जयपुर. शहर में साइबर ठगी का जाल फैला है. शिकार होने वाले लोगों में शिक्षित भी शामिल हैं और अशिक्षित भी. कोरोना संक्रमण के डर ने लोगों को नकदी की जगह ऑनलाइन कैश ट्रांजेक्शन करने के लिए प्रेरित किया. लेकिन अब इसका सबसे ज्यादा फायदा साइबर ठग ही उठा रहे हैं.
साइबर ठग लोगों को अपनी बातों में फंसा कर,अनेक तरह के प्रलोभन देकर ठगी का शिकार बना रहे हैं. ताज्जुब की बात ये है कि पढ़े-लिखे लोग भी बड़ी आसानी से साइबर ठगों की बातों में आकर अपनी मेहनत की कमाई गंवा रहे हैं. कोरोना काल में साइबर ठगी के प्रकरणों में काफी इजाफा देखने को मिला है.
लॉकडाउन से पहले जहां राजधानी जयपुर में प्रतिदिन औसतन दो से तीन साइबर ठगी के प्रकरण दर्ज किए जाते थे. उनकी संख्या लॉकडाउन के दौरान और अनलॉक के बाद काफी बढ़ गई है. अब राजधानी जयपुर में साइबर ठगी के प्रतिदिन औसतन 12 प्रकरण दर्ज किए जा रहे हैं. साइबर ठगी के लगातार बढ़ते प्रकरणों को देखते हुए जयपुर पुलिस कमिश्नरेट की साइबर सेल को मजबूत बनाया जा रहा है और इसके साथ ही विभिन्न प्राइवेट साइबर एक्सपर्ट्स की मदद भी ठगी के प्रकरणों को सुलझाने के लिए ली जा रही है.
कमिश्नरेट के चारों जिलों में गठित की गई स्पेशल साइबर विंगः
जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में साइबर ठगी के प्रकरणों का निस्तारण करने के लिए स्पेशल ऑफेंसेस एंड साइबर क्राइम थाना खोला गया, लेकिन लगातार बढ़ते साइबर ठगी के प्रकरण को देखते हुए कमिश्नरेट के चारों जिलों में स्पेशल साइबर विंग का गठन किया गया. ऐसे पुलिसकर्मी जो साइबर क्राइम के प्रति अच्छी नॉलेज रखते हैं और अनुसंधान में प्रभावी हैं उन्हें साइबर विंग में शामिल किया गया. इसके साथ ही जयपुर पुलिस की ओर से पैरोल पर रखे गए साइबर एक्सपर्ट्स के जरिए पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग भी दिलाई जा रही है. साइबर क्राइम की बारीकियों, ठगी के नए तरीकों और साइबर ठगों का पता लगाकर उन्हें दबोचने के तरीकों के बारे में पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है.
साइबर ठगों से ठगी गई राशि वापस पाना मुश्किल टास्कः
एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजयपाल लांबा ने बताया कि राजधानी जयपुर में दर्ज होने वाले साइबर ठगी के सभी प्रकरणों में तीव्र अनुसंधान कर प्रकरण का निस्तारण करने का प्रयास पुलिस द्वारा किया जाता है. प्रत्येक ठगी के प्रकरण में पुलिस आरोपियों का पता लगाने में कामयाब हो जाती है और आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया जाता है. लंबी जद्दोजहद के बाद आरोपियों को दबोच तो लिया जाता है, लेकिन उनके द्वारा ठगी गई लाखों रुपए की राशि को वापस पाना पुलिस के लिए एक बेहद मुश्किल टास्क होता है. पुलिस जब तक आरोपी तक पहुंचती है तब तक आरोपी की ओर से ठगी गई राशि को खुर्द बुर्द कर दिया जाता है. ऐसे में ठगी गई राशि को रिकवर करना पुलिस के लिए एक टेढ़ी खीर साबित होता है.
जागरूक रहें और लालच में ना आएं:
साइबर ठगी से बचने के लिए प्रत्येक इंसान का साइबर क्राइम के प्रति जागरूक होना बेहद आवश्यक है. जागरूक रहकर ही साइबर ठगों द्वारा बिछाए गए जाल में फंसने से खुद को रोका जा सकता है. वहीं, साइबर ठगी के जितने भी प्रकरण सामने आते हैं उनमें से अधिकांश ऐसे प्रकरण होते हैं जिसमें लालच में आकर पीड़ित अपनी मेहनत की कमाई पर से हाथ धो बैठता है. जिसे देखते हुए जयपुर पुलिस लगातार आमजन से साइबर ठगों की ओर से दिए जा रहे लालच में ना आने और जागरूक रहकर खुद को ठगी का शिकार होने से बचाने की अपील कर रही है.
यह देखा गया है कि साइबर ठग लोगों को लॉटरी निकलने का झांसा देकर, पॉलिसी की राशि दिलाने के नाम पर, रुपए निवेश कर कम समय में मोटा मुनाफा कमा कर देने का लालच देकर अपने जाल में फंसाते हैं. जिसके चलते लालच में आकर पीड़ित व्यक्ति द्वारा अपने बैंक खाते, क्रेडिट और डेबिट कार्ड, पिन और पासवर्ड आदि की जानकारी साइबर ठगों से साझा कर दी जाती है. जिसके बाद साइबर ठग बड़ी आसानी से पीड़ित व्यक्ति के खाते में से लाखों रुपए की राशि का ट्रांजैक्शन कर लेते हैं.