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आरटीडीसी रिटायर्ड कर्मचारियों को नहीं मिल रहा भुगतान, भुखमरी की नौबत - जयपुर में सफाईकर्मियों की हड़ताल

कोरोना काल में काफी समय से सेवानिवृत्ति परिलाभ नहीं मिलने से आरटीडीसी रिटायर्ड कर्मचारियों को पेट पालना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में आरटीडीसी एंप्लॉइज एसोसिएशन की ओर से कर्मचारियों को भुगतान करने की मांग की गई है, जिससे रिटायर्ड कर्मचारियों का आर्थिक संकट दूर हो सके.

Payment of RTDC Retired Employees, RTDC Retired Employees protest
आरटीडीसी रिटायर्ड कर्मचारियों को नहीं मिल रहा भुगतान
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Published : May 28, 2021, 12:18 PM IST

जयपुर. आरटीडीसी रिटायर्ड कर्मचारियों को काफी समय से बकाया भुगतान नहीं मिल रहा है. रिटायर कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति परीलाभ नहीं मिलने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना संकट के दौर में काम धंधे बंद हैं तो वहीं लोग घरों में कैद हैं. ऐसे में रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो गया है. आरटीडीसी रिटायर्ड एंप्लाइज एसोसिएशन की ओर से कर्मचारियों को भुगतान करने की मांग की गई है.

आरटीडीसी रिटायर्ड कर्मचारियों को नहीं मिल रहा भुगतान

आरटीडीसी एम्पलाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष रामकिशोर पारीक के मुताबिक आरटीडीसी से सेवानिवृत्त कार्मिक सेवानिवृत्ति से संबंधित भुगतान नहीं मिलने के कारण भुखमरी और नारकीय जीवन भोगने को मजबूर हो रहे हैं. आरटीडीसी से सेवानिवृत्त करीबन 300 कार्मिक विगत 5 वर्षों से सेवानिवृत्ति से संबंधित भुगतान, ग्रेच्युटी, उपार्जित अवकाश और अन्य बकाया एरियर राशि का भुगतान नहीं होने से भूखे मरने की नौबत आ गई है. सेवानिवृत्त कई कर्मचारी समय पर सेवानिवृत्ति परीलाभ नहीं मिलने के कारण आर्थिक तंगी की वजह से समय से पूर्व मृत्यु का ग्रास बन चुके हैं और कई कर्मचारी मृत्यु के कगार पर हैं.

पर्यटन निगम में सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन और चिकित्सा सुविधा भी नहीं दी जा रही है. सेवानिवृत्त कर्मचारियों का जुलाई 2018 से अब तक वेतन से कटौती किए गए इपीएफ अंशदान और नियोक्ता अंशदान कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में जमा नहीं कराए जाने से कर्मचारी राशि को भी ईपीएफ विभाग से आहरित नहीं कर पा रहे हैं. निगम प्रबंधन का हाल यह है कि निगम से सेवानिवृत्त कर्मचारियों कि उन्हें कोई परवाह नहीं है. निगम प्रबंधन सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बकाया भुगतान के लिए बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है.

पढ़ें- कोटा: आपसी कहासुनी में बड़े भाई ने छोटे भाई की ली जान, गिरफ्तार

निगम में पद स्थापित उच्च अधिकारी केवल मात्र प्रतिमाह उन्हें मिलने वाले वेतन भुगतान के लिए तो जागरूक हैं, लेकिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को किस प्रकार से भुगतान की व्यवस्था की जानी है, इसके लिए कोई योजना नहीं है. हालात यह हैं कि गत एक माह में 5 सेवानिवृत्त कार्मिकों और 3 सेवारत कार्मिकों की अकाल मृत्यु हो चुकी है. यह ही नहीं गत एक माह में 7 कार्मिकों के परिवारजनों की मृत्यु भी हो चुकी है.

निगम प्रबंधन की ओर से राज्य सरकार के वित्त विभाग को 8 जनवरी 2021 को 45 करोड़ रुपए का अनुदान स्वीकृत किए जाने के लियव प्रस्ताव भेजकर इतिश्री कर ली गई है. प्रस्ताव के संबंध में निगम प्रबंधन के स्तर पर कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए हैं. सेवानिवृत्त कर्मचारियों के समक्ष अपने और आश्रित परिवार के सदस्यों के उपचार के लिए भी पर्याप्त राशि उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण उनके पास उपचार के अभाव में मृत्यु के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

आरटीडीसी रिटायर्ड एम्पलाइज एसोसिएशन की ओर से निगम प्रबंधन के समक्ष सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बकाया भुगतान से संबंधित समस्या का निवारण किए जाने के लिए कई बार गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन निगम प्रबंधन सेवानिवृत्त कर्मचारियों की समस्या का निराकरण करने के लिए बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है. निगम प्रबंधन केवल मात्र निगम में सेवारत कर्मचारियों को प्रतिमाह किस प्रकार से वेतन दिया जाना है, इसके लिए तो पूर्णतया जागरूक है.

स्थायीकरण की मांग को लेकर सफाईकर्मियों ने दिया धरना

राजधानी जयपुर में जयपुर ग्रेटर नगर निगम मुख्यालय में आज सफाई कर्मियों ने धरना प्रदर्शन किया. सैकड़ों की तादाद में सफाई कर्मचारी ग्रेटर मुख्यालय पर जमा हो गए. इस दौरान कोरोना गाइडलाइन की भी जमकर धज्जियां उड़ती हुई नजर आई. सफाई कर्मचारियों ने 2018 में नियुक्त सफाई कर्मचारियों के स्थायीकरण की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया.

Safai Karmachari Strike in Jaipur, Safai Karmachari protest
स्थायीकरण की मांग को लेकर सफाईकर्मियों ने दिया धरना

सफाई कर्मचारियों के मुताबिक 2018 में भर्ती हुए सफाई कर्मियों को स्थाईकरण किया जाए और स्थाई वेतन भी दिया जाए, क्योंकि सफाईकर्मी अपना परिवीक्षा काल पूरा कर चुके हैं. सफाई कर्मियों का कहना है कि 2 साल का प्रोबेशन पीरियड पूरा होने के बावजूद भी स्थायीकरण नहीं किया जा रहा. इससे वेतन में भी विसंगति हो रही है. स्थाई वेतन नहीं मिल पाने के कारण सफाई कर्मियों के लिए काफी परेशानी खड़ी हो रही है. ऐसे में सरकार और नगर निगम प्रशासन को कई बार अवगत करवाया गया, लेकिन सफाई कर्मियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. सफाई कर्मियों ने नगर निगम महापौर और कमिश्नर को ज्ञापन देकर स्थायीकरण करने की मांग की है. इसके साथ ही स्थाई वेतन देने की भी मांग की गई है.

पढ़ें- अलवर-भरतपुर के ठगों ने की शर्मनाक करतूत, ऑक्सीजन सिलेंडर के नाम पर लोगों से 70 लाख रुपए ठगे

संयुक्त बाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष के अनुसार राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार गैर वाल्मीकि सफाई कर्मचारी ग्रेटर नगर निगम मुख्यालय में एकत्रित हुए, जहां कोविड गाइडलाइन और राज्य सरकार की गाइडलाइन की पालना नहीं हुई. सफाई कर्मियों ने हड़ताल करने की चेतावनी दी है. संयुक्त बाल्मीकि सफाई श्रमिक संघ से लगातार नगर निगम प्रशासन से 2018 के सफाई कर्मचारियों की भर्ती में स्थायीकरण किए जाने के लिए 2 दिन का आश्वासन दिया था. निगम प्रशासन लगातार कर्मचारियों के स्थायीकरण के लिए मीटिंग कर रहा है. जिसका परिणाम 1265 सफाई कर्मचारियों का स्थायीकरण की पत्रावली अंतिम निर्णय की ओर अग्रसर है.

प्रदेश में कोरोना महामारी का कहर जारी है. किसी प्रकार के धरना प्रदर्शन और हड़ताल पर भी पाबंदी है. इस समय सबसे पहले मानव जीवन को सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकार का सहयोग करना है. वर्ष 2018 के स्थायीकरण नहीं किया गया और जो सफाई कर्मचारी सफाई का कार्य को छीनकर अन्य कार्य कर रहे हैं. उन्हें सफाई के कार्य में नहीं लगाया, तो यूनियन के पदाधिकारी मीटिंग लेकर अंतिम निर्णय की ओर अग्रसर होकर सफाई कार्य का बहिष्कार करेंगे.

जयपुर. आरटीडीसी रिटायर्ड कर्मचारियों को काफी समय से बकाया भुगतान नहीं मिल रहा है. रिटायर कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति परीलाभ नहीं मिलने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना संकट के दौर में काम धंधे बंद हैं तो वहीं लोग घरों में कैद हैं. ऐसे में रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो गया है. आरटीडीसी रिटायर्ड एंप्लाइज एसोसिएशन की ओर से कर्मचारियों को भुगतान करने की मांग की गई है.

आरटीडीसी रिटायर्ड कर्मचारियों को नहीं मिल रहा भुगतान

आरटीडीसी एम्पलाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष रामकिशोर पारीक के मुताबिक आरटीडीसी से सेवानिवृत्त कार्मिक सेवानिवृत्ति से संबंधित भुगतान नहीं मिलने के कारण भुखमरी और नारकीय जीवन भोगने को मजबूर हो रहे हैं. आरटीडीसी से सेवानिवृत्त करीबन 300 कार्मिक विगत 5 वर्षों से सेवानिवृत्ति से संबंधित भुगतान, ग्रेच्युटी, उपार्जित अवकाश और अन्य बकाया एरियर राशि का भुगतान नहीं होने से भूखे मरने की नौबत आ गई है. सेवानिवृत्त कई कर्मचारी समय पर सेवानिवृत्ति परीलाभ नहीं मिलने के कारण आर्थिक तंगी की वजह से समय से पूर्व मृत्यु का ग्रास बन चुके हैं और कई कर्मचारी मृत्यु के कगार पर हैं.

पर्यटन निगम में सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन और चिकित्सा सुविधा भी नहीं दी जा रही है. सेवानिवृत्त कर्मचारियों का जुलाई 2018 से अब तक वेतन से कटौती किए गए इपीएफ अंशदान और नियोक्ता अंशदान कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में जमा नहीं कराए जाने से कर्मचारी राशि को भी ईपीएफ विभाग से आहरित नहीं कर पा रहे हैं. निगम प्रबंधन का हाल यह है कि निगम से सेवानिवृत्त कर्मचारियों कि उन्हें कोई परवाह नहीं है. निगम प्रबंधन सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बकाया भुगतान के लिए बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है.

पढ़ें- कोटा: आपसी कहासुनी में बड़े भाई ने छोटे भाई की ली जान, गिरफ्तार

निगम में पद स्थापित उच्च अधिकारी केवल मात्र प्रतिमाह उन्हें मिलने वाले वेतन भुगतान के लिए तो जागरूक हैं, लेकिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को किस प्रकार से भुगतान की व्यवस्था की जानी है, इसके लिए कोई योजना नहीं है. हालात यह हैं कि गत एक माह में 5 सेवानिवृत्त कार्मिकों और 3 सेवारत कार्मिकों की अकाल मृत्यु हो चुकी है. यह ही नहीं गत एक माह में 7 कार्मिकों के परिवारजनों की मृत्यु भी हो चुकी है.

निगम प्रबंधन की ओर से राज्य सरकार के वित्त विभाग को 8 जनवरी 2021 को 45 करोड़ रुपए का अनुदान स्वीकृत किए जाने के लियव प्रस्ताव भेजकर इतिश्री कर ली गई है. प्रस्ताव के संबंध में निगम प्रबंधन के स्तर पर कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए हैं. सेवानिवृत्त कर्मचारियों के समक्ष अपने और आश्रित परिवार के सदस्यों के उपचार के लिए भी पर्याप्त राशि उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण उनके पास उपचार के अभाव में मृत्यु के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

आरटीडीसी रिटायर्ड एम्पलाइज एसोसिएशन की ओर से निगम प्रबंधन के समक्ष सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बकाया भुगतान से संबंधित समस्या का निवारण किए जाने के लिए कई बार गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन निगम प्रबंधन सेवानिवृत्त कर्मचारियों की समस्या का निराकरण करने के लिए बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है. निगम प्रबंधन केवल मात्र निगम में सेवारत कर्मचारियों को प्रतिमाह किस प्रकार से वेतन दिया जाना है, इसके लिए तो पूर्णतया जागरूक है.

स्थायीकरण की मांग को लेकर सफाईकर्मियों ने दिया धरना

राजधानी जयपुर में जयपुर ग्रेटर नगर निगम मुख्यालय में आज सफाई कर्मियों ने धरना प्रदर्शन किया. सैकड़ों की तादाद में सफाई कर्मचारी ग्रेटर मुख्यालय पर जमा हो गए. इस दौरान कोरोना गाइडलाइन की भी जमकर धज्जियां उड़ती हुई नजर आई. सफाई कर्मचारियों ने 2018 में नियुक्त सफाई कर्मचारियों के स्थायीकरण की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया.

Safai Karmachari Strike in Jaipur, Safai Karmachari protest
स्थायीकरण की मांग को लेकर सफाईकर्मियों ने दिया धरना

सफाई कर्मचारियों के मुताबिक 2018 में भर्ती हुए सफाई कर्मियों को स्थाईकरण किया जाए और स्थाई वेतन भी दिया जाए, क्योंकि सफाईकर्मी अपना परिवीक्षा काल पूरा कर चुके हैं. सफाई कर्मियों का कहना है कि 2 साल का प्रोबेशन पीरियड पूरा होने के बावजूद भी स्थायीकरण नहीं किया जा रहा. इससे वेतन में भी विसंगति हो रही है. स्थाई वेतन नहीं मिल पाने के कारण सफाई कर्मियों के लिए काफी परेशानी खड़ी हो रही है. ऐसे में सरकार और नगर निगम प्रशासन को कई बार अवगत करवाया गया, लेकिन सफाई कर्मियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. सफाई कर्मियों ने नगर निगम महापौर और कमिश्नर को ज्ञापन देकर स्थायीकरण करने की मांग की है. इसके साथ ही स्थाई वेतन देने की भी मांग की गई है.

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संयुक्त बाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष के अनुसार राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार गैर वाल्मीकि सफाई कर्मचारी ग्रेटर नगर निगम मुख्यालय में एकत्रित हुए, जहां कोविड गाइडलाइन और राज्य सरकार की गाइडलाइन की पालना नहीं हुई. सफाई कर्मियों ने हड़ताल करने की चेतावनी दी है. संयुक्त बाल्मीकि सफाई श्रमिक संघ से लगातार नगर निगम प्रशासन से 2018 के सफाई कर्मचारियों की भर्ती में स्थायीकरण किए जाने के लिए 2 दिन का आश्वासन दिया था. निगम प्रशासन लगातार कर्मचारियों के स्थायीकरण के लिए मीटिंग कर रहा है. जिसका परिणाम 1265 सफाई कर्मचारियों का स्थायीकरण की पत्रावली अंतिम निर्णय की ओर अग्रसर है.

प्रदेश में कोरोना महामारी का कहर जारी है. किसी प्रकार के धरना प्रदर्शन और हड़ताल पर भी पाबंदी है. इस समय सबसे पहले मानव जीवन को सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकार का सहयोग करना है. वर्ष 2018 के स्थायीकरण नहीं किया गया और जो सफाई कर्मचारी सफाई का कार्य को छीनकर अन्य कार्य कर रहे हैं. उन्हें सफाई के कार्य में नहीं लगाया, तो यूनियन के पदाधिकारी मीटिंग लेकर अंतिम निर्णय की ओर अग्रसर होकर सफाई कार्य का बहिष्कार करेंगे.

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