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प्रशासन शहरों के संग अभियान : ज्यादा से ज्यादा पट्टे देने के लिए विशेष छूट, यूडीएच विभाग ने जारी किए आदेश - Self-governance unit

प्रशासन शहरों के संग अभियान-2021 की तैयारियों को लेकर शिविर लगाए जा रहे हैं. आयुक्त और अधिशासी अधिकारी बतौर प्रभारी काम देख रहे हैं. जोन वाइज आयोजित कैंप में जोन उपायुक्त और राजस्व अधिकारी को प्रभारी और सह प्रभारी नियुक्त किया गया है. स्वायत्त शासन विभाग ने कंसलटेंसी फर्म के माध्यम से जॉब बेसिस पर कार्मिक भी निकायों को उपलब्ध कराए हैं.

प्रशासन शहरों के संग अभियान
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Published : Sep 20, 2021, 10:30 PM IST

जयपुर. नगरीय विकास विभाग ने शिविरों में ऑनलाइन आवेदन प्राप्त कर, मांग पत्र जारी करते हुए राशि जमा कर पट्टे तैयार करने को लेकर आदेश जारी किए हैं.

प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत जिन निकाय की ओर से स्वीकृत योजना, स्वीकृत मास्टर प्लान, जोनल डवलपमेंट प्लान, सैक्टर प्लान, ले-ऑउट प्लान, आवेदन-पत्र, दर की जानकारी आमजन को दी जानी है, उन शिविरों में पट्टे देने की तैयारी की जानी है. ताकि 02 अक्टूबर को मुख्य अभियान के पहले ही दिन ज्यादा से ज्यादा पट्टे जारी किये जा सकें.

पट्टे जारी करने के आदेश

ऐसी कृषि भूमि जिनका पूर्व में ले-आउट प्लान स्वीकृत है उनके संबन्ध में : वर्ष 2011 की जन गणना अनुसार 1 लाख से अधिक आबादी के शहरों में अस्वीकृत कॉलोनियों के पट्टे जोनल प्लान स्वीकृत होने के बाद ही दिये जाने हैं. लेकिन जिन योजनाओं के ले-ऑउट प्लान पूर्व में ही स्वीकृत है, उन्हें कमिन्टमेन्ट मानते हुये जोनल प्लान में समायोजित किया जाना है. ऐसे में पूर्व स्वीकृत योजनाओं में पट्टे दिये जा सकते हैं.

कृषि भूमि पर बसी हुई 17 जून 1999 से पहले और बाद की स्वीकृत योजनाएं जिन में 90-बी की अनुज्ञा है, उनमें 90-बी की निर्धारित दरों से राशि ली जाए. इनमें पहले कैम्प से 15 प्रतिशत ब्याज देय नहीं होगा. यदि पूर्व में मांग पत्र जारी किया हुआ है, लेकिन राशि जमा नहीं हुई है, तो वर्तमान दर से दोबारा मांग पत्र जारी किया जाए.

17 जून 1999 से पहले की स्वीकृत योजनाओं में भूखण्डों का अपंजीकृत दस्तावेजों के आधार पर जितनी भी बार विक्रय हुआ है, अन्तिम क्रेता से प्रीमियम दर की 15 प्रतिशत राशि अतिरिक्त लेकर अन्तिम क्रेता को पट्टे दिये जाएं. 17 जून 1999 के बाद की स्वीकृत योजनाओं में भूखण्डों का पंजीकृत दस्तावेजों के आधार पर विक्रय होने पर प्रीमियम दर की 10 प्रतिशत राशि अतिरिक्त लेकर और अपंजीकृत दस्तावेजों के आधार पर कितनी ही बार विक्रय हुआ हो, प्रीमियम दर की 50 प्रतिशत राशि अतिरिक्त लेकर अन्तिम क्रेता को पट्टे दिये जाएं.

प्रशासन शहरों के संग अभियान
ज्यादा से ज्यादा पट्टे जारी करने के लिए छूट

स्वीकृत योजनाएं जिन में खसरा सुपरइम्पोज किया हुआ है, उनमें आवेदक के स्वामित्व भूखण्ड के खसरा नम्बर और सुपर इम्पोज के खसरा नम्बर में भिन्नता होने पर दोनों खसरों की 90-बी/90-ए हो जाने से सुपर इम्पोज त्रुटि मानते हुये पट्टे दिये जाएं. स्वीकृत योजनाओं में आवेदक के स्वामित्व से ले-ऑउट प्लान के अनुसार भूखण्ड के क्षेत्रफल वृद्धि होने पर अधिक भूमि की राशि राजकीय भूमि की दर के अनुसार ली जाए.

स्वीकृत योजनाओं में 90-बी/90-ए की अनुज्ञा के बाद पट्टे दिये जा चुके, ऐसे भूखण्डों के क्षेत्रफल में वृद्धि होने पर निजी विकासकर्ता की योजना में आरक्षित दर का 50 प्रतिशत और अन्य बसी हुई कॉलोनियों/ गृह निर्माण सहकारी समिति की योजनाओं में आरक्षित दर का 25 प्रतिशत से राशि लेकर अधिक भूमि का आवंटन कर पूरक लीजडीड या पुराना पट्टा समर्पण कराकर नया पट्टा दिया जा सकेगा. स्वीकृत योजनाओं में अनुमोदित ले ऑउट के अनुसार मौके पर भूखण्डों का सृजन/ निर्माण नहीं होने पर सुविधा क्षेत्र का अनुपात स्वीकृत ले ऑउट प्लान के अनुसार रखते हुए संशोधित ले-ऑउट प्लान स्वीकृत कर पट्टे दिये जा सकते हैं.

पढ़ें- 3 चरणों में होगा प्रशासन शहरों के संग अभियान, आवेदन से लेकर समाधान सब कुछ होगा ऑनलाइन

स्वीकृत योजनाओं में सुविधा क्षेत्र के बराबर भूमि उसी योजना या भूमि उपलब्ध नहीं होने पर समीपवर्ती क्षेत्र में चिन्हिकरण की जा सकती है. सुविधा क्षेत्र में कमी की पूर्ति के लिए भूखण्डधारियों से आनुपातिक फेसिलिटि सेस आरक्षित दर या डीएलसी दर की 25 प्रतिशत जो भी कम हो लिया जाएगा. स्वीकृत ले ऑउट प्लान के भूखण्ड और आवदेक द्वारा पट्टे के लिए प्रस्तुत किये गये भूखण्ड के अनुसार यदि उप-विभाजन / पुर्नगठन है तो 10/- रूपये प्रति वर्गमीटर की दर से राशि लेकर पट्टा दिया जाए. साथ ही इस प्रकार के ले-ऑउट प्लान के उप-विभाजन / पुर्नगठन का अंकन भी प्लान में कर लिया जाए.

कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों के बारे में

ऐसी कृषि भूमियों पर बसी कॉलोनियां जिनके सैक्टर ले-ऑउट प्लान स्वीकृत किये जाने हैं उनके लिए 17 जून 1999 के बाद गृह निर्माण सरकारी समितियों द्वारा जारी पट्टे/ आवंटन पत्र कानूनन मान्य नहीं हैं. निकाय में पेश हुए ले-आउट प्लान या स्वप्रेरणा से करवाये गये सर्व की योजनाओं में योजना में 70:30 का अनुपात रखते हुए धारा 90-ए (8) के अन्तर्गत कार्यवाही करते हुए और 17 जून 1999 बाद की योजना में 60:40 का अनुपात रखते हुए धारा 90–ए (5) और 91 के अन्तर्गत कार्यवाही करते हुए 1 लाख से अधिक आबादी के शहरों में जोनल प्लान के अनुसार और 1 लाख तक आबादी के शहर में मास्टर प्लान के अनुसार स्थानीय एम्पावर्ड समिति द्वारा ले ऑउट प्लान स्वीकृत कर पट्टे दिये जा सकेंगे.

कॉलोनियों में 25 प्रतिशत से कम भूखण्डों पर निर्माण (एक ईकाई और चारदिवारी) होने, सुविधा क्षेत्र 30/40 प्रतिशत से कम होने पर प्रस्तुत प्लान और सर्वे में सृजित भूखण्डों का क्षेत्रफल कम कर सुविधा क्षेत्र बढ़ाया जा सकता है. यदि निर्मित भूखण्डों जिनका क्षेत्रफल कम नहीं हो सकता आरक्षित दर या डीएलसी दर की 25 प्रतिशत जो भी कम हो, उस दर से फेसेलिटि सेस राशि लेकर पट्टे दिये जा सकेंगे. इस राशि को उसी कॉलोनी में सुविधाएं विकसित करने के लिये खर्च किया जाएगा.

कॉलोनियों में 25 प्रतिशत से अधिक भूखण्डों पर निर्माण होने पर सुविधा क्षेत्र 17 जून 1999 से पहले की कॉलोनी में 30 प्रतिशत और बाद की कॉलोनियों में 40 प्रतिशत से कम होने पर कम सुविधा क्षेत्रफल का 'फेसेलिटि सेस' सभी भूखण्डों से लेकर पट्टे दिये जाए. एक और एक से अधिक कॉलोनियों को सम्मिलित करते हुए सैक्टर ले ऑउट प्लान तैयार किया जा सकता है. यदि बाहरी सीमाओं का मिलान हो जाता है तो खसरा सुपर इम्पोज करने की आवश्यकता नहीं होगी. स्वीकृत किये जाने वाले क्षेत्र की चारों ओर की सीमाएं निर्धारित किया जाना आवश्यक होगा.

ले ऑउट प्लान में सरकारी भूमि सम्मिलित होने पर उसका चिन्हीकरण कर राजकीय भूमि में स्थित भूखण्डों की राशि राजकीय भूमि की दर से लेकर पट्टे दिये जाए, चिन्हीकरण नहीं होने पर सभी भूखण्डधारियों से राजकीय भूमि की अतिरिक्त राशि लेकर पट्टे दिये जाएं. आनुपातिक तौर पर ले ऑउट प्लान की चारों ओर की सीमाओं में स्थित खसरों का जमाबन्दी के अनुसार कुल क्षेत्रफल से खसरा ट्रेस या मौके पर अधिक भूमि होने की स्थति में अधिक भूमि की राशि राजकीय भूमि की दर से लेकर ले ऑउट स्वीकृत कर पट्टे दिये जाएं.

प्रोविजनल पट्टे / प्रपत्र (द) के आधार पर पट्टे देना

टॉउनशिप पॉलीसी-2010 के अन्तर्गत 90-ए की अनुज्ञा व ले-आउट प्लान स्वीकृत होने के बाद खोतेदार/ विकासकर्ता द्वारा स्वीकृत ले ऑउट प्लान के अनुसार भूखण्डों के विक्रय के लिए जारी किये गये प्रोविजन आवंटन पत्र, प्रपत्र, नॉमिनी पत्र या असाईंनी पत्र को पंजीकृत कराने के बाद निकाय द्वारा फ्री होल्ड या फिर 99 वर्षीय लीज होल्ड का पट्टा एक मुश्त 10 वर्ष/8 वर्ष की लीज राशि लेकर दिया जाए। ऐसे प्रकरणों में पंजीयन में शिथिलता की दरें अलग से जारी की जा रही है.

निजी विकासकर्ताओं द्वारा कॉलोनियों का रिकॉर्ड जमा नहीं कराने बाबत

कई निजी विकासकर्ताओं द्वारा वर्षों से भूखण्ड आवंटन करने के बाद भी रिकॉर्ड/ सूची जयपुर विकास प्राधिकरण में जमा नहीं करवाये गये हैं. ऐसे भूखण्डधारियों/ प्लाट धारकों द्वारा जयपुर विकास प्राधिकरण और राज्य सरकार के पास बार-बार आवेदन किया जाता रहा है. इस संबंध में निर्णय लिया गया है कि यदि ऐसे प्रकरणों में 30 अक्टूबर 2021 तक निजी विकासकर्ता द्वारा नगरीय निकाय में योजना और भूखण्डधारियों का रिकॉर्ड जमा नहीं करवाया जाता है, इसके बाद संबंधित भूखण्डयारियों द्वारा सीधे तौर पर या विकास समिति का गठन कर (रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होगी) भूमि का विस्तृत ब्यौरा मय उपलब्ध दस्तावेज जयुपर विकास प्राधिकरण में जमा करा दिये जाएं. जिसके अनुरूप जयपुर विकास प्राधिकरण सर्वे कर ले-आउट प्लान तैयार करेगा. ऐसे भूखण्डधारियों को अभियान अवधि में पट्टे जारी किया जायेंगे. इसी तरह के कार्य जयपुर की पृथ्वीराज नगर योजना में भी किए जाएंगे.

निकायों की योजनाओं में भूखण्ड को पट्टा देना

निकायों द्वारा नीलामी और निश्चित दर पर लॉटरी से आवंटन किये गये भूखण्डों में मांग-पत्र आवंटन पत्र के अनुसार निर्धारित समय में राशि जमा नहीं कराकर विलम्ब से मूल राशि जमा करवाई गई है. लेकिन ब्याज और शास्ती की राशि जमा नहीं करवाई गई है. अभियान अवधि में ऐसे प्रकरण जिनमें मूल राशि जमा है, लेकिन ब्याज और शास्ती जमा नहीं है, उनमें ब्याज और शास्ति में शत-प्रतिशत छूट प्रदान करते हुए स्थानीय स्तर पर ही लीजडीड/पट्टा देकर कब्जा दिया जाए.

पढ़ें- प्रशासन शहरों के संग अभियान : तो क्या जनता को राहत के नाम पर सरकार कर रही जेब भरने की तैयारी!

निकायों द्वारा आवंटन किये गये भूखण्ड/ आवासों का निकाय द्वारा लीज डीड जारी करने से पहले ही अपंजीकृत दस्तावेजों के द्वारा कितनी ही बार विक्रय किया गया है. अंतिम क्रेता के पक्ष में लीजडीड/पट्टा दिया जाये. पंजियन में शिथिलता की दरें अलग से जारी की जाएगी.

अल्प आय वर्ग, निम्न आय वर्ग, उच्च आय वर्ग के आवासों में ब्याज पैनल्टी की छूट

नगरीय निकाय और राजस्थान आवासन मण्डल द्वारा EWS/LIG / MIG-A आय ग्रुप के आवास / भूखण्ड आवंटित किये गये हैं. जिन में मूल राशि और किस्ते निर्धारित समय पर जमा नहीं कराने से ब्याज और पैनल्टी का काफी भार बढ़ चुका है. अब अभियान अवधि में निकायों और आवासन मण्डल के आवास/ भूखण्ड और आवासन मण्डल के MIG-B और HIG के आवासों में बकाया राशि/ बकाया किस्तों की राशि एक मुश्त जमा करने पर ब्याज पैनल्टी में शत प्रतिशत छूट प्रदान करते हुए स्थानीय स्तर पर ही आवंटन/लीजडीड/पट्टा दिया जाए.

निर्धारित अवधि में निर्माण नहीं करने पर पुर्नग्रहण शुल्क में छूट

निकायों द्वारा जारी की गई लीजडीड / पट्टों की शर्त के अनुसार निर्धारित अवधि में निर्माण करना आवश्यक है. भूमि निष्पादन नियम-1974, कृषि अनुज्ञा, आवंटन नियम-2012 दोनों प्रकार के प्रकरणों में अभियान अवधि में लीजडीड/पट्टों में अंकित निर्माण अवधि में निर्माण नहीं करने पर निर्धारित दरों पर बकाया राशि पर 60 प्रतिशत की छूट देकर गणना करते हुए शुल्क लेकर निर्माण अवधि में विस्तार किया जाए.

लीज होल्ड से फ्री होल्ड, नाम हस्तानान्तरण

लीज होल्ड से फ्री होल्ड, नाम हस्तानान्तरण, उप-विभाजन / पुर्नगठन व भू-उपयोग परिवर्तन के नये पट्टे देने के लिए - निकायों द्वारा जारी की गई 99 वर्षीय लीजडीड को 10 वर्ष की एक मुश्त लीज जमा कराकर या 8 वर्ष की एक मुश्त लीज जमा कराकर लीज मुक्ती प्रमाण पत्र प्राप्त किये गये प्रकरणों में 2 वर्ष की लीज राशि एक मुश्त जमा कराकर फ्री होल्ड पट्टा दिया जाए. पुरानी लीजडीड को निकाय में समर्पण किये जाने के बाद पुरानी लीजडीड के पंजीयन का उल्लेख करते हुए नया फ्री होल्ड पट्टा जारी किया जाए.

निकायों द्वारा जारी की गई लीजडीड/ पट्टे के बाद पंजीकृत विक्रय / वसीयत / गिफ्ट आदि के आधार पर निर्धारित राशि लेकर, 10 वर्ष / 2 वर्ष की लीज राशि एक मुश्त लेकर पुराना पट्टा/लीज डीड सर्मपण कराकर फ्री होल्ड का नया पट्टा दिया जाए. पंजीकृत विक्रय पत्रों और वसीयत के प्रकरणों में समाचार पत्रों में विज्ञप्ति जारी की जाए.

निकाय द्वारा जारी की गई लीजडीड/पट्टे के बाद भूखण्डों का उप-विभाजन / पुर्नगठन कर निर्णय लिया जाता है. उन प्रकरणों में भी पुरानी लीजडीड / पट्टा समर्पण कराकर 10 वर्ष / 2 वर्ष की लीज राशि लेकर नया फ्री होल्ड का पट्टा दिया जाए. भू-उपयोग परिवर्तन के निर्णय बाद पुराना पट्टा/लीज डीड सर्मपण कराकर 10 वर्ष / 2 वर्ष की लीज राशि लेकर नया फ्री-होल्ड का पट्टा दिया जाए. इन प्रकरणों में पंजीयन की दरों में शिथिलता अलग से जारी की जाएगी.

जयपुर. नगरीय विकास विभाग ने शिविरों में ऑनलाइन आवेदन प्राप्त कर, मांग पत्र जारी करते हुए राशि जमा कर पट्टे तैयार करने को लेकर आदेश जारी किए हैं.

प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत जिन निकाय की ओर से स्वीकृत योजना, स्वीकृत मास्टर प्लान, जोनल डवलपमेंट प्लान, सैक्टर प्लान, ले-ऑउट प्लान, आवेदन-पत्र, दर की जानकारी आमजन को दी जानी है, उन शिविरों में पट्टे देने की तैयारी की जानी है. ताकि 02 अक्टूबर को मुख्य अभियान के पहले ही दिन ज्यादा से ज्यादा पट्टे जारी किये जा सकें.

पट्टे जारी करने के आदेश

ऐसी कृषि भूमि जिनका पूर्व में ले-आउट प्लान स्वीकृत है उनके संबन्ध में : वर्ष 2011 की जन गणना अनुसार 1 लाख से अधिक आबादी के शहरों में अस्वीकृत कॉलोनियों के पट्टे जोनल प्लान स्वीकृत होने के बाद ही दिये जाने हैं. लेकिन जिन योजनाओं के ले-ऑउट प्लान पूर्व में ही स्वीकृत है, उन्हें कमिन्टमेन्ट मानते हुये जोनल प्लान में समायोजित किया जाना है. ऐसे में पूर्व स्वीकृत योजनाओं में पट्टे दिये जा सकते हैं.

कृषि भूमि पर बसी हुई 17 जून 1999 से पहले और बाद की स्वीकृत योजनाएं जिन में 90-बी की अनुज्ञा है, उनमें 90-बी की निर्धारित दरों से राशि ली जाए. इनमें पहले कैम्प से 15 प्रतिशत ब्याज देय नहीं होगा. यदि पूर्व में मांग पत्र जारी किया हुआ है, लेकिन राशि जमा नहीं हुई है, तो वर्तमान दर से दोबारा मांग पत्र जारी किया जाए.

17 जून 1999 से पहले की स्वीकृत योजनाओं में भूखण्डों का अपंजीकृत दस्तावेजों के आधार पर जितनी भी बार विक्रय हुआ है, अन्तिम क्रेता से प्रीमियम दर की 15 प्रतिशत राशि अतिरिक्त लेकर अन्तिम क्रेता को पट्टे दिये जाएं. 17 जून 1999 के बाद की स्वीकृत योजनाओं में भूखण्डों का पंजीकृत दस्तावेजों के आधार पर विक्रय होने पर प्रीमियम दर की 10 प्रतिशत राशि अतिरिक्त लेकर और अपंजीकृत दस्तावेजों के आधार पर कितनी ही बार विक्रय हुआ हो, प्रीमियम दर की 50 प्रतिशत राशि अतिरिक्त लेकर अन्तिम क्रेता को पट्टे दिये जाएं.

प्रशासन शहरों के संग अभियान
ज्यादा से ज्यादा पट्टे जारी करने के लिए छूट

स्वीकृत योजनाएं जिन में खसरा सुपरइम्पोज किया हुआ है, उनमें आवेदक के स्वामित्व भूखण्ड के खसरा नम्बर और सुपर इम्पोज के खसरा नम्बर में भिन्नता होने पर दोनों खसरों की 90-बी/90-ए हो जाने से सुपर इम्पोज त्रुटि मानते हुये पट्टे दिये जाएं. स्वीकृत योजनाओं में आवेदक के स्वामित्व से ले-ऑउट प्लान के अनुसार भूखण्ड के क्षेत्रफल वृद्धि होने पर अधिक भूमि की राशि राजकीय भूमि की दर के अनुसार ली जाए.

स्वीकृत योजनाओं में 90-बी/90-ए की अनुज्ञा के बाद पट्टे दिये जा चुके, ऐसे भूखण्डों के क्षेत्रफल में वृद्धि होने पर निजी विकासकर्ता की योजना में आरक्षित दर का 50 प्रतिशत और अन्य बसी हुई कॉलोनियों/ गृह निर्माण सहकारी समिति की योजनाओं में आरक्षित दर का 25 प्रतिशत से राशि लेकर अधिक भूमि का आवंटन कर पूरक लीजडीड या पुराना पट्टा समर्पण कराकर नया पट्टा दिया जा सकेगा. स्वीकृत योजनाओं में अनुमोदित ले ऑउट के अनुसार मौके पर भूखण्डों का सृजन/ निर्माण नहीं होने पर सुविधा क्षेत्र का अनुपात स्वीकृत ले ऑउट प्लान के अनुसार रखते हुए संशोधित ले-ऑउट प्लान स्वीकृत कर पट्टे दिये जा सकते हैं.

पढ़ें- 3 चरणों में होगा प्रशासन शहरों के संग अभियान, आवेदन से लेकर समाधान सब कुछ होगा ऑनलाइन

स्वीकृत योजनाओं में सुविधा क्षेत्र के बराबर भूमि उसी योजना या भूमि उपलब्ध नहीं होने पर समीपवर्ती क्षेत्र में चिन्हिकरण की जा सकती है. सुविधा क्षेत्र में कमी की पूर्ति के लिए भूखण्डधारियों से आनुपातिक फेसिलिटि सेस आरक्षित दर या डीएलसी दर की 25 प्रतिशत जो भी कम हो लिया जाएगा. स्वीकृत ले ऑउट प्लान के भूखण्ड और आवदेक द्वारा पट्टे के लिए प्रस्तुत किये गये भूखण्ड के अनुसार यदि उप-विभाजन / पुर्नगठन है तो 10/- रूपये प्रति वर्गमीटर की दर से राशि लेकर पट्टा दिया जाए. साथ ही इस प्रकार के ले-ऑउट प्लान के उप-विभाजन / पुर्नगठन का अंकन भी प्लान में कर लिया जाए.

कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों के बारे में

ऐसी कृषि भूमियों पर बसी कॉलोनियां जिनके सैक्टर ले-ऑउट प्लान स्वीकृत किये जाने हैं उनके लिए 17 जून 1999 के बाद गृह निर्माण सरकारी समितियों द्वारा जारी पट्टे/ आवंटन पत्र कानूनन मान्य नहीं हैं. निकाय में पेश हुए ले-आउट प्लान या स्वप्रेरणा से करवाये गये सर्व की योजनाओं में योजना में 70:30 का अनुपात रखते हुए धारा 90-ए (8) के अन्तर्गत कार्यवाही करते हुए और 17 जून 1999 बाद की योजना में 60:40 का अनुपात रखते हुए धारा 90–ए (5) और 91 के अन्तर्गत कार्यवाही करते हुए 1 लाख से अधिक आबादी के शहरों में जोनल प्लान के अनुसार और 1 लाख तक आबादी के शहर में मास्टर प्लान के अनुसार स्थानीय एम्पावर्ड समिति द्वारा ले ऑउट प्लान स्वीकृत कर पट्टे दिये जा सकेंगे.

कॉलोनियों में 25 प्रतिशत से कम भूखण्डों पर निर्माण (एक ईकाई और चारदिवारी) होने, सुविधा क्षेत्र 30/40 प्रतिशत से कम होने पर प्रस्तुत प्लान और सर्वे में सृजित भूखण्डों का क्षेत्रफल कम कर सुविधा क्षेत्र बढ़ाया जा सकता है. यदि निर्मित भूखण्डों जिनका क्षेत्रफल कम नहीं हो सकता आरक्षित दर या डीएलसी दर की 25 प्रतिशत जो भी कम हो, उस दर से फेसेलिटि सेस राशि लेकर पट्टे दिये जा सकेंगे. इस राशि को उसी कॉलोनी में सुविधाएं विकसित करने के लिये खर्च किया जाएगा.

कॉलोनियों में 25 प्रतिशत से अधिक भूखण्डों पर निर्माण होने पर सुविधा क्षेत्र 17 जून 1999 से पहले की कॉलोनी में 30 प्रतिशत और बाद की कॉलोनियों में 40 प्रतिशत से कम होने पर कम सुविधा क्षेत्रफल का 'फेसेलिटि सेस' सभी भूखण्डों से लेकर पट्टे दिये जाए. एक और एक से अधिक कॉलोनियों को सम्मिलित करते हुए सैक्टर ले ऑउट प्लान तैयार किया जा सकता है. यदि बाहरी सीमाओं का मिलान हो जाता है तो खसरा सुपर इम्पोज करने की आवश्यकता नहीं होगी. स्वीकृत किये जाने वाले क्षेत्र की चारों ओर की सीमाएं निर्धारित किया जाना आवश्यक होगा.

ले ऑउट प्लान में सरकारी भूमि सम्मिलित होने पर उसका चिन्हीकरण कर राजकीय भूमि में स्थित भूखण्डों की राशि राजकीय भूमि की दर से लेकर पट्टे दिये जाए, चिन्हीकरण नहीं होने पर सभी भूखण्डधारियों से राजकीय भूमि की अतिरिक्त राशि लेकर पट्टे दिये जाएं. आनुपातिक तौर पर ले ऑउट प्लान की चारों ओर की सीमाओं में स्थित खसरों का जमाबन्दी के अनुसार कुल क्षेत्रफल से खसरा ट्रेस या मौके पर अधिक भूमि होने की स्थति में अधिक भूमि की राशि राजकीय भूमि की दर से लेकर ले ऑउट स्वीकृत कर पट्टे दिये जाएं.

प्रोविजनल पट्टे / प्रपत्र (द) के आधार पर पट्टे देना

टॉउनशिप पॉलीसी-2010 के अन्तर्गत 90-ए की अनुज्ञा व ले-आउट प्लान स्वीकृत होने के बाद खोतेदार/ विकासकर्ता द्वारा स्वीकृत ले ऑउट प्लान के अनुसार भूखण्डों के विक्रय के लिए जारी किये गये प्रोविजन आवंटन पत्र, प्रपत्र, नॉमिनी पत्र या असाईंनी पत्र को पंजीकृत कराने के बाद निकाय द्वारा फ्री होल्ड या फिर 99 वर्षीय लीज होल्ड का पट्टा एक मुश्त 10 वर्ष/8 वर्ष की लीज राशि लेकर दिया जाए। ऐसे प्रकरणों में पंजीयन में शिथिलता की दरें अलग से जारी की जा रही है.

निजी विकासकर्ताओं द्वारा कॉलोनियों का रिकॉर्ड जमा नहीं कराने बाबत

कई निजी विकासकर्ताओं द्वारा वर्षों से भूखण्ड आवंटन करने के बाद भी रिकॉर्ड/ सूची जयपुर विकास प्राधिकरण में जमा नहीं करवाये गये हैं. ऐसे भूखण्डधारियों/ प्लाट धारकों द्वारा जयपुर विकास प्राधिकरण और राज्य सरकार के पास बार-बार आवेदन किया जाता रहा है. इस संबंध में निर्णय लिया गया है कि यदि ऐसे प्रकरणों में 30 अक्टूबर 2021 तक निजी विकासकर्ता द्वारा नगरीय निकाय में योजना और भूखण्डधारियों का रिकॉर्ड जमा नहीं करवाया जाता है, इसके बाद संबंधित भूखण्डयारियों द्वारा सीधे तौर पर या विकास समिति का गठन कर (रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होगी) भूमि का विस्तृत ब्यौरा मय उपलब्ध दस्तावेज जयुपर विकास प्राधिकरण में जमा करा दिये जाएं. जिसके अनुरूप जयपुर विकास प्राधिकरण सर्वे कर ले-आउट प्लान तैयार करेगा. ऐसे भूखण्डधारियों को अभियान अवधि में पट्टे जारी किया जायेंगे. इसी तरह के कार्य जयपुर की पृथ्वीराज नगर योजना में भी किए जाएंगे.

निकायों की योजनाओं में भूखण्ड को पट्टा देना

निकायों द्वारा नीलामी और निश्चित दर पर लॉटरी से आवंटन किये गये भूखण्डों में मांग-पत्र आवंटन पत्र के अनुसार निर्धारित समय में राशि जमा नहीं कराकर विलम्ब से मूल राशि जमा करवाई गई है. लेकिन ब्याज और शास्ती की राशि जमा नहीं करवाई गई है. अभियान अवधि में ऐसे प्रकरण जिनमें मूल राशि जमा है, लेकिन ब्याज और शास्ती जमा नहीं है, उनमें ब्याज और शास्ति में शत-प्रतिशत छूट प्रदान करते हुए स्थानीय स्तर पर ही लीजडीड/पट्टा देकर कब्जा दिया जाए.

पढ़ें- प्रशासन शहरों के संग अभियान : तो क्या जनता को राहत के नाम पर सरकार कर रही जेब भरने की तैयारी!

निकायों द्वारा आवंटन किये गये भूखण्ड/ आवासों का निकाय द्वारा लीज डीड जारी करने से पहले ही अपंजीकृत दस्तावेजों के द्वारा कितनी ही बार विक्रय किया गया है. अंतिम क्रेता के पक्ष में लीजडीड/पट्टा दिया जाये. पंजियन में शिथिलता की दरें अलग से जारी की जाएगी.

अल्प आय वर्ग, निम्न आय वर्ग, उच्च आय वर्ग के आवासों में ब्याज पैनल्टी की छूट

नगरीय निकाय और राजस्थान आवासन मण्डल द्वारा EWS/LIG / MIG-A आय ग्रुप के आवास / भूखण्ड आवंटित किये गये हैं. जिन में मूल राशि और किस्ते निर्धारित समय पर जमा नहीं कराने से ब्याज और पैनल्टी का काफी भार बढ़ चुका है. अब अभियान अवधि में निकायों और आवासन मण्डल के आवास/ भूखण्ड और आवासन मण्डल के MIG-B और HIG के आवासों में बकाया राशि/ बकाया किस्तों की राशि एक मुश्त जमा करने पर ब्याज पैनल्टी में शत प्रतिशत छूट प्रदान करते हुए स्थानीय स्तर पर ही आवंटन/लीजडीड/पट्टा दिया जाए.

निर्धारित अवधि में निर्माण नहीं करने पर पुर्नग्रहण शुल्क में छूट

निकायों द्वारा जारी की गई लीजडीड / पट्टों की शर्त के अनुसार निर्धारित अवधि में निर्माण करना आवश्यक है. भूमि निष्पादन नियम-1974, कृषि अनुज्ञा, आवंटन नियम-2012 दोनों प्रकार के प्रकरणों में अभियान अवधि में लीजडीड/पट्टों में अंकित निर्माण अवधि में निर्माण नहीं करने पर निर्धारित दरों पर बकाया राशि पर 60 प्रतिशत की छूट देकर गणना करते हुए शुल्क लेकर निर्माण अवधि में विस्तार किया जाए.

लीज होल्ड से फ्री होल्ड, नाम हस्तानान्तरण

लीज होल्ड से फ्री होल्ड, नाम हस्तानान्तरण, उप-विभाजन / पुर्नगठन व भू-उपयोग परिवर्तन के नये पट्टे देने के लिए - निकायों द्वारा जारी की गई 99 वर्षीय लीजडीड को 10 वर्ष की एक मुश्त लीज जमा कराकर या 8 वर्ष की एक मुश्त लीज जमा कराकर लीज मुक्ती प्रमाण पत्र प्राप्त किये गये प्रकरणों में 2 वर्ष की लीज राशि एक मुश्त जमा कराकर फ्री होल्ड पट्टा दिया जाए. पुरानी लीजडीड को निकाय में समर्पण किये जाने के बाद पुरानी लीजडीड के पंजीयन का उल्लेख करते हुए नया फ्री होल्ड पट्टा जारी किया जाए.

निकायों द्वारा जारी की गई लीजडीड/ पट्टे के बाद पंजीकृत विक्रय / वसीयत / गिफ्ट आदि के आधार पर निर्धारित राशि लेकर, 10 वर्ष / 2 वर्ष की लीज राशि एक मुश्त लेकर पुराना पट्टा/लीज डीड सर्मपण कराकर फ्री होल्ड का नया पट्टा दिया जाए. पंजीकृत विक्रय पत्रों और वसीयत के प्रकरणों में समाचार पत्रों में विज्ञप्ति जारी की जाए.

निकाय द्वारा जारी की गई लीजडीड/पट्टे के बाद भूखण्डों का उप-विभाजन / पुर्नगठन कर निर्णय लिया जाता है. उन प्रकरणों में भी पुरानी लीजडीड / पट्टा समर्पण कराकर 10 वर्ष / 2 वर्ष की लीज राशि लेकर नया फ्री होल्ड का पट्टा दिया जाए. भू-उपयोग परिवर्तन के निर्णय बाद पुराना पट्टा/लीज डीड सर्मपण कराकर 10 वर्ष / 2 वर्ष की लीज राशि लेकर नया फ्री-होल्ड का पट्टा दिया जाए. इन प्रकरणों में पंजीयन की दरों में शिथिलता अलग से जारी की जाएगी.

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