जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. उन्हें यूं ही सियासत का जादूगर नहीं कहा जाता. तोल मोल कर मार्के की बात कहना उनकी खासियत रही है. विरोधी हों चाहें अपने पार्टी के कद्दावर सब सीएम की चालाकी का लोहा मानते हैं. अपने खास अंदाज और शैली में अपने अपनों यानी मंत्री विधायकों को कैसे खामोश करना है इसकी जादुई छड़ी गहलोत के पास रहती है. उनकी भाषा अब सचिन पायलट में भी सीख गए हैं. गाहे बगाहे जिस तरह सीएम के जुबानी हमले का शिकार होते रहते हैं उसे Tackle करने का हुनर 'युवा' पायलट ने 'बुजुर्ग' गहलोत से सीख लिया है (Pilot Clever Attack On Gehlot). मुख्यमंत्री की कुर्सी पर साल 2020 में दावा ठोक चुके सचिन पायलट ने राहुल गांधी से मिली "धैर्य" की घुट्टी का उपयोग इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर कर दिया है. चूंकि सचिन पायलट ने सीएम की बात को चतुराई से टाला है सो गुजरे सालों के पन्ने पलटना लाजिमी हो जाता है.
सीएम की भाषा, शैली बिना मकसद के नहीं: साल 2020 में राजनीतिक उठापटक के समय सचिन पायलट को नकारा- निकम्मा बोलना, रगड़ाई पूरी नहीं होने की बात हो, इस्तीफा देने वाले यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष और विधायक गणेश घोघरा को भावुक बताना हो या फिर मंत्री अशोक चांदना के ब्यूरोक्रेसी पर उठाए गए गंभीर सवालों पर काम के प्रेशर की बात कहना हो सीएम का अंदाज ऐसा रहा कि धुर विरोधी भी बगले झांकने लगे (Ashok Gehlot Cool Avatar). इन तमाम बयानों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाने वाले विधायकों को धैर्य के साथ ऐसे जवाब दिए की कोई भी विधायक उन्हें कुछ कह नहीं सका.
अब पायलट की बारी: लगातार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिस तरह से सचिन पायलट को साल 2020 में सरकार अस्थिर करने के प्रयास में शामिल होना बताते रहे हैं. इन सब मुद्दों पर विरोधी खेमा चटखारे लेता रहा है और अकसर सवाल पूछा जाता रहा है. एक बार फिर पूछा गया तो जवाब मिला. कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुझे नकारा- निकम्मा भी कह चुके हैं लेकिन वह बुजुर्ग भी हैं और पिता तुल्य भी ,ऐसे में उनकी बातों का मैं बुरा नहीं मानता (Sachin Pilot hits Back Cleverly). अशोक गहलोत लगातार सांकेतिक भाषा में ये कहते रहे हैं कि सचिन पायलट चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुए हैं इनकी इतनी रगड़ाई नहीं हुई. तो इसरा जवाब भी पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने दिया. कह दिया कि रगड़ाई का ही असर है जो राजस्थान में 21 विधायकों से बढ़कर पार्टी सत्ता में आई.
गहलोत के Hit बयान
सचिन पायलट को बताया 'निकम्मा': मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच कुर्सी की लड़ाई अब से नहीं चल रही है, लेकिन जब साल 2020 में राजस्थान में सियासी संकट आया तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट पर खासे नाराज हुए. उन्होंने सरकार गिराने के लिए सचिन पायलट को जिम्मेदार ठहराते हुए नकारा और निकम्मा तक कह दिया. गहलोत ने उस समय कहा था कि "हमें मालूम है यह नकारा है निकम्मा है और कोई काम नहीं कर रहा है उसके बावजूद भी हमने 7 साल तक कुछ नहीं कहा ". नाराज गहलोत ने उसी समय सचिन पायलट को बगावत का सूत्रधार बताते हुए न केवल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाया बल्कि उप मुख्यमंत्री पद से भी बर्खास्त किया. इसके बाद भले ही सचिन पायलट की पार्टी में वापसी हो गई हो लेकिन गहलोत लगातार ये कहते रहे हैं की सियासी संकट के दौरान विधायकों ने 10 करोड़ रुपए लिए थे और गजेंद्र सिंह के साथ सरकार गिराने में सचिन पायलट उनके साथ थे.
अशोक चांदना काम के बोझ तले दबे: ये तो हाल ही में हुआ. राज्यसभा चुनाव से पहले जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले अशोक चांदना ने मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेट्री पर सवाल खड़े किए. खुद को पद मुक्त करने का ट्वीट भी कर दिया. तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अशोक चांदना को लेकर कहा कि उन पर 30 लाख बच्चों के खेलों के आयोजन की जिम्मेदारी है. ज्यादा काम के प्रेशर के चलते उन्होंने ऐसा कह दिया होगा उनकी बात को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए.
गणेश घोघरा को बताया भावुक: डूंगरपुर से कांग्रेस विधायक और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश घोघरा का इस्तीफा भी सुर्खियों में रहा. उन्होंने जनता के साथ खड़े होकर प्रर्दर्शन किया. फिर FIR से नाराजगी जताते हुए विधायक पद से अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज दिया. इस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गणेश घोघरा को भावुक नेता बताते हुए कहा कि गणेश घोघरा भावुक नेता हैं उनकी समझाइश कर ली जाएगी. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि किसी सरकारी कर्मचारी को कमरे में बंद करना गांधीवादी तरीका नहीं है.
पायलट हैं तैयार!: दिल्ली में जब राहुल गांधी कांग्रेस विधायकों और नेताओं को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने सचिन पायलट के धैर्य का उदाहरण रख दिया. यही" धैर्य "का टॉनिक था की सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सभी बयानों का जवाब भी दिया और गहलोत को पिता तुल्य बताते हुए उनकी बातों का बुरा नहीं मानने की बात भी कह दी. पायलट ने गहलोत को इशारों ही इशारों में बता दिया कि जब 2013 में कांग्रेस महज 21 विधायकों वाली पार्टी रह गई थी तो उसके बाद उन्होंने जो रगड़ाई करवाई उसी का नतीजा राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनी. उन्होंने रगड़ाई शब्द का दो बार इस्तेमाल कर मुख्यमंत्री के बार-बार रगड़ाई नहीं होने के बयान का जवाब दिया.
पायलट ने गजेन्द्र सिंह पर दिखाया आईना: जिन केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह के साथ मिलकर सचिन पायलट पर राजस्थान की कांग्रेस सरकार गिराने के आरोप लगे. उन गजेंद्र सिंह को लेकर सचिन पायलट ने कहा कि गजेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री इस कारण से बने हैं क्योंकि हम सत्ता में रहने के बावजूद जोधपुर लोकसभा की सीट नहीं जीत सके. पायलट का इशारा सीधे तौर पर वैभव गहलोत की ओर था जिन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुख्यमंत्री होने के बावजूद भी अपने गृह जिले जोधपुर से चुनाव नहीं जीता सके. यs तमाम बातें बोलने के बाद सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बुजुर्ग और अनुभवी नेता बताने के साथ ही पिता तुल्य भी बता दिया और ये भी जता दिया कि उनके मन में नकारा और निकम्मा शब्द की टीस आज भी जिंदा है.