जयपुर. समीर सुहाग पिछले 30 साल से पोलो खेल रहे हैं. अपने दमदार खेल से उन्होंने देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान कायम की है. समीर इन दिनों जयपुर में हैं, और जयपुर पोलो सीजन में भाग ले रहे हैं.
इस दौरान जब समीर से बातचीत हुई तो उन्होंने पोलो से जुड़े बदलाव और तकनीक के बारे में खुलकर काफी कुछ बताया. समीर सुहाग ने कहा, कि पहले यह गेम हिट एंड रन का होता था, लेकिन अब फुटबॉल की तरह इस गेम में भी तकनीक अपनाई जाने लगी है. समीर के मुताबिक, पोलो में फुटबॉल की तरह मैन टू मैन मार्किंग, पासिंग और डिफेंस पर ध्यान दिया जाता है.
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समीर कहते हैं, कि सबसे बड़ा बदलाव घोड़ों की नस्ल में देखने को मिला है. जहां पहले देसी नस्ल के घोड़े इस खेल में उपयोग में लाए जाते थे, वहीं अब धीरे-धीरे विदेशी नस्ल के घोड़े इसमें अपनी पकड़ बना रहे हैं. विदेशी नस्ल के घोड़े काफी तेज और चुस्त होते हैं, खासकर अर्जेंटीना, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के घोड़े इस खेल का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं. हालांकि, कुछ देसी नस्ल के घोड़े अब भी उपयोग में लाए जा रहे हैं. कुछ मामलों में तो वे विदेशी घोड़ों पर भी भारी पड़ते हैं.
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