लखनऊ/जयपुर. होली के त्योहार पर लोग मस्ती के मूड में तो रहते ही हैं पर साथ ही उन्हें इस बात की भी चिंता होती है कि केमिकल युक्त गुलाल और रंगों से उनके शरीर पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े. ऐसे में एनबीआरआई के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. महेश पाल से ईटीवी भारत ने बात की और जाना कैसे घर पर ही हर्बल गुलाल और रंग बनाए जा सकते हैं. ऐसे गुलाल जो शरीर के लिए भी नुकसानदायक न हों.
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में पिछले कई वर्षों से हर्बल गुलाल बनाया जाता है. यह देश भर के कई हिस्सों में बड़ी आसानी से उपलब्ध होता है. शहर में भी कुछ दुकानों पर यह गुलाल एनबीआरआई के टैग के साथ दुकानों पर उपलब्ध मिल सकता है.
एनबीआरआई के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. महेश पाल इस बारे में बताते हैं कि केमिकल युक्त गुलाल और रंगों में कई ऐसे भी तत्व होते हैं जो कार्सिनोजेनिक होते हैं. इसका अर्थ यह है कि उनके इस्तेमाल से शरीर में चकत्ते, इन्फेक्शन और खुजली के साथ-साथ कभी-कभी कैंसर होने की आशंका बनी रहती है. इस लिहाज से हर्बल गुलाल ऐसे विकल्प के रूप में हमारे पास होता है जो पूरी तरह से प्राकृतिक होता है और शरीर पर भी कोई नुकसान नहीं करते.
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ईटीवी भारत से बातचीत में डॉ. पाल ने एनबीआरआई में बने हर्बल गुलाल की विशेषताएं बताईं. उन्होंने कहा कि एनबीआरआई में बने हर प्रकार के गुलाल पूरी तरह से पौधों के एक्सट्रैक्ट से बने होते हैं, इसलिए उन्हें किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. डॉ. पाल ने यह भी बताया कि कुछ लोगों को पक्के रंग से खेलने का शौक होता है. ऐसे में थोड़ी तैयारी से भी घर पर ही प्राकृतिक पक्के रंग तैयार किए जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि शलजम, गेंदे के फूल, सिंदूर के दाने जैसे तमाम पेड़ पौधे हमारे आसपास मौजूद होते हैं, जिनके इस्तेमाल से हम घर पर ही प्राकृतिक रंग बना सकते हैं.