास प्राणवायु मिल पाना मुश्किल है . जिसके चलते यह राहत के लिए प्रदेश सरकार की ओर देख रहे हैं.

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