जयपुर. राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान के बीच अब विपक्षी दल भाजपा का अहम रोल हो गया है. प्रदेश के BJP नेता उसे बखूबी निभा भी रहे हैं लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में BJP से जुड़े कई कद्दावर नेताओं की चुप्पी भी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है.
ये वो नेता हैं, जिनकी किसी समय पार्टी में तूती बोला करती थी लेकिन अब इस पूरे प्रकरण से ये नेता लगभग गायब हैं. ऐसे में सवाल यही है कि क्या मौजूदा प्रदेश भाजपा नेतृत्व इन कद्दावर नेता के अनुभव का फायदा लेना ही नहीं चाह रहा है या ये नेता स्वयं वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं.
यह नेता मौजूदा चहल कदमी से लगभग हैं दूर...
वसुंधरा राजे
![राजस्थान बीजेपी, Rajasthan political crisis](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8176482_rlkesd.jpg)
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की मौजूदा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे प्रदेश में चल रही सियासी घटनाक्रम से पूरी तरह अब तक दूर ही नजर आई. वो धौलपुर में अपने महल में फिलहाल सावन महीने की पूजा पाठ में व्यस्त हैं. ट्वीट के जरिए भी एक या दो बार उन्होंने मौजूदा परिस्थितियों को लेकर अपना वक्तव्य रखा है. वहीं राजभवन में कांग्रेसी विधायक के धरने पर इनकी चुप्पी चर्चा में है. हालांकि, राजे इस पूरे घटनाक्रम को लेकर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के संपर्क में हैं.
ओम प्रकाश माथुर
![राजस्थान बीजेपी, Rajasthan political crisis](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8176482_dflgh.jpg)
भाजपा के पूर्व प्रदेश और मौजूदा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद ओम प्रकाश माथुर प्रदेश की हर सियासी नब्ज को अच्छी तरह जानते हैं लेकिन राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान में वे भी लगभग नदारद रहें. हालांकि, जयपुर में वे इस घटनाक्रम के दौरान 2 दिन रहे और एक दिन BJP मुख्यालय पहुंचकर प्रदेश नेताओं से चर्चा भी की. उन्होंने मीडिया में कुछ बयान भी दिए लेकिन मौजूदा हालातों को लेकर फिलहाल उनकी भूमिका गौण ही है. वहीं प्रदेश संगठन में चल रहे कामकाज या रणनीति में उनकी दखलअंदाजी और पूछ परख भी नहीं के बराबर रह गई है. हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम पर उनके एक या दो ट्वीट जरूर आए लेकिन राजभवन वाले घटनाक्रम पर वो ट्वीटर पर पूरी तरह मौन रहे.
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राज्यवर्धन सिंह राठौड़
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जयपुर ग्रामीण से मौजूदा सांसद और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे राज्यवर्धन सिंह राठौड़ प्रदेश के मौजूदा सियासी घटनाक्रम में महज शनिवार को प्रदेश नेताओं के साथ राजभवन में नजर आए. इस युवा और तेज तरार नेता की अपने क्षेत्र में पकड़ किसी से छुपी हुई नहीं है. केंद्र में बतौर मंत्री रहते हुए इनके कामकाज की भी सराहना हुई थी लेकिन प्रदेश में चल रहे इस पूरे एपिसोड में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ संगठनात्मक दृष्टि से गायब हैं. हालांकि, ट्विटर के जरिए वे मौजूदा घटनाक्रम को लेकर कुछ ट्वीट कर चुके हैं लेकिन इस सिलसिले में होने वाली संगठनात्मक बैठकों में हुए शामिल होते नहीं दिखे.
अशोक परनामी
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पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कमान संभालने वाले अशोक परनामी भी प्रदेश में चल रहे राजनीतिक उठापटक को घटनाक्रम से फिलहाल दूर ही हैं. शनिवार को प्रदेश नेताओं के साथ राजभवन में ज्ञापन देने जरूर गए लेकिन इससे पहले इस मसले पर होने वाली तमाम संगठनात्मक बैठक व अन्य मंत्रणाओं से दूर ही दिखे. मौजूदा घटनाक्रम को लेकर उनकी प्रतिक्रियाएं भी देखने को नहीं मिली. जबकि बतौर प्रदेश अध्यक्ष पार्टी में उनका लंबा कामकाज रहा है और संगठनात्मक दृष्टि से पूरे प्रदेश में निचले स्तर तक उनकी कार्यकर्ताओं में उनकी अच्छी पकड़ रही है.
घमासान जयपुर में लेकिन BJP के ये विधायक मौन...
प्रदेश की राजधानी जयपुर सियासी घमासान का प्रमुख केंद्र बना हुआ है लेकिन जयपुर से ही आने वाले भाजपा के विधायक इस पूरे घटनाक्रम को लेकर फिलहाल चुप हैं. फिर चाहे वो वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाने वाले विधायक कालीचरण सराफ हो या अशोक लाहोटी. अन्य विधायकों में नरपत सिंह राजवी और निर्मल कुमावत भी इस घमासान में किसी भी तरह का बयान जारी करने से बचते नजर आए.
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इस पूरे सियासी घटनाक्रम में शनिवार को जब भाजपा नेता राजभवन गए, तब इन विधायकों को इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया गया. वहीं कालीचरण सराफ प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पूर्व चिकित्सा मंत्री होने के नाते को कोरोना के बीच सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं लेकिन प्रदेश भाजपा मुख्यालय में इन विधायकों की चहलकदमी इन दिनों नजर ही नहीं आई.
इन प्रदेश नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती रही पूरी सियासत...
प्रदेश में चल रहे मौजूदा सियासी घटनाक्रम में विपक्ष की भूमिका का पूरा दारोमदार प्रमुख रूप से प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर और आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा. या फिर कहे मौजूदा घटनाक्रम को लेकर संगठनात्मक स्तर पर जो भी चर्चा व मंत्रणा या बैठक के हुई उनमें ये नेता ही नजर आए और प्रदेश सरकार व कांग्रेस के खिलाफ मीडिया में भी इनका रुख हमलावर रहा.
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यही कारण है कि अब चर्चा इस बात की भी हो रही है की प्रदेश भाजपा से जुड़े अन्य दिग्गज नेताओं की भूमिका एकाएक कम कैसे हो गई. चर्चा इस बात की भी है कि नए प्रदेश नेतृत्व में जिन नेताओं को इस पूरे हालातों में आगे किया जा रहा है. वो ही सक्रिय नजर आ रहे हैं. जबकि अन्य दिग्गज नेता या तो वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं या अपने स्तर पर मौजूदा घटनाक्रम ऊपर हल्का-फुल्का प्रहार सोशल मीडिया के जरिए कर देते हैं.
हालांकि, मौजूद घटनाक्रम में यदि इन दिग्गज नेताओं को साथ में लेकर पार्टी के स्तर पर प्रयास किए जाए तो संभवत: आनेवाले परिणाम काफी सकरात्मक हो सकते हैं क्योंकि इन नेताओं के पास काफी लंबा अनुभव है.