जयपुर. राजधानी के करधनी थाना इलाके में एक युवक से उसके साडू से ही पोस्ट ऑफिस में नौकरी लगाने का झांसा दे 8 लाख रुपए ठग (Fraud in the name of job in Jaipur) लिए. यही नहीं आरोपी साडू ने परिवादी को फर्जी नियुक्ति पत्र भी थमा दिया और जब परिवादी ने अपने स्तर पर नियुक्ति पत्र की पड़ताल की तो वह फर्जी पाया गया. इस प्रकार से ठगी का अहसास होने के बाद परिवादी ने सोमवार रात करधनी थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है.
प्रकरण की जांच कर रहे जांच अधिकारी हरपाल सिंह ने बताया कि लालचंद्रपुरा झोटवाड़ा निवासी गजानंद ने अपने साडू वीरेंद्र वर्मा के खिलाफ ठगी का मामला दर्ज करवाया है. परिवादी ने वर्ष 2020 में बेरोजगार होने पर अपने साडू वीरेंद्र वर्मा से कुछ काम दिलाने के लिए कहा. जिस पर वीरेंद्र ने अजमेर आरएमएस पोस्ट ऑफिस में क्लर्क की दो पोस्ट खाली होने की बात कहते हुए क्लर्क के पद पर परिवादी की नौकरी लगवाने की बात कही. वीरेंद्र ने बताया कि उसकी दिल्ली स्थित हेड पोस्ट ऑफिस में अधिकारियों से अच्छी जान पहचान है और वह पक्की नौकरी लगवा देगा.
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नौकरी लगाने के एवज में मांगे 8.80 लाख रुपए: वीरेंद्र ने परिवादी की नौकरी लगाने की एवज में 8 लाख 80 हजार रुपए की मांग की, जिस पर परिवादी ने अपने कई रिश्तेदारों से राशि उधार लेकर अलग-अलग टुकड़ों में वीरेंद्र को दे दी. संपूर्ण राशि जमा करवाने के बाद वीरेंद्र ने परिवादी को अजमेर बुलाकर पोस्ट ऑफिस में लिखित परीक्षा दिलवाई और परीक्षा में उत्तीर्ण होने की घोषणा करते हुए नियुक्ति पत्र थमा दिया. फरवरी माह में परिवादी को नियुक्ति पत्र के साथ अजमेर स्थित पोस्ट ऑफिस में उपस्थित होने और जॉइनिंग करने के लिए कहा गया.
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बताई गई तारीख पर जब परिवादी अजमेर पोस्ट ऑफिस पहुंचा तो वीरेंद्र ने अधिकारी के छुट्टी पर होने की बात कहते हुए एक महीने बाद जॉइनिंग करवाने की बात कही. 1 महीने से अधिक समय बीतने के बाद जब परिवादी ने फिर से वीरेंद्र से संपर्क कर जॉइनिंग के बारे में पूछा तो वीरेंद्र ने उस पर विश्वास रखने और जॉइनिंग में थोड़ा और समय लगने की बात कही. ऐसे में शक होने पर परिवादी वीरेंद्र द्वारा दिया गया नियुक्ति पत्र लेकर जयपुर के कालवाड रोड स्थित पोस्ट ऑफिस पर गया और वहां मौजूद अधिकारियों से नियुक्ति पत्र के संबंध में बातचीत की तो उक्त नियुक्ति पत्र फर्जी पाया गया.
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जिस पर परिवादी ने जब वीरेंद्र से बातचीत की तो वीरेंद्र ने अपनी गलती मानते हुए उसे उसकी पूरी राशि लौटाने का आश्वासन दिया. सितंबर माह में वीरेंद्र ने परिवादी को अलग-अलग टुकड़ों में 80 हजार रुपए लौटाए और 8 लाख रुपए का एक चेक भरकर बैंक में लगा भुगतान प्राप्त करने को कहा. परिवादी ने उक्त चेक बैंक में लगाया तो गलत साइन की वजह से उस चेक को बैंक द्वारा अनादरित कर दिया गया. इसके बाद जब परिवादी ने वीरेंद्र से संपर्क करने की कोशिश की तो उसने परिवादी के फोन उठाना बंद कर दिया. इस प्रकार से ठगी होने के बाद परिवादी ने पुलिस में वीरेंद्र के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई. फिलहाल पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच करना शुरू किया है.