ETV Bharat / city

केंद्र सरकार के तीनों नए कृषि कानून किसान विरोधी, राज्यों से किसी तरह की सलाह नहीं ली : पायलट

author img

By

Published : Sep 16, 2020, 4:57 PM IST

केंद्र सरकार के तीनों नए कृषि कानून पूरी तरीके से किसान विरोधी हैं. एपीएमसी प्रणाली के समाप्त होने से कृषि उपज खरीद मंडी सिस्टम पूंजीपतियों के अधीन हो जाएगा, जिससे किसान को उसकी उपज का सही दाम नहीं मिलेंगे. ऐसा राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा है.

jaipur news, जयपुर समाचार
केंद्र सरकार के तीनों नए कृषि कानून पूरी तरीके से किसान विरोधी

जयपुर. प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने केंद्र सरकार के कृषि एवं कृषि व्यापार से संबंधित लाए गए तीनों कानूनों को किसान और कृषि विरोधी बताया है. पायलट ने कहा कि कोरोना काल में अध्यादेशों के माध्यम से यह कानून लागू किए गए हैं, जबकि ऐसी कोई आपात स्थिति नहीं थी. उन्होंने कहा कि कृषि राज्य का विषय है, जबकि केंद्र सरकार ने इस संबंध में राज्यों से किसी तरह की सलाह नहीं ली.

केंद्र सरकार के तीनों नए कृषि कानून पूरी तरीके से किसान विरोधी

पायलवट ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसान संगठनों एवं राज्य सरकारों और राजनीतिक दलों से भी इस संबंध में कोई राय नहीं ली है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार शुरू से ही किसान विरोधी रही है. इसकी शुरुआत साल 2014 में मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही किसानों के लिए भूमि मुआवजा कानून रद्द करने के लिए अध्यादेश प्रस्तुत करती थी, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस एवं किसानो के विरोध के कारण मोदी सरकार को इससे पीछे हटना पड़ा.

पढ़ें- शिक्षा विभाग में तबादलों के लिए ऑनलाइन किए जाएंगे आवेदन, तृतीय श्रेणी के तबादलों पर फिलहाल रहेगी रोक

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में इन 3 कानूनों से किसान, खेत, मजदूर, कमीशन एजेंट, मंडी व्यापारी सभी पूरी तरीके से समाप्त हो जाएंगे. एपीएमसी प्रणाली के समाप्त होने से कृषि उपज खरीद प्रणाली समाप्त हो जाएगी. किसानों को बाजार मूल्य के अनुसार न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा और ना हीं उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा. उन्होंने कहा कि यह दावा सरकार का सरासर गलत है कि किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच सकता है.

  • हाल ही में केंद्र सरकार ने जो 3 अध्यादेश जारी किए हैं, देश के किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि बिना संसद में चर्चा, राज्य सरकारों, किसानों से चर्चा के इस प्रकार से थोपा गया है जहां MSP को खत्म करने,मंडियों को बंद करने का काम कर रहे हैं:सचिन पायलट,कांग्रेस pic.twitter.com/LKQFxJOkJn

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) September 16, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पायलट ने आगे कहा कि 2015-16 की कृषि जनगणना के अनुसार देश में 86 प्रतिशत किसान 5 एकड़ से कम भूमि के मालिक हैं. ऐसी स्थिति में 86% अपने खेत की उपज को अन्य स्थान पर परिवहन नहीं करवा सकते हैं. इसलिए उन्हें अपनी फसल निकट बाजार में ही बेचनी पड़ती है. मंडी सिस्टम खत्म होना किसानों के लिए बेहद घातक साबित होगा. उन्होंने कहा कि अनाज, सब्जी बाजार प्रणाली की छटाई के साथ राज्यों की आय का स्रोत भी समाप्त हो जाएगा.

नए कानून के अनुसार आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन कर खाद्य पदार्थों के भंडारण सीमा को बहुत ही विशेष परिस्थितियों को छोड़कर समाप्त कर दिया गया है. इससे पूंजीपतियों द्वारा कृषि व्यापार पर नियंत्रण कर लिया जाएगा और पूंजी के आधार पर संपूर्ण कृषि उपजो को भंडारों में जमा कर लिया जाएगा. साथ ही कृत्रिम कमी दर्शाकर उपभोक्ताओं से मनचाहे दाम वसूले जाएंगे. इससे कालाबाजारी को भी बढ़ावा मिलेगा.

पढ़ें- मनरेगा पर भाजपा ने उठाए सवाल, कहा- नए कार्यों की स्वीकृति जारी नहीं होने पर मजदूर परेशान

उन्होंने कहा कि संविदा खेती में सबसे बड़ी कठिनाई छोटे किसानों के सामने उत्पन्न होगी. जब वह कंपनियों के नौकर बनकर रह जाएंगे. इसके विकल्प में सरकार को ग्राम स्तर पर छोटे किसानों की सामूहिक खेती के विकल्प पर विचार करना चाहिए और सामूहिक खेती के साथ गोपालन को आवश्यक बनाने पर जोर देना चाहिए, जिससे प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़ाया जा सके. पायलट ने केंद्र सरकार से मांग की है कि राजनीतिक दलों, किसान संगठनों, मंडी व्यापारियों और कृषि विशेषज्ञों से विस्तृत चर्चा कर इन कानूनों में संशोधन कर विचार किया जाए, जिससे देश के किसान की वास्तविक दशा में बदलाव आ सके.

जयपुर. प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने केंद्र सरकार के कृषि एवं कृषि व्यापार से संबंधित लाए गए तीनों कानूनों को किसान और कृषि विरोधी बताया है. पायलट ने कहा कि कोरोना काल में अध्यादेशों के माध्यम से यह कानून लागू किए गए हैं, जबकि ऐसी कोई आपात स्थिति नहीं थी. उन्होंने कहा कि कृषि राज्य का विषय है, जबकि केंद्र सरकार ने इस संबंध में राज्यों से किसी तरह की सलाह नहीं ली.

केंद्र सरकार के तीनों नए कृषि कानून पूरी तरीके से किसान विरोधी

पायलवट ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसान संगठनों एवं राज्य सरकारों और राजनीतिक दलों से भी इस संबंध में कोई राय नहीं ली है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार शुरू से ही किसान विरोधी रही है. इसकी शुरुआत साल 2014 में मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही किसानों के लिए भूमि मुआवजा कानून रद्द करने के लिए अध्यादेश प्रस्तुत करती थी, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस एवं किसानो के विरोध के कारण मोदी सरकार को इससे पीछे हटना पड़ा.

पढ़ें- शिक्षा विभाग में तबादलों के लिए ऑनलाइन किए जाएंगे आवेदन, तृतीय श्रेणी के तबादलों पर फिलहाल रहेगी रोक

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में इन 3 कानूनों से किसान, खेत, मजदूर, कमीशन एजेंट, मंडी व्यापारी सभी पूरी तरीके से समाप्त हो जाएंगे. एपीएमसी प्रणाली के समाप्त होने से कृषि उपज खरीद प्रणाली समाप्त हो जाएगी. किसानों को बाजार मूल्य के अनुसार न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा और ना हीं उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा. उन्होंने कहा कि यह दावा सरकार का सरासर गलत है कि किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच सकता है.

  • हाल ही में केंद्र सरकार ने जो 3 अध्यादेश जारी किए हैं, देश के किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि बिना संसद में चर्चा, राज्य सरकारों, किसानों से चर्चा के इस प्रकार से थोपा गया है जहां MSP को खत्म करने,मंडियों को बंद करने का काम कर रहे हैं:सचिन पायलट,कांग्रेस pic.twitter.com/LKQFxJOkJn

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) September 16, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पायलट ने आगे कहा कि 2015-16 की कृषि जनगणना के अनुसार देश में 86 प्रतिशत किसान 5 एकड़ से कम भूमि के मालिक हैं. ऐसी स्थिति में 86% अपने खेत की उपज को अन्य स्थान पर परिवहन नहीं करवा सकते हैं. इसलिए उन्हें अपनी फसल निकट बाजार में ही बेचनी पड़ती है. मंडी सिस्टम खत्म होना किसानों के लिए बेहद घातक साबित होगा. उन्होंने कहा कि अनाज, सब्जी बाजार प्रणाली की छटाई के साथ राज्यों की आय का स्रोत भी समाप्त हो जाएगा.

नए कानून के अनुसार आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन कर खाद्य पदार्थों के भंडारण सीमा को बहुत ही विशेष परिस्थितियों को छोड़कर समाप्त कर दिया गया है. इससे पूंजीपतियों द्वारा कृषि व्यापार पर नियंत्रण कर लिया जाएगा और पूंजी के आधार पर संपूर्ण कृषि उपजो को भंडारों में जमा कर लिया जाएगा. साथ ही कृत्रिम कमी दर्शाकर उपभोक्ताओं से मनचाहे दाम वसूले जाएंगे. इससे कालाबाजारी को भी बढ़ावा मिलेगा.

पढ़ें- मनरेगा पर भाजपा ने उठाए सवाल, कहा- नए कार्यों की स्वीकृति जारी नहीं होने पर मजदूर परेशान

उन्होंने कहा कि संविदा खेती में सबसे बड़ी कठिनाई छोटे किसानों के सामने उत्पन्न होगी. जब वह कंपनियों के नौकर बनकर रह जाएंगे. इसके विकल्प में सरकार को ग्राम स्तर पर छोटे किसानों की सामूहिक खेती के विकल्प पर विचार करना चाहिए और सामूहिक खेती के साथ गोपालन को आवश्यक बनाने पर जोर देना चाहिए, जिससे प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़ाया जा सके. पायलट ने केंद्र सरकार से मांग की है कि राजनीतिक दलों, किसान संगठनों, मंडी व्यापारियों और कृषि विशेषज्ञों से विस्तृत चर्चा कर इन कानूनों में संशोधन कर विचार किया जाए, जिससे देश के किसान की वास्तविक दशा में बदलाव आ सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.