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Lockdown में एकता का प्रतीक बनी 'सांझी रसोई', मिल-बांटकर पहुंचा रहे जरूरतमंदों तक खाना

जयपुर में लॉकडाउन के दौरान सांझी रसोई एकता का प्रतीक बन कर सामने आई है. यहां लोग मिलकर खाना तैयार कर जरूरतमंदों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं, वो भी बिना की सरकारी सहयोग लिए. इस रसोई को जयपुर के दो इलाकों में संचालित किया जा रहा है. देखिए स्पेशल स्टोरी...

जयपुर की सांझी रसोई,  Sanjhi rasoi of jaipur
जयपुर की सांझी रसोई
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Published : May 3, 2020, 10:59 AM IST

जयपुर. लॉकडाउन का तीसरी चरण शुरू हो चुका है और पूरे देश में जरूरतमंदों के लिए अनाज और भोजन जुटाने के लिए व्यवस्थाओं की कोशिश जारी है. लगभग डेढ़ महीना बीतने के बाद गरीब और मजदूर वर्ग खासतौर पर भोजन के लिए परेशान है. ऐसी स्थितियों में जयपुर के माधव सेवा समिति ने समाज को एकजुट करके ऐसे ही वर्ग के लिए सांझी रसोई के सपने को साकार किया है.

सांझी रसोई में तैयार हो रहा ढाई हजार लोगों का भोजन (पार्ट-1)

जिसमें बिना सरकारी सहयोग के दो अलग-अलग इलाकों में लगभग 2500 लोगों के लिए रोजाना खाना तैयार किया जाता है और अन्न जुटाने से लेकर भोजन बनाने तक का काम सामाजिक भागीदारी से किया जाता है. जयपुर के जवाहर नगर इलाके के टीला नंबर 3 पर बन रहे इस भोजन की जगह को सांझी रसोई नाम दिया गया है.

सांझी रसोई का मतलब जहां सब मिलकर भोजन तैयार करते हैं. इस रसोई घर की खासियत यह है कि यहां तैयार किए जाने वाले भोजन में इस्तेमाल होने वाली कच्ची सामग्री को जुटाने में जन सहयोग और जवाहर नगर इलाके के स्थानीय लोगों की भागीदारी है और इन लोगों को एक छत के नीचे लाने का काम किया है.

सांझी रसोई में तैयार हो रहा ढाई हजार लोगों का भोजन (पार्ट-2)

पढ़ें- राज्य सरकार प्रवासियों को हवाई जहाज से लाने की डिमांड भी कर सकती है: सांसद राहुल कस्वां

माधव सेवा समिति ने दरअसल जब देखा कि जवाहर नगर कच्ची बस्ती के लोगों को लॉकडाउन के दौरान भोजन जुटाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है, तब स्थानीय लोगों को सांझी रसोई की व्याख्या करते हुए तैयार किया गया. जिसमें भोजन बनाने के लिए हर घर से किसी शख्स की उपस्थिति को सुनिश्चित किया गया.

ऐसे ही खाद्य सामग्री के लिए जनभागीदारी को तय किया गया और फिर सामूहिक रूप से भोजन तैयार करने के बाद इसे टीले नंबर 3 के पास मौजूद कच्ची बस्ती के लोगों में वितरण के लिए सुनिश्चित किया गया. जवाहर नगर में बनने वाली इस रसोई में रोजाना 200 किलो गेहूं के आटे का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा सैकड़ों किलो सब्जियां इसमें इस्तेमाल होती है. जिसकी दैनिक लागत 20 से 25 हजार रुपये के आसपास बताई जा रही है.

पढ़ें- Special Report: सूडान में फंसा ओसियां का व्यापारी, वतन वापसी की लगा रहा गुहार

जवाहर नगर के साथ-साथ सांझी रसोई का संचालन जयपुर के गलता गेट इलाके के गणेश नगर में भी किया जा रहा है. जहां जंगल से जुटाई गई लकड़ियों को चूल्हे में इस्तेमाल करके भोजन पकाया जाता है. माधव सेवा समिति के संजय कुमार ने बताया कि यह लोग अभाव में जीवन यापन कर रहे थे और पहले से ही लकड़ियां बीनकर अपना भोजन तैयार करते थे.

ऐसी परिस्थितियों में इन लोगों ने अपना पूर्व का अभ्यास जारी रखा और माधव सेवा समिति ने इनके हौसलों को बल देते हुए यहां सांझी रसोई के लिए कच्चे खाद्य सामग्री को भेजना शुरू कर दिया. इसके बाद यहां इस रसोई में रोजाना दोनों वक्त में लगभग 1 हजार लोगों के लिए खाना तैयार हो रहा है.

जयपुर. लॉकडाउन का तीसरी चरण शुरू हो चुका है और पूरे देश में जरूरतमंदों के लिए अनाज और भोजन जुटाने के लिए व्यवस्थाओं की कोशिश जारी है. लगभग डेढ़ महीना बीतने के बाद गरीब और मजदूर वर्ग खासतौर पर भोजन के लिए परेशान है. ऐसी स्थितियों में जयपुर के माधव सेवा समिति ने समाज को एकजुट करके ऐसे ही वर्ग के लिए सांझी रसोई के सपने को साकार किया है.

सांझी रसोई में तैयार हो रहा ढाई हजार लोगों का भोजन (पार्ट-1)

जिसमें बिना सरकारी सहयोग के दो अलग-अलग इलाकों में लगभग 2500 लोगों के लिए रोजाना खाना तैयार किया जाता है और अन्न जुटाने से लेकर भोजन बनाने तक का काम सामाजिक भागीदारी से किया जाता है. जयपुर के जवाहर नगर इलाके के टीला नंबर 3 पर बन रहे इस भोजन की जगह को सांझी रसोई नाम दिया गया है.

सांझी रसोई का मतलब जहां सब मिलकर भोजन तैयार करते हैं. इस रसोई घर की खासियत यह है कि यहां तैयार किए जाने वाले भोजन में इस्तेमाल होने वाली कच्ची सामग्री को जुटाने में जन सहयोग और जवाहर नगर इलाके के स्थानीय लोगों की भागीदारी है और इन लोगों को एक छत के नीचे लाने का काम किया है.

सांझी रसोई में तैयार हो रहा ढाई हजार लोगों का भोजन (पार्ट-2)

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माधव सेवा समिति ने दरअसल जब देखा कि जवाहर नगर कच्ची बस्ती के लोगों को लॉकडाउन के दौरान भोजन जुटाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है, तब स्थानीय लोगों को सांझी रसोई की व्याख्या करते हुए तैयार किया गया. जिसमें भोजन बनाने के लिए हर घर से किसी शख्स की उपस्थिति को सुनिश्चित किया गया.

ऐसे ही खाद्य सामग्री के लिए जनभागीदारी को तय किया गया और फिर सामूहिक रूप से भोजन तैयार करने के बाद इसे टीले नंबर 3 के पास मौजूद कच्ची बस्ती के लोगों में वितरण के लिए सुनिश्चित किया गया. जवाहर नगर में बनने वाली इस रसोई में रोजाना 200 किलो गेहूं के आटे का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा सैकड़ों किलो सब्जियां इसमें इस्तेमाल होती है. जिसकी दैनिक लागत 20 से 25 हजार रुपये के आसपास बताई जा रही है.

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जवाहर नगर के साथ-साथ सांझी रसोई का संचालन जयपुर के गलता गेट इलाके के गणेश नगर में भी किया जा रहा है. जहां जंगल से जुटाई गई लकड़ियों को चूल्हे में इस्तेमाल करके भोजन पकाया जाता है. माधव सेवा समिति के संजय कुमार ने बताया कि यह लोग अभाव में जीवन यापन कर रहे थे और पहले से ही लकड़ियां बीनकर अपना भोजन तैयार करते थे.

ऐसी परिस्थितियों में इन लोगों ने अपना पूर्व का अभ्यास जारी रखा और माधव सेवा समिति ने इनके हौसलों को बल देते हुए यहां सांझी रसोई के लिए कच्चे खाद्य सामग्री को भेजना शुरू कर दिया. इसके बाद यहां इस रसोई में रोजाना दोनों वक्त में लगभग 1 हजार लोगों के लिए खाना तैयार हो रहा है.

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