जयपुर. डॉ. सौम्या गुर्जर ने जयपुर ग्रेटर मेयर की कुर्सी (Soumya Gurjar again took charge of Jaipur greater mayor) फिर से संभाल ली है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद बुधवार को सौम्या गुर्जर ने करीब 7 महीने बाद दोबारा महापौर का पदभार संभाला है. इस दौरान महापौर ने कहा कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं. उन्हें न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है. आगे भी वह जनता के भले के लिए कटिबद्ध रहेंगी. मेयर की कुर्सी संभालने पर पार्षदों और कर्मचारियों ने जोरदार स्वागत किया. इस दौरान बड़ी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ता भी मौजूद रहे. हालांकि अब तक बतौर कार्यवाहक महापौर का काम देख रही शील धाभाई और निगम कमिश्नर इस दौरान नदारद रहे.
डॉ. सौम्या गुर्जर ने दोबारा मेयर कुर्सी पर बैठने के बाद ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि न्यायपालिका पर भरोसा है. भगवान के घर देर है अंधेर नहीं. बीते 7 महीने में निगम में जो भी हुआ, अब सभी पार्षद एक साथ एकजुट होकर विकास कार्यों में अपनी भागीदारी निभाएंगे. बीवीजी कंपनी के भुगतान को लेकर जो विवाद (Somya Gurjar controversy with BVG company in Jaipur) शुरू हुआ, वो अभी भी ग्रेटर निगम में काम कर रही है. कमिश्नर की कुर्सी पर भी यज्ञमित्र सिंह देव बने हुए हैं. ऐसे में वही चुनौतियां बरकरार हैं.
इस सवाल पर सौम्या गुर्जर ने कहा कि पार्षद दल के साथ मीटिंग कर जो भी सही हो होगा, वो किया जाएगा. बोर्ड बैठक को लेकर उन्होंने कहा कि नियमानुसार जो भी प्रक्रिया होगी, उसे किया जाएगा. हालांकि अभी भी सौम्या गुर्जर को न्यायिक जांच पूरा होने का इंतजार रहेगा. इस बीच एडवोकेट नाहर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समझाते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने महापौर निलंबन आदेश को स्थगित कर दिया है. ऐसे में निलंबन आदेश निरर्थक हो गया है. न्यायिक कार्रवाई यथावत चलती रहेगी. इसमें सरकारी पक्ष बार-बार समय मांग रहे हैं.
उन्होंने बताया कि 60 दिन में जो न्यायिक प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई, सौम्या गुर्जर को उसका भी बेनिफिट मिला है. सरकार फेयर हैंड से न्यायिक प्रक्रिया में नहीं आई. पहले उन्होंने 4 जांच को अलग-अलग चलाया, और जब सौम्या गुर्जर की जांच पूरी हो गई, तब उन्होंने सभी जांच एक साथ करने की दरख्वास्त लगाकर जांच को विलंबित करने का प्रयास किया. जिस पर उच्चतम न्यायालय ने संज्ञान लेकर सस्पेंशन ऑर्डर को स्टे किया है.
उधर, महापौर के साथ उपमहापौर पुनीत कर्णावट भी उत्साहित नजर आए. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के पार्षद जयपुर के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं. बीते 14 महीने में भी पार्षदों ने जनता के हित में काम किया है. कांग्रेस ने चुने हुए बोर्ड को अस्थिर करने का प्रयास किया. लेकिन वो नाकाम रही. आज पहली जीत हुई है, जब भी निर्णय पूरा आएगा उसमें साफ हो जाएगा कि सरकार ने षड्यंत्र रच कर जयपुर की जनता के साथ विश्वासघात किया है. बीजेपी बोर्ड पहले भी समन्वय के साथ काम करना चाहता था, आज भी समन्वय के साथ काम करना चाहता है.
भविष्य में सीईओ भी अपनी जिम्मेदारी को समझेंगे और जयपुर की जनता के विकास में सहयोगी बनेंगे, बाधक नहीं. हालांकि इस दौरान अब तक कार्यवाहक महापौर का काम देख रही शील धाभाई की गैर मौजूदगी भी चर्चा का विषय रही. इस पर बीजेपी शहर अध्यक्ष राघव शर्मा ने कहा कि हो सकता है शील धाभाई किसी कारण से नहीं आई हों. लेकिन बीजेपी में स्वस्थ लोकतंत्र है, और इसी परंपरा के तहत कार्य को करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से जो निलंबन किया गया था, उस पर स्टे दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने मेयर का निलंबन गलत माना और यही वजह है कि आज दोबारा कार्यभार लिया गया है. अब राज्य सरकार को जांच करके सौंपनी है, जो उनका विषय है.
आपको बता दें कि पिछले साल 6 जून को मेयर पद से निलंबित हुई सौम्या गुर्जर सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेशों के बाद आज 241 दिन बाद मेयर की कुर्सी पर दोबारा बैठी हैं. इस दौरान कोई अप्रिय घटना ना हो, इसे देखते हुए निगम परिसर पुलिस छावनी में तब्दील हुई.