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सरकारी भवनों की छतों पर निजी कंपनियां पैदा करेंगी बिजली, 'रेस्को मॉडल' के जरिए लगाए जाएंगे रूफटॉप सोलर प्लांट

अब सरकारी भवनों की छतों पर निजी कंपनियां सोलर प्लांट लगाकर बिजली उत्पादित की जाएगी. अक्षय ऊर्जा निगम के रेस्को मॉडल के जरिए सरकारी कार्यालय की छतों पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगेंगे.

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सरकारी दफ्तरों की छतों पर लगेंगे सोलर प्लांट
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Published : Aug 8, 2021, 10:07 PM IST

Updated : Aug 9, 2021, 10:13 AM IST

जयपुर. प्रदेश में अब सरकारी भवनों की छतों पर भी निजी कंपनियां सौर ऊर्जा का उत्पादन करेंगी. अक्षय ऊर्जा निगम के 'रेस्को मॉडल' के जरिए ये संभव हो सकेगा. खास बात ये है कि जिन सरकारी विभागों ने अपने कार्यालयों में अबतक रूफटॉप सोलर प्लांट नहीं लगवाए थे वे भी अब रूफटॉप सोलर प्लांट के जरिए सौर ऊर्जा प्लांट लगवाने के लिए संपर्क कर रहे हैं.

30 प्रतिशत अनुदान की छूट से जुड़ी योजना का कम विभागों ने लिया लाभ

दरअसल सरकार और अक्षय ऊर्जा निगम ने जब रूफटॉप सोलर प्लांट को लेकर राजस्थान में पहल की थी, तब ये उम्मीद थी कि कम से कम सरकारी विभागों के कार्यलयों की छतों पर तो इसकी शुरुआत होगी. रेस्को मॉडल से पूर्व भारत सरकार की ओर से फरवरी 2015 से मार्च 2017 तक सरकारी भवनों पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगवाने पर 30% अनुदान प्रदान किया जाता था. उस दौरान कुछ डिपार्टमेंट इसके लिए आगे भी आए जिन्हें शुरुआत में रूफटॉप प्लांट लगवाने पर 30% सब्सिडी की छूट भी सरकार से मिली. हालांकि तब भी अधिकतर विभागों ने इसमें कम ही रुचि दिखाई.

सरकारी दफ्तरों की छतों पर लगेंगे सोलर प्लांट

यही कारण है कि मार्च 2017 तक राजस्थान के महज 26 बड़े सरकारी भवनों पर ही 30% सब्सिडी योजना के तहत रूफटॉप सोलर प्लांट लगाए जिसमें मुख्यमंत्री आवास, मुख्यमंत्री ऑफिस, उदयपुर नगर निगम, अजमेर नगर निगम, जोधपुर नगर निगम, भरतपुर नगर निगम, राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम हीरापुरा कार्यालय जयपुर अरण्य भवन जयपुर स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल एसएमएस स्टेडियम जयपुर, अपेक्स बैंक लाल कोठी जयपुर, आरआरईसीएल जयपुर, रीको जयपुर के 2 कार्यालयों, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड मैन बिल्डिंग,राजस्थान हाउसिंग बोर्ड क्यूसी लैब जयपुर, आरएसएमएमएल उदयपुर, अजमेर विकास प्राधिकरण कार्यालय, सीकर कलेक्ट्रेट कार्यालय, सीटीआई उदयपुर भवन और बीकानेर पशु विज्ञान विश्वविद्यालय भवन आदि में यह रूफटॉप सोलर प्लांट लगवाए गए. हालांकि राजस्थान में सरकारी भवनों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है. मतलब साफ था कि अधिकतर विभागों ने अपने कार्यालय में इस योजना के तहत सोलर प्लांट लगवाने में रुचि नहीं दिखाई.

पढ़ें-अगर आपके पास भी है बंजर जमीन तो कर सकते हैं लाखों की कमाई, जानें क्या करना होगा

ये है रेसको मॉडल की खासियत...

रिन्यूएबल एनर्जी सर्विस कंपनी यानी 'रेस्को मॉडल' सरकारी विभागों के भवनों की छत पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगवाने के लिए ही शुरू किया गया है. इस मॉडल के तहत सरकारी विभागों को कोई सब्सिडी नहीं मिलेगी लेकिन सरकारी भवन की छत पर लगाए जाने वाले रूफटॉप सोलर प्लांट के लिए विभाग को अपनी जेब से कुछ खर्च भी नहीं करना होगा. रेस्को मॉडल के तहत अक्षय ऊर्जा निगम जो टेंडर निकालेगा उसमें आई कंपनियां संबंधित विभाग की छत पर यह प्लांट लगाएगी और उसके एवज में 4 रुपये 15 पैसे प्रति यूनिट तक संबंधित विभाग कंपनी को भुगतान करेगा.

पढ़ें-अजमेर: आनासागर एसटीपी सोलर प्लांट से बिजली का उत्पादन होगा शुरू, नगर निगम को होगी अब प्रतिमाह 5 लाख रुपए की बचत

मतलब जिस सरकारी भवन की छत पर इस प्लांट से जितनी बिजली उत्पादन होगी उसका भुगतान कंपनी को होगा. सरकारी विभाग को यह फायदा होगा कि उसे कम दरों पर बिजली मिल सकेगी क्योंकि डिस्कॉम को भुगतान करने पर बिजली दरें ज्यादा हैं. वही कंपनी अपने प्लांट की लागत अधिकतम 10 साल में निकाल लेगी और उसके बाद जो बिजली उत्पादन का भुगतान होगा वो कंपनी का प्रॉफिट होगा.

रेस्को मॉडल पर अब तक ये हुआ काम

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम ने दिसंबर 2019 में रेस्को मॉडल शुरू किया जिसके तहत करीब 14 मेगावाट के टेंडर भी हुए जिसमें से 2.5 मेगावाट क्षमता के प्लांट लगाने का काम ही अब तक हो पाया है. इस मॉडल के तहत करीब 35 सरकारी भवनों पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगाए जाने पर फिलहाल काम किया जा रहा है. हालांकि 17 भवनों पर तो यह काम अब तक शुरू नहीं हुआ है लेकिन 14 सरकारी भवनों पर इस प्रोजेक्ट के तहत रूफटॉप सोलर प्लांट लगाए गए हैं.

इस मॉडल के तहत सरकारी भवन में रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने वाले विभाग और भवनों में विभिन्न सरकारी विश्वविद्यालय और स्वास्थ्य व कृषि विभाग से जुड़े सरकारी कार्यालय शामिल हैं. हालांकि रेस्को मॉडल की शुरुआत के कुछ माह बाद ही देश और प्रदेश में कोरोना का संकट आ गया जिसके चलते बहुत ज्यादा काम इस पर नहीं हो पाया है लेकिन अब इस मॉडल पर काम तेजी से शुरू कर दिया गया है.

जयपुर. प्रदेश में अब सरकारी भवनों की छतों पर भी निजी कंपनियां सौर ऊर्जा का उत्पादन करेंगी. अक्षय ऊर्जा निगम के 'रेस्को मॉडल' के जरिए ये संभव हो सकेगा. खास बात ये है कि जिन सरकारी विभागों ने अपने कार्यालयों में अबतक रूफटॉप सोलर प्लांट नहीं लगवाए थे वे भी अब रूफटॉप सोलर प्लांट के जरिए सौर ऊर्जा प्लांट लगवाने के लिए संपर्क कर रहे हैं.

30 प्रतिशत अनुदान की छूट से जुड़ी योजना का कम विभागों ने लिया लाभ

दरअसल सरकार और अक्षय ऊर्जा निगम ने जब रूफटॉप सोलर प्लांट को लेकर राजस्थान में पहल की थी, तब ये उम्मीद थी कि कम से कम सरकारी विभागों के कार्यलयों की छतों पर तो इसकी शुरुआत होगी. रेस्को मॉडल से पूर्व भारत सरकार की ओर से फरवरी 2015 से मार्च 2017 तक सरकारी भवनों पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगवाने पर 30% अनुदान प्रदान किया जाता था. उस दौरान कुछ डिपार्टमेंट इसके लिए आगे भी आए जिन्हें शुरुआत में रूफटॉप प्लांट लगवाने पर 30% सब्सिडी की छूट भी सरकार से मिली. हालांकि तब भी अधिकतर विभागों ने इसमें कम ही रुचि दिखाई.

सरकारी दफ्तरों की छतों पर लगेंगे सोलर प्लांट

यही कारण है कि मार्च 2017 तक राजस्थान के महज 26 बड़े सरकारी भवनों पर ही 30% सब्सिडी योजना के तहत रूफटॉप सोलर प्लांट लगाए जिसमें मुख्यमंत्री आवास, मुख्यमंत्री ऑफिस, उदयपुर नगर निगम, अजमेर नगर निगम, जोधपुर नगर निगम, भरतपुर नगर निगम, राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम हीरापुरा कार्यालय जयपुर अरण्य भवन जयपुर स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल एसएमएस स्टेडियम जयपुर, अपेक्स बैंक लाल कोठी जयपुर, आरआरईसीएल जयपुर, रीको जयपुर के 2 कार्यालयों, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड मैन बिल्डिंग,राजस्थान हाउसिंग बोर्ड क्यूसी लैब जयपुर, आरएसएमएमएल उदयपुर, अजमेर विकास प्राधिकरण कार्यालय, सीकर कलेक्ट्रेट कार्यालय, सीटीआई उदयपुर भवन और बीकानेर पशु विज्ञान विश्वविद्यालय भवन आदि में यह रूफटॉप सोलर प्लांट लगवाए गए. हालांकि राजस्थान में सरकारी भवनों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है. मतलब साफ था कि अधिकतर विभागों ने अपने कार्यालय में इस योजना के तहत सोलर प्लांट लगवाने में रुचि नहीं दिखाई.

पढ़ें-अगर आपके पास भी है बंजर जमीन तो कर सकते हैं लाखों की कमाई, जानें क्या करना होगा

ये है रेसको मॉडल की खासियत...

रिन्यूएबल एनर्जी सर्विस कंपनी यानी 'रेस्को मॉडल' सरकारी विभागों के भवनों की छत पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगवाने के लिए ही शुरू किया गया है. इस मॉडल के तहत सरकारी विभागों को कोई सब्सिडी नहीं मिलेगी लेकिन सरकारी भवन की छत पर लगाए जाने वाले रूफटॉप सोलर प्लांट के लिए विभाग को अपनी जेब से कुछ खर्च भी नहीं करना होगा. रेस्को मॉडल के तहत अक्षय ऊर्जा निगम जो टेंडर निकालेगा उसमें आई कंपनियां संबंधित विभाग की छत पर यह प्लांट लगाएगी और उसके एवज में 4 रुपये 15 पैसे प्रति यूनिट तक संबंधित विभाग कंपनी को भुगतान करेगा.

पढ़ें-अजमेर: आनासागर एसटीपी सोलर प्लांट से बिजली का उत्पादन होगा शुरू, नगर निगम को होगी अब प्रतिमाह 5 लाख रुपए की बचत

मतलब जिस सरकारी भवन की छत पर इस प्लांट से जितनी बिजली उत्पादन होगी उसका भुगतान कंपनी को होगा. सरकारी विभाग को यह फायदा होगा कि उसे कम दरों पर बिजली मिल सकेगी क्योंकि डिस्कॉम को भुगतान करने पर बिजली दरें ज्यादा हैं. वही कंपनी अपने प्लांट की लागत अधिकतम 10 साल में निकाल लेगी और उसके बाद जो बिजली उत्पादन का भुगतान होगा वो कंपनी का प्रॉफिट होगा.

रेस्को मॉडल पर अब तक ये हुआ काम

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम ने दिसंबर 2019 में रेस्को मॉडल शुरू किया जिसके तहत करीब 14 मेगावाट के टेंडर भी हुए जिसमें से 2.5 मेगावाट क्षमता के प्लांट लगाने का काम ही अब तक हो पाया है. इस मॉडल के तहत करीब 35 सरकारी भवनों पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगाए जाने पर फिलहाल काम किया जा रहा है. हालांकि 17 भवनों पर तो यह काम अब तक शुरू नहीं हुआ है लेकिन 14 सरकारी भवनों पर इस प्रोजेक्ट के तहत रूफटॉप सोलर प्लांट लगाए गए हैं.

इस मॉडल के तहत सरकारी भवन में रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने वाले विभाग और भवनों में विभिन्न सरकारी विश्वविद्यालय और स्वास्थ्य व कृषि विभाग से जुड़े सरकारी कार्यालय शामिल हैं. हालांकि रेस्को मॉडल की शुरुआत के कुछ माह बाद ही देश और प्रदेश में कोरोना का संकट आ गया जिसके चलते बहुत ज्यादा काम इस पर नहीं हो पाया है लेकिन अब इस मॉडल पर काम तेजी से शुरू कर दिया गया है.

Last Updated : Aug 9, 2021, 10:13 AM IST
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