जयपुर. पिछले कई महीनों से चल रहा स्कूल फीस विवाद अभी भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी अभिभावक बच्चों की फीस को लेकर परेशान दिखाई दे रहे हैं. ऐसा ही कुछ मामला गुरुवार को भी देखने को मिला. मानसरोवर हीरा पथ स्थित सेंट अंसलम स्कूल में अभिभावक धरने पर बैठ गए. अभिभावक फीस बाइफरकेशन (किस मद में कितनी फीस ली जाएगी) की जानकारी लेने स्कूल आए थे, लेकिन स्कूल अभिभावकों के लिए गेट तक नहीं खोला गया और ना ही अभिभावकों को फीस बाइफरकेशन की जानकारी दी गई.
मानसरोवर स्थित सेंट अंसलम स्कूल के अभिभावक हाई कोर्ट के फैसले के बाद फीस जमा कराने को तैयार है और हाई कोर्ट के निर्णय के अनुसार फीस बाइफरकेशन की जानकारी लेने अभिभावक स्कूल पहुंचे थे लेकिन स्कूल संचालक ने गेट नहीं खोले बल्कि अभिभावकों को डराने और धमकाने के लिए पुलिस को बुला लिया. फीस बाइफरकेशन की जानकारी नहीं देने से अभिभावक नाराज हो गए और वहीं धरने पर बैठ गए.
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अभिभावकों के अनुसार स्कूल संचालक फीस बाइफरकेशन की जानकारी नहीं दे रहे. उनका कहना है कि निजी स्कूल संचालक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं, अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया की टीचर बच्चों पर पूरी फीस देने का दबाव बना रहे हैं जो कि गलत है. संयुक्त अभिभावक संघ के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने बताया की धरने के बाद 3 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को स्कूल में वार्ता करने के बुलाया गया जिसमें साफ कर दिया गया है कि वे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाले हैं और फीस बाइफरकेशन की जानकारी नहीं दे सकते.
अरविंद कुमार ने कहा कि जिस तरह से हाई कोर्ट में अभिभावकों का पक्ष रखा गया था. उसी तरह से ही सुप्रीम कोर्ट में भी अभिभावकों का पक्ष रखा जाएगा. अभिभावक मनोज शर्मा ने बताया कि हम लोग कोर्ट के निर्णय के अनुसार फीस जमा कराना चाहते हैं इसीलिए फीस के लिए जानकारी लेने आए थे. उन्होंने कहा कि स्कूल के टीचर बच्चों पर पूरी फीस देने का दबाव बना रहे हैं. हमसे मिलने से पहले पुलिस को बुलाया गया और पुलिस से डराया और धमकाया भी गया. मनोज शर्मा ने चेतावनी दी कि यदि स्कूल हाई कोर्ट के निर्णय के अनुसार नहीं चलेगी तो हम अभिभावक इसी तरह से एकजुट होकर उसके खिलाफ आवाज उठाएंगे.
अभिभावक एडवोकेट पहलाद बागड़ा ने बताया कि स्कूल प्रबंधन को हाई कोर्ट के डीबी बैंच के निर्णय के अनुसार फीस देनी चाहिए और इस संबंध में अपने विवरणिका और वेबसाइट पर भी उल्लेख होना चाहिए था लेकिन अभी तक स्कूल ने ऐसा नहीं किया है. 15 दिन में यह काम पूरा करना चाहिए था. बच्चों को डराया जा रहा है कि यदि उनकी फीस जमा नहीं हुई तो ऑनलाइन क्लासेज बंद कर दी जाएंगी.