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Prashasan Shehron ke Sang Abhiyan: हर वार्ड स्तर पर शिविर लगाने के निर्देश, हर शिविर दो दिन का होगा - Rajasthan Hindi News

राजस्थान में प्रशासन शहरों के संग अभियान में लक्ष्य के अनुरूप सफलता नहीं (Prashasan Shehron ke Sang Abhiyan) मिलने पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कमान अब अपने हाथ में ले ली है. उन्होंने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं.

Prashasan Shehron ke Sang Abhiyan
प्रशासन शहरों के संग अभियान
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Published : Jul 1, 2022, 11:47 PM IST

जयपुर. 15 जुलाई से प्रशासन शहरों के संग अभियान के शिविर (Prashasan Shehron ke Sang Abhiyan ) सभी नगरीय निकायों के प्रत्येक वार्ड या 2-3 छोटे वार्डों के समूह के लिए आयोजित किए जाएंगे. लक्ष्य के अनुरूप सफलता नहीं मिलने पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने खुद अभियान की कमान संभालते हुए ये निर्देश दिए.

उन्होंने स्पष्ट किया कि शिविरों का कार्यक्रम इस प्रकार बनाया जाए कि 31 मार्च 2023 तक सभी वार्डों में शिविर आयोजित हो सकें. वहीं प्राधिकरण की ओर से आयोजित शिविर कॉलोनीवार सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जाएं. हर सप्ताह में 2 शिविर आयोजित किए जाएं और प्रत्येक शिविर 2 दिन का हो. वहीं लम्बित आवेदनों का निस्तारण 10 जुलाई तक आवश्यक रूप से करने के निर्देश दिए हैं. जिन योजनाओं के ले-आउट प्लान स्वीकृत किए जा चुके हैं और जो योजनाएं स्वीकृति के लिए लम्बित हैं. उनकी जानकारी भी नोटिस बोर्ड, निकाय वेबसाइट आदि माध्यम से सार्वजनिक की जाए.

पढ़ें. Prashasan Shehron ke Sang Abhiyan: एक साइट प्लान में एक व्यक्ति को एक भूखंड का पट्टा जारी करने के नियम की उड़ी धज्जियां

यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने प्रशासन शहरों के संग अभियान की उच्च स्तरीय बैठक में 15 जुलाई से शुरू होने वाले शिविरों के संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए. धारीवाल ने सभी नगरीय निकायों को ये निर्देश दिए कि कुछ निकायों की ओर से अभियान से पूर्व सामान्य प्रणाली के तहत जो चैकलिस्ट पट्टे देने के लिए बनाई थी. उसी का उपयोग किया जा रहा है.

ऐसे में वर्तमान नियमों के अनुरूप दोबारा चैकलिस्ट बनाई जाए. जिससे प्रकरणों के निस्तारण में विलम्ब न हो. उन्होंने ये निर्देश भी दिए कि अभियान के दौरान किए जाने वाले कार्यों की दरें शिविर स्तर पर प्रदर्शित की जाए. धारीवाल ने स्वायत्त शासन विभाग को निर्देशित किया कि अभियान की मार्ग-निर्देशिका पुस्तकें सभी नगरीय निकायों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाई जाए. अनावश्यक रूप से आदेशों परिपत्रों के संबंध में मार्गदर्शन नहीं मांगें. जो प्रकरण एम्पावर्ड कमेटी में नहीं रखे जाने हैं, उनका निस्तारण मुख्य नगरपालिका अधिकारी के स्तर पर किया जाए. साथ ही आवश्यक प्रकरणों के लिए सप्ताह में दो दिन एम्पावर्ड कमेटी की बैठक आयोजित की जाए.

पढ़ें.Prashasan Shehron Ke Sang Abhiyan : अभियान को गति देने के लिए शांति धारीवाल की अध्यक्षता में बैठक, लिए कई अहम फैसले

शांति धारीवाल ने कहा कि सभी जिला कलेक्टर अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएंगे. सभी नगरीय निकायों में राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को प्रभारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा. धारीवाल ने निर्देश दिए कि 90-ए से पूर्व आवेदित भूमि की विधिक स्थिति और प्रतिबंधित के संबंध में तहसीलदार की सहमति/आक्षेप 7 दिन में देना होगा. कृषि भूमि पर बसी हुई सघन आबादी के पट्टे देने की प्रक्रिया भी सरल की गई है.

घनी आबादी से मतलब 60 प्रतिशत भूखण्डों पर निर्माण होकर लोग बस चुके हैं और आबादी में 20 फीट की रोड होनी आवश्यक है. अगर मौके पर ज्यादा चौड़ी सड़क है तो उसे यथावत रखा जाए. मौके पर जो सर्वे किया जायेगा. उसमें सड़क की चौड़ाई, भवन रेखा देखी जाएगी. यदि ये शर्ते किसी कॉलोनी में पूरी हो रही है तो उसकी सुओमोटो 90-ए करके कार्रवाई की जाएगी. उस कॉलोनी का ले-आउट की आवश्यकता नहीं होगी. केवल सर्वे के आधार पर पट्टे दिए जाएंगे. अभियान अवधि में ऐसी कॉलोनियों को आबादी क्षेत्र मानते हुए कॉलोनी के निवासियों की ओर से व्यक्तिगत/सामूहिक प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किए जा सकेंगे. पूर्व में स्वीकृत हो चुके ले-आउट प्लान के शेष पट्टे स्वीकृत ले-आउट प्लान अनुसार ही जारी किए जाएंगे.

पढ़ें. Prashasan Shehron ke Sang: अभियान का दूसरा चरण भी पड़ा सुस्त, अब अधिकारियों के छह दल करेंगे 'बूस्टअप'

शांति धारीवाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राजकीय भूमि नियमन कर पट्टे देने के आदेश वर्ष 2021 में स्थगित किए गए थे. ऐसे में नए निर्देशों के तहत ऐसी भूमियों के पट्टे दिए जाएं. ऐसी सिवायचक भूमि जो राजस्व रिकॉर्ड में निकाय के नाम नहीं है, लेकिन वहां निर्माण होकर आबादी बस चुकी है, वहां पट्टे दिए जा सकेंगे. इसी तरह सिलिंग कानून के अन्तर्गत अधिग्रहित भूमि जो निकाय में निहित नजूल भूमि है. ऐसी राजकीय भूमि पर 13 दिसंबर 2013 तक बसी कॉलोनिययों के संबंध में जल्द विस्तृत आदेश जारी किए जाएंगे. वहीं 300 वर्ग मीटर तक के भूखण्ड और कॉलोनी में राजकीय भूमि होने पर आरक्षित दर/डीएलसी दर आवासीय में से जो भी कम हो उसका 10 प्रतिशत लिया जाएगा.

धारीवाल ने बताया कि मन्दिर माफी, देवस्थान विभाग, सार्वजनिक ट्रस्ट, धार्मिक/ चैरिटेबल संस्थान या फिर वक्फ बोर्ड, रेलवे बाउण्ड्री सीमा के अन्तर्गत भूमि, नदी नाले बहाव क्षेत्र, डूब क्षेत्र आदि में भूमि का आवंटन और नियमन नहीं हो सकेगा. इसी प्रकार जलीय निकाय में आने वाली भूमि राष्ट्रीय, राज्य उच्च मार्ग की निर्धारित सीमा के अन्तर्गत भूमि, केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के किसी कानून के अन्तर्गत आवासीय व्यावसायिक गतिविधियों के लिए प्रतिबन्धित भूमि का आवंटन और नियमन नहीं किया जा सकेगा. इस कार्य योजना पर चर्चा के दौरान यूडीएच सलाहकार डॉ जीएस सन्धू, यूडीएच प्रमुख शासन सचिव कुन्जी लाल मीणा, जेडीए आयुक्त रवि जैन, डीएलबी डायरेक्टर हृदेश कुमार शर्मा, जेडीए सचिव उज्ज्वल राठौड़ आदि मौजूद थे.

जयपुर. 15 जुलाई से प्रशासन शहरों के संग अभियान के शिविर (Prashasan Shehron ke Sang Abhiyan ) सभी नगरीय निकायों के प्रत्येक वार्ड या 2-3 छोटे वार्डों के समूह के लिए आयोजित किए जाएंगे. लक्ष्य के अनुरूप सफलता नहीं मिलने पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने खुद अभियान की कमान संभालते हुए ये निर्देश दिए.

उन्होंने स्पष्ट किया कि शिविरों का कार्यक्रम इस प्रकार बनाया जाए कि 31 मार्च 2023 तक सभी वार्डों में शिविर आयोजित हो सकें. वहीं प्राधिकरण की ओर से आयोजित शिविर कॉलोनीवार सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जाएं. हर सप्ताह में 2 शिविर आयोजित किए जाएं और प्रत्येक शिविर 2 दिन का हो. वहीं लम्बित आवेदनों का निस्तारण 10 जुलाई तक आवश्यक रूप से करने के निर्देश दिए हैं. जिन योजनाओं के ले-आउट प्लान स्वीकृत किए जा चुके हैं और जो योजनाएं स्वीकृति के लिए लम्बित हैं. उनकी जानकारी भी नोटिस बोर्ड, निकाय वेबसाइट आदि माध्यम से सार्वजनिक की जाए.

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यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने प्रशासन शहरों के संग अभियान की उच्च स्तरीय बैठक में 15 जुलाई से शुरू होने वाले शिविरों के संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए. धारीवाल ने सभी नगरीय निकायों को ये निर्देश दिए कि कुछ निकायों की ओर से अभियान से पूर्व सामान्य प्रणाली के तहत जो चैकलिस्ट पट्टे देने के लिए बनाई थी. उसी का उपयोग किया जा रहा है.

ऐसे में वर्तमान नियमों के अनुरूप दोबारा चैकलिस्ट बनाई जाए. जिससे प्रकरणों के निस्तारण में विलम्ब न हो. उन्होंने ये निर्देश भी दिए कि अभियान के दौरान किए जाने वाले कार्यों की दरें शिविर स्तर पर प्रदर्शित की जाए. धारीवाल ने स्वायत्त शासन विभाग को निर्देशित किया कि अभियान की मार्ग-निर्देशिका पुस्तकें सभी नगरीय निकायों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाई जाए. अनावश्यक रूप से आदेशों परिपत्रों के संबंध में मार्गदर्शन नहीं मांगें. जो प्रकरण एम्पावर्ड कमेटी में नहीं रखे जाने हैं, उनका निस्तारण मुख्य नगरपालिका अधिकारी के स्तर पर किया जाए. साथ ही आवश्यक प्रकरणों के लिए सप्ताह में दो दिन एम्पावर्ड कमेटी की बैठक आयोजित की जाए.

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शांति धारीवाल ने कहा कि सभी जिला कलेक्टर अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएंगे. सभी नगरीय निकायों में राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को प्रभारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा. धारीवाल ने निर्देश दिए कि 90-ए से पूर्व आवेदित भूमि की विधिक स्थिति और प्रतिबंधित के संबंध में तहसीलदार की सहमति/आक्षेप 7 दिन में देना होगा. कृषि भूमि पर बसी हुई सघन आबादी के पट्टे देने की प्रक्रिया भी सरल की गई है.

घनी आबादी से मतलब 60 प्रतिशत भूखण्डों पर निर्माण होकर लोग बस चुके हैं और आबादी में 20 फीट की रोड होनी आवश्यक है. अगर मौके पर ज्यादा चौड़ी सड़क है तो उसे यथावत रखा जाए. मौके पर जो सर्वे किया जायेगा. उसमें सड़क की चौड़ाई, भवन रेखा देखी जाएगी. यदि ये शर्ते किसी कॉलोनी में पूरी हो रही है तो उसकी सुओमोटो 90-ए करके कार्रवाई की जाएगी. उस कॉलोनी का ले-आउट की आवश्यकता नहीं होगी. केवल सर्वे के आधार पर पट्टे दिए जाएंगे. अभियान अवधि में ऐसी कॉलोनियों को आबादी क्षेत्र मानते हुए कॉलोनी के निवासियों की ओर से व्यक्तिगत/सामूहिक प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किए जा सकेंगे. पूर्व में स्वीकृत हो चुके ले-आउट प्लान के शेष पट्टे स्वीकृत ले-आउट प्लान अनुसार ही जारी किए जाएंगे.

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शांति धारीवाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राजकीय भूमि नियमन कर पट्टे देने के आदेश वर्ष 2021 में स्थगित किए गए थे. ऐसे में नए निर्देशों के तहत ऐसी भूमियों के पट्टे दिए जाएं. ऐसी सिवायचक भूमि जो राजस्व रिकॉर्ड में निकाय के नाम नहीं है, लेकिन वहां निर्माण होकर आबादी बस चुकी है, वहां पट्टे दिए जा सकेंगे. इसी तरह सिलिंग कानून के अन्तर्गत अधिग्रहित भूमि जो निकाय में निहित नजूल भूमि है. ऐसी राजकीय भूमि पर 13 दिसंबर 2013 तक बसी कॉलोनिययों के संबंध में जल्द विस्तृत आदेश जारी किए जाएंगे. वहीं 300 वर्ग मीटर तक के भूखण्ड और कॉलोनी में राजकीय भूमि होने पर आरक्षित दर/डीएलसी दर आवासीय में से जो भी कम हो उसका 10 प्रतिशत लिया जाएगा.

धारीवाल ने बताया कि मन्दिर माफी, देवस्थान विभाग, सार्वजनिक ट्रस्ट, धार्मिक/ चैरिटेबल संस्थान या फिर वक्फ बोर्ड, रेलवे बाउण्ड्री सीमा के अन्तर्गत भूमि, नदी नाले बहाव क्षेत्र, डूब क्षेत्र आदि में भूमि का आवंटन और नियमन नहीं हो सकेगा. इसी प्रकार जलीय निकाय में आने वाली भूमि राष्ट्रीय, राज्य उच्च मार्ग की निर्धारित सीमा के अन्तर्गत भूमि, केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के किसी कानून के अन्तर्गत आवासीय व्यावसायिक गतिविधियों के लिए प्रतिबन्धित भूमि का आवंटन और नियमन नहीं किया जा सकेगा. इस कार्य योजना पर चर्चा के दौरान यूडीएच सलाहकार डॉ जीएस सन्धू, यूडीएच प्रमुख शासन सचिव कुन्जी लाल मीणा, जेडीए आयुक्त रवि जैन, डीएलबी डायरेक्टर हृदेश कुमार शर्मा, जेडीए सचिव उज्ज्वल राठौड़ आदि मौजूद थे.

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