जयपुर. भाद्रपद के कृष्ण पक्ष को पितृ अमावस्या मनाया जाता है, इसे भादो अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन पितृ तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व होता है. जिसको करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. वहीं गरीबों को भोजन करवाने के साथ दान देने का भी महत्व है, इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं.
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार, सनातन धर्म में भादो अमावस्या का बेहद खास महत्व है. इस दिन को कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी उत्तम माना गया है. क्योंकि दीपावली का प्रमुख त्योहार भी अमावस्या को ही माना जाता है और सूर्य पर ग्रहण भी इसी तिथि को लगता है. कोई जातक यदि कालसर्प दोष से पीड़ित है, तो उससे मुक्ति के उपाय के लिए भी अमावस्या तिथि काफी कारगर मानी जाती है.
पितृ अमावस्या पर करें ये उपाय
पितृ शांति और रोकथाम के लिए घर पर रहकर स्नान, दान व्रत और पूजा पाठ करें. कोरोना महामारी के चलते पवित्र सरोवर में स्नान करना इस बार नहीं होगा. इसलिए घर में ही नर्मदा, गंगा आदि जल मिला लें. इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें.
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साथ ही अपने पूर्वजों का पिंडदान अर्पित करें और गरीब को भोजन करवाएं, कहते हैं कि ऐसा करने से आपके पूर्वजों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. अमावस्या को शनिदेव का दिन कहा जाता है. इसलिए आज के दिन शनि देव की भी पूजा का विशेष महत्व है.