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सिद्धू 'हिट', पायलट कहां होंगे फिट... आलाकमान इन विकल्पों में ढूंढ रहा समाधान

राजस्थान में कई महीनों से गहलोत-पायलट कैंप के बीच द्वंद्व चल रहा है. ऐसे में नवजोत सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान मिलने के बाद राजस्थान की राजनीति में भी हलचल मच गई है. क्या समर्थकों को पद दिलाकर पायलट कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष या महासचिव बनाए जाएंगे. क्या पायलट राजस्थान छोड़ेंगे? या फिर बिना किसी पद के 5 राज्यों के चुनाव प्रचार में अहम भूमिका निभाएंगे ताकि राजस्थान लौटकर फिर से प्रदेश अध्यक्ष बन सकें?

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सिद्धू के बाद अब पायलट की बारी!
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Published : Jul 23, 2021, 6:36 PM IST

जयपुर: नवजोत सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब में चल रही कांग्रेस की रस्साकशी को समाप्त कर दिया है. अब हर किसी को उम्मीद है कि कांग्रेस आलाकमान पंजाब के बाद राजस्थान का रूख करेगा. ऐसे इशारे भी मिलने लगे हैं कि बीते 1 साल में कांग्रेस पार्टी में अपना और अपने समर्थकों का पद गंवा चुके सचिन पायलट और उनके समर्थकों की भी सुनवाई होगी.

नवजोत सिंह सिद्धू को जैसे ही पंजाब का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अजय माकन ने एक ऐसे ट्वीट को रिट्वीट किया, जिसमें लिखा था कि "अमरिंदर सिंह हो, अशोक गहलोत या फिर शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनने के बाद यह समझने लग जाते हैं कि उनकी वजह से सरकार आई है".

सिद्धू के बाद अब पायलट की बारी!

पढ़ें: राजस्थान की सियासत में नया तड़का : राहुल के करीबी रहे इस नेता की पार्टी की एंट्री, पायलट कैंप के विधायक से हुई गुफ्तगू

इस मैसेज में एक इशारा तो बिल्कुल सीधा दे दिया गया कि कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को लेकर सकारात्मक रुख अपनाए हुए है. अजय माकन कांग्रेस आलाकमान के ही प्रतिनिधि हैं. ऐसे में उनके रिट्वीट के मायने तो यही निकलते हैं कि अब जल्द ही पायलट कैंप की भी सुनवाई होगी.

पिछले साल जुलाई के महीने में सचिन पायलट नाराज होकर अपने समर्थकों के साथ दिल्ली चले गए थे. गहलोत सरकार मुश्किल में फंस गई थी. लग रहा था कि सचिन पायलट भाजपा का दामन थाम लेंगे और राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार का वही हाल होगा, जो मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार का हुआ. लेकिन सचिन पायलट ने उसी समय यह साफ कर दिया कि वह चाहे जो रास्ता अपनाएं, लेकिन भाजपा में नहीं होंगे.

करीब 33 दिन राजस्थान में गहलोत समर्थकों की जयपुर, जैसलमेर और मानेसर में पायलट समर्थकों की बाड़ाबंदी के बाद प्रियंका गांधी एक्शन में आईं. उन्होंने सचिन पायलट कैंप को साध लिया. पायलट और उनके समर्थकों की शिकायतों को लेकर एक 3 सदस्यीय कमेटी भी बनाई गई. इस कमेटी में अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल और अजय माकन जैसे कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया. लेकिन अहमद पटेल के निधन के चलते इस कमेटी की बैठक और उसकी रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई.

पढ़ें: पंजाब की तरह कब सुलझेगा गहलोत-पायलट विवाद, सुनिये दिग्विजय सिंह ने क्या कहा

परेशान होकर जब जून महीने में सचिन पायलट ने एक बार फिर नाराजगी दिखाई तो अब उस कमेटी ने अपनी बैठक भी कर ली और अपनी रिपोर्ट भी कांग्रेस आलाकमान यानी सोनिया गांधी को सौंप दी है. अब जिस तरीके से अजय माकन ने रिट्वीट में अशोक गहलोत का नाम लिखा है, उससे लगता है कि पायलट कैंप को अब और ज्यादा निराशा नहीं देखनी पड़ेगी.

कहा जा रहा है कि राजस्थान में जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार कर दिया जाएगा, जिसमें सचिन पायलट कैंप के विधायकों को भी शामिल किया जाएगा. राजनीतिक नियुक्तियां भी शुरू हो जाएगी, जिसमें भी पायलट कैंप के नेताओं को जगह मिलेगी. हालांकि देखने की बात यह होगी कि मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में कितनी संख्या में पायलट समर्थक शामिल किए जाते हैं.

इसके बाद भी एक सवाल जरूर खड़ा होता है कि पायलट समर्थकों को तो पार्टी राजनीतिक नियुक्तियों और कैबिनेट विस्तार के जरिए पद और प्रतिष्ठा लौटा देगी, लेकिन सचिन पायलट का क्या होगा ? सचिन पायलट को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी कौन सा पद देती है, इस पर सबकी नजरें हैं.

पायलट ने पहले राजस्थान में बगावती रुख अपनाया. उसके बाद प्रियंका गांधी के कहने पर वह वापस लौट आए. लेकिन जिस 1 महीने में यह पूरा घटनाक्रम हुआ, उस 1 महीने में 20 साल से कांग्रेस की मुख्यधारा और राहुल गांधी के सबसे नजदीकी नेताओं में से एक रहे सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री दोनों पदों से हाथ धोना पड़ा.

पिछले 1 साल से सचिन पायलट लगातार एक ही बात बोल रहे हैं कि उन्हें अपने लिए कोई पद नहीं चाहिए, लेकिन जिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत से राजस्थान में सरकार बनी, उन कार्यकर्ताओं को सरकार में हिस्सेदारी दी जाए.

एक बात साफ है कि कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट का कहीं तो इस्तेमाल जरूर करेगी. या तो पायलट को एआईसीसी में कोई पद देकर उन्हें किसी प्रदेश की जिम्मेदारी दे सकती है या फिर राजस्थान में वही प्रदेश अध्यक्ष का पद दिया जा सकता है, जिस पर उन्होंने साढ़े 6 साल तक काम किया.

हालांकि अभी कांग्रेस पार्टी की नजर पांच राज्यों के चुनाव पर है. कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट की राष्ट्रीय छवि का इस्तेमाल पांच राज्यों में करना चाहती है. लिहाजा उन्हें कांग्रेस पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है या फिर कांग्रेस महासचिव लेकिन अगर सचिन पायलट कार्यकारी अध्यक्ष या कांग्रेस महासचिव बनते हैं तो ऐसे में उनकी राजस्थान से दूरियां हो जाएगी.

सचिन पायलट ने भी बीच का रास्ता अपनाते हुए बिना किसी पद के अभी कुछ समय पांच राज्यों के चुनाव में प्रचार करने और कांग्रेस को मजबूत करने की बात रखी है ताकि वह चुनावी साल में राजस्थान लौटकर प्रदेश अध्यक्ष पद संभाल सकें. हालांकि अंतिम निर्णय कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को ही लेना है. सचिन पायलट ने भी यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जो भी निर्णय लेंगी, वह मंजूर होगा.

जयपुर: नवजोत सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब में चल रही कांग्रेस की रस्साकशी को समाप्त कर दिया है. अब हर किसी को उम्मीद है कि कांग्रेस आलाकमान पंजाब के बाद राजस्थान का रूख करेगा. ऐसे इशारे भी मिलने लगे हैं कि बीते 1 साल में कांग्रेस पार्टी में अपना और अपने समर्थकों का पद गंवा चुके सचिन पायलट और उनके समर्थकों की भी सुनवाई होगी.

नवजोत सिंह सिद्धू को जैसे ही पंजाब का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अजय माकन ने एक ऐसे ट्वीट को रिट्वीट किया, जिसमें लिखा था कि "अमरिंदर सिंह हो, अशोक गहलोत या फिर शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनने के बाद यह समझने लग जाते हैं कि उनकी वजह से सरकार आई है".

सिद्धू के बाद अब पायलट की बारी!

पढ़ें: राजस्थान की सियासत में नया तड़का : राहुल के करीबी रहे इस नेता की पार्टी की एंट्री, पायलट कैंप के विधायक से हुई गुफ्तगू

इस मैसेज में एक इशारा तो बिल्कुल सीधा दे दिया गया कि कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को लेकर सकारात्मक रुख अपनाए हुए है. अजय माकन कांग्रेस आलाकमान के ही प्रतिनिधि हैं. ऐसे में उनके रिट्वीट के मायने तो यही निकलते हैं कि अब जल्द ही पायलट कैंप की भी सुनवाई होगी.

पिछले साल जुलाई के महीने में सचिन पायलट नाराज होकर अपने समर्थकों के साथ दिल्ली चले गए थे. गहलोत सरकार मुश्किल में फंस गई थी. लग रहा था कि सचिन पायलट भाजपा का दामन थाम लेंगे और राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार का वही हाल होगा, जो मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार का हुआ. लेकिन सचिन पायलट ने उसी समय यह साफ कर दिया कि वह चाहे जो रास्ता अपनाएं, लेकिन भाजपा में नहीं होंगे.

करीब 33 दिन राजस्थान में गहलोत समर्थकों की जयपुर, जैसलमेर और मानेसर में पायलट समर्थकों की बाड़ाबंदी के बाद प्रियंका गांधी एक्शन में आईं. उन्होंने सचिन पायलट कैंप को साध लिया. पायलट और उनके समर्थकों की शिकायतों को लेकर एक 3 सदस्यीय कमेटी भी बनाई गई. इस कमेटी में अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल और अजय माकन जैसे कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया. लेकिन अहमद पटेल के निधन के चलते इस कमेटी की बैठक और उसकी रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई.

पढ़ें: पंजाब की तरह कब सुलझेगा गहलोत-पायलट विवाद, सुनिये दिग्विजय सिंह ने क्या कहा

परेशान होकर जब जून महीने में सचिन पायलट ने एक बार फिर नाराजगी दिखाई तो अब उस कमेटी ने अपनी बैठक भी कर ली और अपनी रिपोर्ट भी कांग्रेस आलाकमान यानी सोनिया गांधी को सौंप दी है. अब जिस तरीके से अजय माकन ने रिट्वीट में अशोक गहलोत का नाम लिखा है, उससे लगता है कि पायलट कैंप को अब और ज्यादा निराशा नहीं देखनी पड़ेगी.

कहा जा रहा है कि राजस्थान में जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार कर दिया जाएगा, जिसमें सचिन पायलट कैंप के विधायकों को भी शामिल किया जाएगा. राजनीतिक नियुक्तियां भी शुरू हो जाएगी, जिसमें भी पायलट कैंप के नेताओं को जगह मिलेगी. हालांकि देखने की बात यह होगी कि मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में कितनी संख्या में पायलट समर्थक शामिल किए जाते हैं.

इसके बाद भी एक सवाल जरूर खड़ा होता है कि पायलट समर्थकों को तो पार्टी राजनीतिक नियुक्तियों और कैबिनेट विस्तार के जरिए पद और प्रतिष्ठा लौटा देगी, लेकिन सचिन पायलट का क्या होगा ? सचिन पायलट को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी कौन सा पद देती है, इस पर सबकी नजरें हैं.

पायलट ने पहले राजस्थान में बगावती रुख अपनाया. उसके बाद प्रियंका गांधी के कहने पर वह वापस लौट आए. लेकिन जिस 1 महीने में यह पूरा घटनाक्रम हुआ, उस 1 महीने में 20 साल से कांग्रेस की मुख्यधारा और राहुल गांधी के सबसे नजदीकी नेताओं में से एक रहे सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री दोनों पदों से हाथ धोना पड़ा.

पिछले 1 साल से सचिन पायलट लगातार एक ही बात बोल रहे हैं कि उन्हें अपने लिए कोई पद नहीं चाहिए, लेकिन जिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत से राजस्थान में सरकार बनी, उन कार्यकर्ताओं को सरकार में हिस्सेदारी दी जाए.

एक बात साफ है कि कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट का कहीं तो इस्तेमाल जरूर करेगी. या तो पायलट को एआईसीसी में कोई पद देकर उन्हें किसी प्रदेश की जिम्मेदारी दे सकती है या फिर राजस्थान में वही प्रदेश अध्यक्ष का पद दिया जा सकता है, जिस पर उन्होंने साढ़े 6 साल तक काम किया.

हालांकि अभी कांग्रेस पार्टी की नजर पांच राज्यों के चुनाव पर है. कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट की राष्ट्रीय छवि का इस्तेमाल पांच राज्यों में करना चाहती है. लिहाजा उन्हें कांग्रेस पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है या फिर कांग्रेस महासचिव लेकिन अगर सचिन पायलट कार्यकारी अध्यक्ष या कांग्रेस महासचिव बनते हैं तो ऐसे में उनकी राजस्थान से दूरियां हो जाएगी.

सचिन पायलट ने भी बीच का रास्ता अपनाते हुए बिना किसी पद के अभी कुछ समय पांच राज्यों के चुनाव में प्रचार करने और कांग्रेस को मजबूत करने की बात रखी है ताकि वह चुनावी साल में राजस्थान लौटकर प्रदेश अध्यक्ष पद संभाल सकें. हालांकि अंतिम निर्णय कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को ही लेना है. सचिन पायलट ने भी यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जो भी निर्णय लेंगी, वह मंजूर होगा.

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