जयपुर. प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत अब तक 1 लाख 35 हजार 170 पट्टे जारी किए गए हैं. अभियान की इस कार्य प्रगति से राज्य सरकार बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है. ऐसे में जेडीए ने अब अभियान की गति बढ़ाने के लिए सुओमोटो 90ए कर कैंप लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. वहीं मास्टर प्लान को लेकर आए हाईकोर्ट के आदेश के बाद अभियान की आगामी रूपरेखा तैयार करने के लिए यूडीएच मंत्री 17 फरवरी को अधिकारियों की क्लास (Shanti Dhariwal meeting with JDA officers) लेंगे.
राज्य सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान को सफल बनाने के लिए कई तरह की छूट प्रदान की. लेकिन उसका कुछ खास फायदा नहीं मिल पाया है. सरकार ने आवासन मंडल और निकायों की अवाप्तशुदा जमीन और निकायों की जमीन पर बसी कॉलोनियों का मास्टर प्लान, जोनल डेवलपमेंट प्लान के अनुरूप पट्टे देने की भी छूट दी थी. लेकिन कोर्ट में याचिका लगने के बाद ये आदेश को वापस लेना पड़ा.
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हालांकि अब कानूनी प्रारूप बनाकर अवाप्तशुदा और सरकारी जमीन पर बसी कॉलोनियों को पट्टा देने की तैयारी की जा रही है. इसे लेकर यूडीएच मंत्री अधिकारियों के साथ मंथन भी करेंगे. इस संबंध में डीएलबी डायरेक्टर हृदेश शर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट के विस्तृत फैसला आने के बाद अब अभियान की आगामी रूपरेखा तैयार करने के लिए 17 फरवरी को यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल नगरीय विकास और स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठेंगे.
उधर, राज्य सरकार की ओर से कोविड-19 गाइडलाइन में मिली छूट के बाद अब दोबारा कैंप लगाने की तैयारी की जा रही है. हालांकि पहले सुओमोटो 90ए प्रकरणों की तैयारी के अन्तर्गत विज्ञप्ति जारी करने, सर्वे कार्य, नामांतरण कार्य और ले आऊट प्लान स्वीकृत किए जाने वाले कार्यों को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि राज्य सरकार से शिविर आयोजित करने के आदेश जारी होने के बाद नियमन शिविर नियमित रूप से लगाये जा सकें. जेडीए क्षेत्राधिकार में जिन कॉलोनियों में बसावट हो चुकी है, वहां भी सुओमोटो 90ए कर अग्रिम कार्रवाई करने और विकास समितियों से चर्चा कर सर्वे कार्य पूरा कर कैम्प लगाने की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये गये. जेडीए की ओर से जिन योजनाओं के नक्शे अनुमोदित किये जा चुके हैं, उन योजनाओं में पट्टे जारी किये जाने की कार्यवाही निरन्तर जारी रखने के निर्देश दिये गए हैं.
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इसके अलावा सम्पर्क पोर्टल पर लम्बित प्रकरणों को निस्तारित कर पेन्डेन्सी जीरो करने के निर्देश दिये गये. लाईट्स प्रकरणों (कोर्ट कैसेज) का निस्तारण त्वरित गति से करने और इससे संबंधित प्रकरणों को ऑनलाइन करने के निर्देश दिये गये हैं. ताकि प्रकरणों की निरंतर मॉनिटरिंग का पेन्डेन्सी जीरो की जा सके.