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जयपुर: पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी और कालीचरण सराफ ने की कृषक कल्याण टैक्स वापस लेने की मांग

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Published : May 11, 2020, 8:43 PM IST

प्रदेश सरकार ने मंडियों पर 2% का कृषक कल्याण टैक्स लगाया था. जिसको लेकर लगातार विवाद बढ़ता जा रहा है. वहीं, अब पूर्व कृषि मंत्री रहे प्रभु लाल सैनी और पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. इस पत्र में लगाए गए कर को वापस लेने की मांग की गई है.

राजस्थान की खबर, jaipur news
सराफ और सैनी ने कृषक कल्याण टैक्स हटाने की मांग की

जयपुर. प्रदेश सरकार की ओर से मंडियों में लगाए गए 2% कृषक कल्याण टैक्स का विरोध अभी भी जारी है. अब पूर्व कृषि मंत्री रहे प्रभु लाल सैनी और पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस कर को वापस लेने की मांग की है.

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सराफ और सैनी ने कृषक कल्याण टैक्स हटाने की मांग की

पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने इसे सरकार का जल्दबाजी में उठाया गया कदम करार दिया है. सैनी के अनुसार वर्तमान मंडी समिति कानून में किसान कल्याण कोष के प्रावधान है और 'बी' और 'ए' विशिष्ट श्रेणी की मंडियों में किसान कल्याण के लिए 3 और 5% तक मंडी शुल्क से वसूल किया जाता है, जो वर्तमान कानून में विद्यमान है.

सैनी ने कहा कि मंडी समितियों में कृषि का क्रय-विक्रय नीलामी बोली लगाकर किया जाता है और इसमें व्यापारी सारे होने वाले खर्च शामिल कर लाभ के लिए मूल्य तय करता है. ऐसे में नया कर सीधे तौर पर किसान पर ही आर्थिक बोझ डालेगा.

पढ़ें- जल्द शुरू हो सकती है फ्लाइट, यात्रा के दौरान इन बातों का रखना होगा विशेष ध्यान

वहीं भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ ने भी सरकार के फैसले को किसान विरोधी बताया है. सराफ ने कहा कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदेश की मंडी बंद है और आटा और तेल की मिले भी बंद कर दी गई है. जिससे हजारों की संख्या में लोगों के रोजगार का नुकसान हुआ है.

वहीं, किसान मजबूरी में अब अपना आनाज बिचौलियों को ओने पौने दाम पर बेच रहा है. कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री से मांग की कि कृषक कल्याण कोष में फंड की व्यवस्था किसी अन्य स्त्रोत से करें और मंडियों में लगा 2% कृषक कल्याण टैक्स को तुरंत हटा कर प्रदेश के लाखों किसानों और खाद्य व्यापारियों को राहत प्रदान करें.

जयपुर. प्रदेश सरकार की ओर से मंडियों में लगाए गए 2% कृषक कल्याण टैक्स का विरोध अभी भी जारी है. अब पूर्व कृषि मंत्री रहे प्रभु लाल सैनी और पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस कर को वापस लेने की मांग की है.

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सराफ और सैनी ने कृषक कल्याण टैक्स हटाने की मांग की

पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने इसे सरकार का जल्दबाजी में उठाया गया कदम करार दिया है. सैनी के अनुसार वर्तमान मंडी समिति कानून में किसान कल्याण कोष के प्रावधान है और 'बी' और 'ए' विशिष्ट श्रेणी की मंडियों में किसान कल्याण के लिए 3 और 5% तक मंडी शुल्क से वसूल किया जाता है, जो वर्तमान कानून में विद्यमान है.

सैनी ने कहा कि मंडी समितियों में कृषि का क्रय-विक्रय नीलामी बोली लगाकर किया जाता है और इसमें व्यापारी सारे होने वाले खर्च शामिल कर लाभ के लिए मूल्य तय करता है. ऐसे में नया कर सीधे तौर पर किसान पर ही आर्थिक बोझ डालेगा.

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वहीं भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ ने भी सरकार के फैसले को किसान विरोधी बताया है. सराफ ने कहा कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदेश की मंडी बंद है और आटा और तेल की मिले भी बंद कर दी गई है. जिससे हजारों की संख्या में लोगों के रोजगार का नुकसान हुआ है.

वहीं, किसान मजबूरी में अब अपना आनाज बिचौलियों को ओने पौने दाम पर बेच रहा है. कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री से मांग की कि कृषक कल्याण कोष में फंड की व्यवस्था किसी अन्य स्त्रोत से करें और मंडियों में लगा 2% कृषक कल्याण टैक्स को तुरंत हटा कर प्रदेश के लाखों किसानों और खाद्य व्यापारियों को राहत प्रदान करें.

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